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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में बीज पार्क स्थापित

  • 30 Jul 2025
  • 19 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में पाँच अत्याधुनिक बीज पार्क स्थापित करके राज्य को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

मुख्य बिंदु

  • बीज पार्क के बारे में: 
    • बीज पार्क क्षेत्र-विशिष्ट फसल आवश्यकताओं को पूरा करेंगे और अगले तीन वर्षों में 2,500 करोड़ रुपए के निवेश के साथ गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।
    • कृषि विभाग ने मौजूदा बुनियादी ढाँचे (200 से 400+ हेक्टेयर) वाले छह बड़े फार्मों की पहचान की है, जिन्हें बीज उत्पादन के लिये निजी संस्थाओं को पट्टे पर दिया जाएगा।
  • स्थान: 
    • बीज पार्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई, मध्य उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थापित किये जाएंगे।
    • पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर पहला बीज पार्क, अटारी, लखनऊ में स्थापित किया जाएगा। 
    • इसमें बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, शीघ्र प्रजनन और संकर प्रयोगशालाओं की सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।

  • मॉडल: 
    • सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल का उपयोग कर रही है, जिसके तहत निजी निवेशकों को 30 वर्षों के लिये भूमि पट्टे पर देने के साथ प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसे 90 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • लाभ: अपने विस्तृत कृषि आधार के कारण, उत्तर प्रदेश को इस पहल से बहुत लाभ होगा। प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
    • रोज़गार सृजन: सभी पाँच पार्कों में लगभग 6,000 प्रत्यक्ष रोज़गार और 15,000 अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे, जिससे लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा।
    • बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता: राज्य को स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन करके, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करके तथा उत्पादन, रसद और परिवहन में रोज़गार सृजित करके प्रतिवर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है।
    • बीज प्रतिस्थापन दर (SRR): इस पहल से SRR में सुधार होने की उम्मीद है, जिसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा।
    • उत्तर प्रदेश में देश में सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि और सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र है, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में यह पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से पीछे है।
  • गुणवत्ता संबंधी मुद्दे: इन बीज पार्कों की स्थापना से उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये बेहतर बीज गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।
  • बीज परीक्षण रिपोर्ट 2023-2024 में 1,33,588 परीक्षण नमूनों में से 3,630 में खराब गुणवत्ता वाले बीजों की पहचान की गई है, जिसके कारण अंकुरण दर कम होती है, पुनः बुवाई में देरी होती है, भूमि की तैयारी और उर्वरकों में निवेश व्यर्थ होता है तथा अंततः फसल उत्पादन कम होता है।

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