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संचार साथी ऐप

  • 03 Dec 2025
  • 19 min read

चर्चा में क्यों?

दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल निर्माताओं तथा आयातकों को निर्देश दिया है कि संचार साथी मोबाइल एप्लीकेशन भारत में बेचे जाने वाले सभी उपकरणों में प्री-इंस्टॉल तथा आसानी से उपलब्ध होनी चाहिये।

मुख्य बिंदु 

  • दूरसंचार विभाग (DOT) ने नागरिकों को पहचान-चोरी, फर्जी अपने ग्राहक को जानो (KYC) धोखाधड़ी, डिवाइस चोरी तथा वित्तीय साइबर-अपराधों से बचाने के लिये संचार साथी मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया।
  • गोपनीयता-प्रथम डिज़ाइन (Privacy-First Design): एप्लिकेशन केवल उपयोगकर्त्ता की सहमति से कार्य करता है, जिसे कभी भी एक्टिव या डिलीट किया जा सकता है तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 का पालन करता है, जिससे न्यूनतम डेटा-संग्रह तथा शून्य वाणिज्यिक प्रोफाइलिंग सुनिश्चित होती है।
  • राष्ट्रीय दूरसंचार विनियम: यह पहल स्पैम, घोटालों तथा अवांछित वाणिज्यिक संचार की आसान रिपोर्टिंग को सक्षम बनाकर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के नियमों, विशेषकर दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम (TCCCPR) के प्रवर्तन को मज़बूत करती है।
  • नागरिक-केंद्रित सेवाएँ: प्रमुख विशेषताओं में धोखाधड़ी कॉल/SMS/व्हाट्सएप संदेशों की रिपोर्टिंग के लिये चक्षु (Chakshu); चोरी हुए उपकरणों के लिये IMEI ट्रैकिंग और ब्लॉकिंग; मोबाइल कनेक्शन का सत्यापन; मोबाइल हैंडसेट की वास्तविकता की जाँच; भारतीय (+91) नंबरों के रूप में नकली अंतर्राष्ट्रीय कॉल की रिपोर्टिंग तथा अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता को जानें लुकअप टूल शामिल हैं।
  • महत्त्व: एंड्रॉइड और iOS दोनों पर हिंदी तथा 21 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध यह एप्लिकेशन नागरिक भागीदारी (जन भागीदारी) को सशक्त बनाता है, सार्वजनिक डैशबोर्ड के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करता है तथा सुरक्षित दूरसंचार उपयोग के लिये राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल विश्वास स्थापित करता है।
  • वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI): दूरसंचार विभाग ने वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक विकसित किया है, जो मोबाइल नंबरों को मध्यम, उच्च अथवा अत्यधिक उच्च धोखाधड़ी-जोखिम श्रेणियों में वर्गीकृत करता है, जिससे बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) तथा एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) सेवा प्रदाताओं को क्षति से बचने में सहायता मिलती है और अब तक 475 करोड़ रुपये की संभावित वित्तीय धोखाधड़ी को रोका जा चुका है।
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