उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में नया ईवी पार्क
- 07 Jul 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार अपने कानपुर महानगर विकास विज़न 2030 के तहत 700 करोड़ रुपए की लागत से इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पार्क की स्थापना करने जा रही है। 500 एकड़ में फैली इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) द्वारा किया जाएगा।
- नोट: UPSIDA उत्तर प्रदेश में औद्योगिक और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
मुख्य बिंदु
परियोजना के बारे में:
- उद्देश्य: प्रस्तावित ईवी पार्क स्थानीय आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देगा, 'Make in UP' तथा 'Made in UP' पहल के तहत स्वदेशी विनिर्माण को प्रोत्साहित करेगा तथा कानपुर को वैश्विक ईवी परिदृश्य में औद्योगिक नवाचार के केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
- रणनीतिक स्थान: ईवी पार्क को कानपुर में भीमसेन के पास स्थापित किया जाएगा, जो समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC) के साथ रणनीतिक रूप से स्थित है।
- यह स्थान प्रमुख रेल तथा सड़क नेटवर्क से जुड़ा होने के कारण लॉजिस्टिक दृष्टि से उपयुक्त है जिससे कच्चे माल तथा तैयार माल का निर्बाध परिवहन सुनिश्चित होता है।
- उत्तर प्रदेश के रक्षा और औद्योगिक गलियारों के साथ एकीकरण: कानपुर, जो पहले से ही उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है, अपने औद्योगिक आधार को मज़बूत करके इस पहल से लाभान्वित होगा।
- पार्क की विनिर्माण क्षमताएँ राज्य के बड़े आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति करेंगी, जिनमें रक्षा विनिर्माण, नवाचार और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
- कानपुर, उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे (UPDIC) के छह केंद्रों में से एक है। अन्य पाँच केंद्र लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट और झाँसी हैं।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: ईवी पार्क को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें निजी क्षेत्र की दक्षता को सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के समर्थन के साथ जोड़ा जाएगा।
- उन्नत विनिर्माण अवसंरचना: पार्क में आवश्यक ईवी घटकों के लिये अत्याधुनिक विनिर्माण इकाइयाँ होंगी, जिनमें शामिल हैं:
- इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त विद्युत मोटर, लिथियम-आयन सेल और कोर इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियाँ।
- समर्पित अनुसंधान एवं विकास केंद्र: पार्क की एक मुख्य विशेषता ईवी प्रौद्योगिकियों में नवाचार पर केंद्रित एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्र होगा।
- इससे क्षेत्रीय स्तर पर तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में वैश्विक प्रगति में भी योगदान मिलेगा।
- एकीकृत ईवी घटक क्लस्टर: ईवी घटकों के विनिर्माण को समर्थन देने के लिये पार्क के भीतर एक एकीकृत क्लस्टर विकसित किया जाएगा।
- यह तंत्र लघु और मध्यम उद्यमों (SME), स्टार्टअप और स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य ईवी मूल्य शृंखला में स्थानीय भागीदारी को बढ़ाना और उद्यम-संचालित नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
- रोजगार सृजन: इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में:
- परिचय: इलेक्ट्रिक वाहन ऐसे वाहन हैं जो पेट्रोल या डीजल से चलने वाले पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (ICE) के बजाय प्रणोदन के लिये एक या एक से अधिक इलेक्ट्रिक मोटरों का उपयोग करते हैं।
- यद्यपि इलेक्ट्रिक वाहनों की अवधारणा लंबे समय से चली आ रही है, ईंधन आधारित वाहनों के बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों के कारण पिछले दशक में इसमें व्यापक रूप से रुचि बढ़ी है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रकार:
- बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEVs): ये प्रणोदन के लिये पूरी तरह बैटरी शक्ति पर निर्भर होते हैं तथा शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
- प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEV): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर के साथ ही गैसोलीन इंजन मौजूद होता है। इन्हें बाह्य रूप से चार्ज किया जा सकता है और सीमित दूरी तक बैटरी पावर पर चलाया जा सकता है, जबकि लंबी यात्राओं के लिये गैसोलीन इंजन का उपयोग किया जा सकता है।
- हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (HEVs): इनमें इलेक्ट्रिक मोटर और गैसोलीन इंजन दोनों का उपयोग होता है, लेकिन बैटरी को सीधे प्लग-इन कर चार्ज नहीं किया जा सकता।
- बैटरी को गैसोलीन इंजन या पुनर्योजी ब्रेकिंग (regenerative braking) के माध्यम से चार्ज किया जाता है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी नीतियाँ:
- वर्ष 2010: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा 95 करोड़ रुपए की योजना (जहाँ एक्स-फैक्ट्री कीमतों पर 20% तक के प्रोत्साहन की पेशकश की गई) के माध्यम से भारत ने EVs को प्रोत्साहन प्रदान किया। हालाँकि, मार्च 2012 में यह योजना वापस ले ली गई।
- वर्ष 2013: EVs के अंगीकरण को बढ़ावा देने, ऊर्जा सुरक्षा को संबोधित करने और वाहन प्रदूषण को कम करने के लिये ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) 2020’' का शुभारंभ किया गया। हालाँकि इस योजना का व्यापक क्रियान्वयन नहीं हो सका।
- वर्ष 2015: स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी कारों को प्रोत्साहित करने के लिये (वर्ष 2020 तक 7 मिलियन EVs के लक्ष्य के साथ) केंद्रीय बजट में 75 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ FAME योजना की घोषणा की गई।
- वर्ष 2017: भारतीय परिवहन मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक 100% इलेक्ट्रिक कारों का लक्ष्य निर्धारित किया है। उद्योग की चिंताओं के बाद 100% के लक्ष्य को घटाकर 30% कर दिया गया।
- वर्ष 2019: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अग्रिम खरीद प्रोत्साहन और चार्जिंग अवसंरचना के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के अंगीकरण में तेज़ी लाने के लिये 10,000 करोड़ रुपए की FAME-II योजना को मंज़ूरी प्रदान की।
- वर्ष 2023: जीएसटी परिषद की 36वीं बैठक में इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार को बढ़ावा देने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% और चार्जर या चार्ज स्टेशनों पर 18% से घटाकर 5% करने का निर्णय लिया गया।
- वर्ष 2025: केंद्र ने घरेलू ईवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPMEPCI) के लिये विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये हैं।