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‘वारतां विक्रमाजीत दी’की प्रस्तुति के साथ विक्रमोत्सव-21 का समापन

  • 23 Dec 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों? 

22 दिसंबर, 2021 को ‘वारतां विक्रमाजीत दी’की प्रस्तुति के साथ महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ का प्रतिष्ठा आयोजन तीन दिवसीय विक्रमोत्सव-2021 का औपचारिक समापन हुआ। विक्रमोत्सव-2021 में भारी ठंड के बीच भी तीनों दिन नाट्य प्रस्तुति को देखने के लिये बड़ी संख्या में कलारसिकों की भागीदारी दिखी।

प्रमुख बिंदु 

  • विक्रमोत्सव-2021 के प्रथम दिन महानाट्य ‘सम्राट विक्रमादित्य’की प्रस्तुति रंग निर्देशक संजीव मालवीय के निर्देशन में हुई। यह महानाट्य कभी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में हुआ था, जिसे निर्देशक मालवीय द्वारा पारंपरिक और थ्रीडी सिस्टम में समेट कर करीब दो घंटे की अवधि में प्रस्तुत किया गया। 
  • इसी कड़ी में दूसरी प्रस्तुति मालवा की माच शैली में खेल माच का ‘राजा विक्रम’की प्रस्तुति पंडित ओमप्रकाश शर्मा के निर्देशन में हुई। 
  • विक्रमोत्सव-2021 की तीसरी और अंतिम प्रस्तुति ‘वारतां विक्रमाजीत दी’थी। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक राजीव सिंह की इस प्रस्तुति में पंजाबी लोकगीतों में विक्रमादित्य को खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इस नाटक के माध्यम से यह बात भी स्थापित हो जाती है कि विक्रमादित्य की कीर्ति केवल मालवांचल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के हर राज्य में है। 
  • महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि विक्रमोत्सव अब देश के प्रमुख शहरों-अयोध्या, पटना, बनारस, आगरा, मथुरा, चंडीगढ़, पुणे, जयपुर, दिल्ली एवं बंगलूरू में आयोजित किया जाएगा। साथ ही ‘भारत विक्रम’शीर्षक से भारत उत्कर्ष एवं नव-जागरण पर केंद्रित व्याख्यान माला देश के प्रमुख शहरों में भी आयोजित किये जाने की योजना है। 
  • उन्होंने कहा कि विक्रमोत्सव देश के अन्य शहरों में किये जाने का उद्देश्य विक्रम कीर्ति से समाज को परिचित कराना है। विक्रम कीर्ति सार्वभौमिक रही है और यही बात समाज तक पहुँचानी है।
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