उत्तर प्रदेश
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (PTR)
- 19 Jul 2025
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चर्चा में क्यों?
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के निकट एक संदिग्ध बाघ हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जो तीन दिनों में इस तरह की दूसरी घटना है, जिसके बाद अधिकारियों ने बाघ को गोली मारने की अनुमति लेने पर विचार किया है।
मुख्य बिंदु
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के बारे में:
- यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और शाहजहाँपुर ज़िलों में स्थित है। इसे वर्ष 2014 में बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- वर्ष 2020 में, इसने पिछले चार वर्षों में बाघों की संख्या दोगुनी करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार TX2 जीता।
- यह ऊपरी गंगा के मैदान में तराई आर्क परिदृश्य का हिस्सा है।
- गोमती नदी इसी अभयारण्य से निकलती है, जो शारदा, चूका और माला खन्नोट जैसी कई अन्य नदियों का जलग्रहण क्षेत्र भी है।
- वनस्पति और जीव:
- यह 128 से अधिक जानवरों, 326 पक्षी प्रजातियों और 2,100 पुष्पीय पौधों का निवास स्थान है।
- जंगली जानवरों में बाघ, दलदली हिरण, बंगाल फ्लोरिकन, तेंदुआ आदि शामिल हैं।
- इसमें घने साल के जंगल, वृक्षारोपण और घास के मैदान तथा कई जल निकाय शामिल हैं।
मानव-पशु संघर्ष
- परिचय:
- मानव-पशु संघर्ष उन स्थितियों को संदर्भित करता है, जहाँ मानव गतिविधियों, जैसे कि कृषि, बुनियादी ढाँचे का विकास अथवा संसाधन निष्कर्षण, में वन्य पशुओं के साथ संघर्ष की स्थिति होती हैं, इसकी वजह से मानव एवं पशुओं दोनों के लिये नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।
मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिये सरकारी उपाय
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह अधिनियम गतिविधियों, शिकार पर प्रतिबंध, वन्यजीव आवासों की सुरक्षा और प्रबंधन तथा संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना आदि के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002: भारत, जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का एक हिस्सा है। यह सुनिश्चित करता है कि जैविक विविधता अधिनियम वनों और वन्यजीवों से संबंधित मौजूदा कानूनों का खंडन करने के बजाय पूरक है।
- राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016): यह संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क को मज़बूत करने और बढ़ाने, लुप्तप्राय वन्यजीवों तथा उनके आवासों के संरक्षण, वन्यजीव उत्पादों में व्यापार को नियंत्रित करने एवं अनुसंधान, शिक्षा व प्रशिक्षण पर केंद्रित है।
- प्रोजेक्ट टाइगर: प्रोजेक्ट टाइगर एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो वर्ष 1973 में शुरू की गई थी। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों के लिये आश्रय प्रदान करती है
- हाथी परियोजना: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और हाथियों, उनके आवासों तथा गलियारों की सुरक्षा के लिये फरवरी 1992 में शुरू की गई थी।