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बिहार और उत्तर प्रदेश में अघोषित नकद संपत्ति सौदे चिह्नित

  • 10 Oct 2025
  • 15 min read

चर्चा में क्यों? 

आयकर विभाग ने संपत्ति सौदों में 2 लाख रुपए से अधिक नकद लेन-देन पर ध्यान केंद्रित किया, बिहार और उत्तर प्रदेश में उल्लंघनों का पता लगाया, विशेषकर नेपाल सीमा से सटे ज़िलों में, जहाँ उप-पंजीयकों ने डेटा साझा नहीं किया। 

मुख्य बिंदु 

  • परिचय: यह सर्वदेशीय अभियान सर्वोच्च न्यायालय के अप्रैल 2025 के निर्देशों के बाद शुरू किया गया। इस अभियान में कई ऐसे मामले उजागर हुए, जहाँ पूरी संपत्ति लेन-देन नकद में की गई, जिससे पारदर्शिता और नियमों के पालन को लेकर गंभीर चिंता सामने आई। 
    • विभाग ने काले धन की निगरानी करने और उच्च-मूल्य वाले लेन-देन में नकद लेन-देन पर सख्त कार्रवाई करने के लिये डेटा एकत्रित करने और उसका विश्लेषण करने के अपने प्रयासों को तेज़ कर दिया है। 
  • डेटा में गलत रिपोर्टिंग: बिहार और उत्तर प्रदेश के उप-पंजीयकों पर संपत्ति लेन-देन के डेटा में गलत रिपोर्टिंग करने का आरोप पाया गया। इस पर आयकर विभाग ने चिंता व्यक्त की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सही डेटा साझा करें और पंजीकरण प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करें। 
  • बिहार में समस्या का पैमाना: बिहार के ज़िलों किशनगंज, सीतामढ़ी, अररिया और मधुबनी में साइट वेरिफिकेशन से पता चला कि: 
    • लगभग 250-300 मामले ऐसे थे जहाँ 2 लाख रुपए से अधिक नकद लेन-देन रिपोर्ट नहीं किये गए। 
    • कानून द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक, 30 लाख रुपए से अधिक के लेन-देन की रिपोर्ट न करना। 
    • एक ही उप-पंजीयक कार्यालय में तीन वर्षों में 600 से अधिक संपत्ति लेन-देन, जिनकी कुल कीमत 250 करोड़ रुपए, रिपोर्ट नहीं की गई। 
    • लेन-देन के लिये PAN विवरण दर्ज या साझा नहीं किये गए।
  • उत्तर प्रदेश में समस्या का पैमाना: उत्तर प्रदेश में समस्या कम गंभीर है, लेकिन महराजगंज और पिलीभित ज़िलों में कुछ कमियाँ पाई गईं। 
    • कई संपत्ति लेन-देन में त्रुटिपूर्ण प्रविष्टियाँ पाई गईं और 2 लाख रुपए से अधिक नकद लेन-देन अभी भी मौजूद थे, हालाँकि यह बिहार की तुलना में कम पैमाने पर था। 
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