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कैलाश मानसरोवर यात्रा

  • 07 Jul 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने टनकपुर से पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिये तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

मुख्य बिंदु

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में:
    • विदेश मंत्रालय (MEA) हर वर्ष जून से सितंबर के बीच इस यात्रा का आयोजन करता है।
    • यह तीर्थयात्रा दो आधिकारिक मार्गों से होकर गुजरती है: उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा और सिक्किम में नाथू ला दर्रा से।
    • भारत-चीन सीमा विवाद के कारण भारतीय तीर्थ यात्रियों को लगभग दो दशकों तक कैलाश तक पहुँचने से वंचित रखा गया था।
    • वर्ष 1981 में विदेश मंत्रालय की निगरानी और चीनी सरकार के सहयोग से यात्रा पुनः शुरू हुई।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व:
    • भगवान शिव के निवास के रूप में स्थापित कैलाश पर्वत, हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और तिब्बत की बोनपा परंपरा में पवित्र महत्त्व रखता है।
    • हिंदू इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानते हैं, जैन मानते हैं कि ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था; बौद्ध इसे युंगड्रुक गु त्सेग (नौ मंजिला स्वस्तिक पर्वत) कहते हैं।
  • भौगोलिक विशेषताएँ:
    • कैलाश पर्वत (6,675 मीटर) पश्चिमी तिब्बत में स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से कांग रामपोछे या बहुमूल्य रत्न के नाम से जाना जाता है।
    • कैलाश के दक्षिण में राकसताल (रावण हृद), मानसरोवर और गुरला मंढाता शिखर (7,683 मीटर) स्थित हैं।
    • मानसरोवर झील 4,530 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, इसकी परिधि 90 किमी, गहराई 90 मीटर तथा क्षेत्रफल 320 वर्ग किमी है।
      • राकसताल की परिधि 22 किमी है और यह गंगाछू नामक 6 किमी लंबी नहर के माध्यम से मानसरोवर से जुड़ा हुआ है।
    • हिमालय के उत्थान के दौरान, कैलाश के पास चार महान नदियाँ उत्पन्न हुईं: सिंधु (उत्तर), करनाली (दक्षिण), यारलुंग त्संगपो (पूर्व), सतलुज (पश्चिम), जो राकसताल से निकलती हैं।

लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड):

  • यह मानसरोवर (सीमा से 50 किमी) जाने का सबसे छोटा मार्ग है, लेकिन उबड़-खाबड़ रास्ते के कारण इसकी यात्रा 200 किमी तक लंबी हो जाती है।
  • यह वर्ष 1992 में चीन के साथ व्यापार के लिये खोली गई पहली भारतीय सीमा चौकी थी, इसके बाद शिपकी ला (1994) और नाथू ला (2006) भी खोली गई।

नाथू ला दर्रा (सिक्किम):

  • वर्ष 2015 में खोला गया यह 1,500 किमी लंबा पूर्णतः वाहन योग्य मार्ग, दुनिया की सबसे ऊँची वाहन योग्य सड़कों में से एक है तथा तीर्थयात्रियों को बिना चढ़ाई के यात्रा पूरी करने की सुविधा देता है।
  • नाथू ला सिक्किम को चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (TAR) से जोड़ता है और यह प्राचीन सिल्क रोड का हिस्सा है।

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