ध्यान दें:



झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 01 Apr 2022
  • 0 min read
  • Switch Date:  
झारखंड Switch to English

हज़ारीबाग के पुरातात्त्विक अवशेषों को मिलेगी नई पहचान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा झारखंड के हज़ारीबाग के दैहर और सोहरा में 72 वर्ष पूर्व खुदाई से प्राप्त बौद्ध अवशेष एवं मूर्तियों में लिखी विशेष लिपि के अध्ययन का निर्णय लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके लिये भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा लिपि विशेषज्ञ डॉ. अर्पिता रंजन को भेजा गया है, ताकि मूर्तियों के कालखंड का पता लगाया जा सके।
  • गौरतलब है कि 1950 में यहाँ के तत्कालीन मुखिया जगरनाथ सिंह और अन्य ग्रामीणों को दैहर एवं सोहरा से अनेक मूर्तियाँ प्राप्त हुई थीं। इनके अध्ययन के लिये कई प्रयास किये गए, लेकिन वे सफल नहीं रहे।
  • यह क्षेत्र बौद्ध धर्म से संबंधित पुरातात्त्विक अवशेषों से भरा पड़ा है। उदाहरण के लिये दैहर से प्राप्त प्रतिमा, जिसे ग्रामीण कमला माता के रूप में पूजते हैं, बौद्ध देवी मारीचि हैं। साथ ही सोहरा से प्राप्त प्रतिमा, जिसे ग्रामीण समोखर माता के रूप में पूजते हैं, बौद्ध धर्म की देवी तारा हैं। वहीं मानगगढ़ में झारखंड के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप की पहचान हुई है।
  • इसके धार्मिक महत्त्व को देखते हुए ही इसे बौद्ध सर्किट में शामिल किया गया है।

close
Share Page
images-2
images-2