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उत्तराखंड में ली-आयन बैटरियों और ई-अपशिष्ट के लिये पुनर्चक्रण सुविधा

  • 03 Apr 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने उत्तराखंड के सितारगंज (ज़िला उधम सिंह नगर) में स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ली बैटरी और ई-कचरे की रीसाइक्लिंग हेतु एक वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिये मेसर्स रेमाइन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है

मुख्य बिंदु:

  • इस समझौते के माध्यम से, TDB ने 15 करोड़ रुपए की कुल परियोजना लागत में से ₹7.5 करोड़ की वित्तीय सहायता देने का वादा किया है, जो सतत् विकास और पर्यावरणीय प्रबंधन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • ली-आयन बैटरियों का कुशल पुनर्चक्रण देश के भीतर सेल निर्माण के लिये द्वितीयक कच्चे माल के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।
    • खर्च की गई लिथियम-आयन बैटरियों (LIB) के निपटान से उत्पन्न होने वाले ई-कचरे का बढ़ता आयात पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में उनके बढ़ते उपयोग से प्रेरित है।
    • लैंडफिलिंग और भस्मीकरण के माध्यम से LIB का निपटान पर्यावरण तथा सुरक्षा चिंताओं को उत्पन्न करता है, जो रीसाइक्लिंग पहल की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है
    • खर्च किये गए LIB से धातुओं की पुनर्प्राप्ति के माध्यम से मूल्य सृजन की संभावना ने इन बैटरियों द्वारा उत्पन्न ई-कचरे के पुनर्चक्रण में रुचि बढ़ा दी है।
  • लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग बाज़ार का आकार वर्ष 2030 तक 14.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें 21.6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) है, जो वर्ष 2021 में 3.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • इसके बावजूद, 95% ली-आयन बैटरियाँ वर्तमान में लैंडफिल में समाप्त हो जाती हैं, जबकि केवल 5% रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग से गुजरती हैं।
  • ई-अपशिष्ट परिदृश्य में अनौपचारिक क्षेत्र के प्रभुत्व का प्रतिकूल पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
  • बैटरी अपशिष्ट के बढ़ते मुद्दे को संबोधित करने, महत्त्वपूर्ण तत्त्वों से संबंधित प्रवासी आपूर्ति पक्ष के जोखिमों को कम करने और कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिये कुशल व पर्यावरण के अनुकूल रीसाइक्लिंग विधियाँ आवश्यक हैं।
  • ई-अपशिष्ट उत्पादन के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है और इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।

लि-आयन बैटरी

  • ‘लिथियम-आयन बैटरी’ अथवा ‘लि-आयन’ बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल (पुनः चार्ज की जा सकने वाली) बैटरी है।
  • लि-आयन बैटरी में इलेक्ट्रोड पदार्थ के रूप में अंतर्वेशित लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है, जबकि एक नॉन-रिचार्जेबल लिथियम बैटरी में धातु सदृश लिथियम का उपयोग किया जाता है।
  • एक बैटरी में वैद्युत अपघट्य (Electrolyte) दो इलेक्ट्रोड होते हैं। वैद्युत अपघट्य के कारण आयनों का संचरण होता है।
  • बैटरी के डिस्चार्ज होने के दौरान लिथियम आयन नेगेटिव इलेक्ट्रोड से पॉज़िटिव इलेक्ट्रोड की ओर गति करते हैं, जबकि चार्ज होते समय विपरीत दिशा में।

ई-अपशिष्ट 

  • इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-अपशिष्ट), एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग सभी प्रकार के पुराने, खराब हो चुके या बेकार पड़े बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे घरेलू उपकरण, कार्यालय सूचना तथा संचार उपकरण आदि का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
  • भारत में ई-अपशिष्ट के प्रबंधन के लिये कानून वर्ष 2011 से लागू हैं, जिसके अनुसार केवल अधिकृत विखंडनकर्ता और पुनर्चक्रणकर्त्ता ही ई-अपशिष्ट एकत्र करते हैं। ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 2017 में अधिनियमित किया गया था।
  • घरेलू और वाणिज्यिक इकाइयों से अपशिष्ट को अलग करने, प्रसंस्करण एवं निपटान के लिये भारत का पहला ई-अपशिष्ट क्लिनिक भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थापित किया गया है।

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