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उत्तर प्रदेश

DMSRDE में रक्षा नवाचारों की समीक्षा

  • 02 Dec 2025
  • 20 min read

चर्चा में क्यों?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 नवंबर, 2025 को कानपुर में DRDO की रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE) प्रयोगशाला का दौरा किया तथा वहाँ चल रहे रक्षा सामग्री अनुसंधान की प्रगति की समीक्षा की।

  • इस अवसर पर उन्होंने परिसर में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को पुष्पांजलि अर्पित की और DRDO अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने उनका औपचारिक स्वागत किया।

मुख्य बिंदु 

  • प्रस्तुति:
    • यात्रा के दौरान उनको DMSRDE के निदेशक द्वारा प्रयोगशाला के विज़न, मिशन, प्रमुख परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई।
    • उन्होंने लेवल-6 बुलेटप्रूफ जैकेट, ब्रह्मोस हेतु नेफ्थाइल ईंधन, उच्च-दबाव पॉलीमेरिक झिल्ली, सिलिकॉन कार्बाइड फाइबर, CBRN सुरक्षात्मक सूट तथा अन्य स्टील्थ-आधारित प्रौद्योगिकियों जैसे विकसित उत्पादों की प्रशंसा की।
  • प्रौद्योगिकी प्रदर्शन:
    • प्रयोगशाला ने सिरेमिक्स, स्टील्थ एवं कैमोफ्लाज सामग्री, नैनोमटेरियल्स, कोटिंग्स, पॉलिमर्स, ईंधन, लुब्रिकेंट्स, तकनीकी वस्त्र तथा व्यक्तिगत सुरक्षा प्रणालियों में हुई प्रगति का प्रदर्शन किया।
  • आत्मनिर्भरता: 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)

  • परिचय: DRDO की स्थापना 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE), तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) तथा रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) का संयोजन करके की गई थी।
    • DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास विंग है।
    • आरंभ में DRDO के पास 10 प्रयोगशालाएँ थीं, वर्तमान में यह 41 प्रयोगशालाओं और 5 DRDO युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं (DYSL) का संचालन करता है।
  • सिद्धांत: DRDO का मार्गदर्शक सिद्धांत "बलस्य मूलं विज्ञानम् " (शक्ति विज्ञान में निहित है) है, जो राष्ट्र को शांति और युद्ध दोनों ही स्थिति में मार्गदर्शित करता है।
  • मिशन: इसका मिशन तीनों सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और उपकरणों से लैस करते हुए महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों में आत्मनिर्भर होना है।
  • DRDO के प्रौद्योगिकी क्लस्टर: DRDO की व्यापक समीक्षा करने के लिये वर्ष 2007 में डॉ. पी. रामा राव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
    • इसके परिणामस्वरूप सात प्रौद्योगिकी डोमेन-आधारित क्लस्टरों का निर्माण हुआ, जिनमें से प्रत्येक की अध्यक्षता एक महानिदेशक करता है।
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