उत्तर प्रदेश
जाह्नवी डांगेती
- 26 Jun 2025
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चर्चा में क्यों?
आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी ज़िले की 23 वर्षीय जाह्नवी डांगेती को अमेरिका स्थित निजी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (TSI) के वर्ष 2029 के अंतरिक्ष मिशन के लिये एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट (ASCAN) के रूप में चुना गया है।
- एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट वह व्यक्ति होता है, जिसे किसी अंतरिक्ष एजेंसी या संगठन द्वारा अंतरिक्ष यात्रा के लिये प्रशिक्षण हेतु चयनित किया जाता है, ताकि उसे भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों के लिये योग्य बनाया जा सके।
मुख्य बिंदु
जाह्नवी डांगेती के बारे में
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पश्चिम गोदावरी ज़िले में पूरी की तथा उसके बाद लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), पंजाब से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की; उनके माता-पिता पद्मश्री और श्रीनिवास वर्तमान में कुवैत में रहते हैं।
- वह वर्ष 2022 में पोलैंड के क्राकोव में एनालॉग अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र (AATC) में सबसे कम उम्र की विदेशी एनालॉग अंतरिक्ष यात्री और पहली भारतीय बनीं।
- उन्होंने नासा द्वारा प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग (IASC) के साथ कार्य किया है और हवाई में स्थित पैन-स्टार्स टेलीस्कोप के माध्यम से क्षुद्रग्रहों की खोज में योगदान दिया है।
- उनको कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें नासा स्पेस ऐप्स चैलेंज में पीपल्स चॉइस अवार्ड और इसरो के विश्व अंतरिक्ष सप्ताह समारोह में यंग अचीवर अवार्ड शामिल हैं।
- केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने नासा के अंतर्राष्ट्रीय वायु एवं अंतरिक्ष कार्यक्रम को पूरा करने वाली पहली भारतीय बनने पर उन्हें बधाई दी तथा उनकी उपलब्धि को भारत के लिये गौरव का क्षण बताया।
टाइटंस अंतरिक्ष मिशन
- वर्ष 2029 के लिये निर्धारित इस मिशन का नेतृत्व NASA के अनुभवी अंतरिक्ष यात्री कर्नल (सेवानिवृत्त) विलियम मैकआर्थर जूनियर करेंगे।
- अमेरिका स्थित इस मिशन में लगभग 5 घंटे का समय लगेगा, इस दौरान चालक दल ग्रह के चारों ओर दो बार उड़ान भरेगा तथा दो सूर्योदय और दो सूर्यास्त का अनुभव करेगा।
- यह मिशन लगभग 3 घंटे तक निरंतर शून्य गुरुत्वाकर्षण प्रदान करेगा, जो वैज्ञानिक जाँच तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान विकास के लिये एक क्रांतिकारी वातावरण उपलब्ध कराएगा।
- जाह्नवी वर्ष 2026 में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण प्रारंभ करेंगी, जिसमें उड़ान सिमुलेशन, अंतरिक्ष यान प्रक्रियाएँ, उत्तरजीविता प्रशिक्षण तथा चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन शामिल होंगे।
अंतरिक्ष में भारत की अन्य प्रमुख उपलब्धियाँ:
- एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन (2025): ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने और NASA के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का दौरा करने वाले पहले भारतीय होंगे।
- चार सदस्यीय दल (अमेरिका से पैगी व्हिटसन, पोलैंड से स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की, तथा हंगरी से टिबोर कापू ) 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से 7 प्रयोग भारत द्वारा किये जाएंगे।
- ISRO के प्रयोगों का उद्देश्य अंतरिक्ष, उसके जैविक प्रभावों और सूक्ष्मगुरुत्व के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है, जिसमें एक प्रमुख प्रयोग 6 प्रकार के फसल बीजों पर अंतरिक्ष उड़ान के प्रभाव की जाँच करना है।
- रूसी सोयुज मिशन (1984): राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने, जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा के लिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।