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विशालकाय लाल तारा बेटेलगेस

  • 21 Jun 2023
  • 6 min read

भारतीय खगोल विज्ञान में 'थिरुवथिराई' या 'अद्रा' के रूप में विख्यात ओरायन तारामंडल में अपनी प्रमुख स्थिति के साथ चमकदार लाल तारा बेटेलगेस पर्यवेक्षकों को आकर्षित करता है।

  • जापानी और स्विस शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए हालिया शोध में तारे के स्पंदन (pulsation) पैटर्न पर प्रकाश डाला गया है।

बेटेलगेस स्पंदन:

  • बेटेलगेस के बारे में:  
    • बेटेलगेस (Betelgeuse) एक विशालकाय लाल तारा है जो अपने जीवन के अंत के करीब है। रिगेल के बाद ओरायन तारामंडल में यह दूसरा सबसे चमकीला तारा है।
      • वैज्ञानिकों ने वर्ष 2019 के अंत में बेटेलगेस के रहस्यमय तरीके से मंद होने का कारण  तारे की दिखाई देने वाली सतह पर एक बड़े धमाके की वजह से  हुए विस्फोट को बताया।
    • बेटेलगेस दो मुख्य कारकों के कारण चमक में भिन्न होता है: इसकी सतह के तापमान में परिवर्तन तथा इसके आकार में परिवर्तन।  
      • एक विशालकाय लाल तारे के रूप में बेटेलगेस की एक बहुत ही अस्थिर बाहरी परत होती है जो संवहन और स्पंदन हेतु प्रवण होती है।
  • स्पंदन तंत्र: 
    • बेटेलगेस का स्पंदन आवधिक संकुचन और तारे के विस्तार को संदर्भित करता है।
      • शोधकर्त्ताओं ने बेटेलगेस के देखे गए स्पंदन की तुलना सैद्धांतिक अनुमानों से की है। यह दर्शाता है कि तारा अपने अंतिम कार्बन-बर्निंग चरण में है
      • स्पंदन की अवधि तारे की त्रिज्या, चमक और द्रव्यमान के बारे में  मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो कोर कार्बन-बर्निंग के अपने वर्तमान चरण की पुष्टि करती है।
    • भाप छोड़ते एक बर्तन के ढक्कन को उठाने के समान, लाल विशाल तारे अपनी सबसे बाहरी परतों में हाइड्रोजन के ताप और शीतलन के कारण फैलते और सिकुड़ते हैं।
      • तारे के सबसे बाहरी आवरण में शीतल तटस्थ हाइड्रोजन होता है, जो भीतरी भाग से ऊष्मा को अवशोषित करता है, जिससे तारे का विस्तार होता है।
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, हाइड्रोजन आयनित हो जाता है और अधिक ताप को अवशोषित कर सकता है, जिससे बाहरी आवरण का अत्यधिक विस्तार एवंउत्सर्जन होता है।
    • इस प्रक्रिया की चक्रीय प्रकृति के परिणामस्वरूप तारे का समय-समय पर धुँधला होना और चमकना देखा जाता है।
  • विकास के चरण: 
    • बेटेलगेस जैसे सितारे अपने प्रारंभिक चरण के दौरान हाइड्रोजन को हीलियम से जोड़ते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण और ऊर्जा विमुक्ति के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायता प्रदान करता है।
    • बेटेलगेस जैसे तारे जब कार्बन बनाने हेतु हीलियम का उपयोग करते हैं, तो कुछ करोड़ वर्षों में उनका बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन ईंधन समाप्त हो जाता है। हीलियम करीब 10 लाख वर्ष में खत्म हो जाती है।
      • कुछ सौ वर्षों में कार्बन जलने और लगभग एक दिन में सिलिकॉन जलने के साथ तत्त्वों का दहन प्रत्येक चरण के साथ तीव्र हो जाता है।
        • रेड जायंट तारे आवर्त सारणी के तत्त्वों का एक-एक कर तेज़ी से उपभोग करते हैं, जब तक कि अंत में उनका कोर लोहे से भर नहीं जाता।
      • एक बार जब कोर लोहे से भर जाता है, तो तारे के भीतर का तापमान और दबाव कम हो जाता है। इसे रोकने हेतु कोई भी प्रतिक्रिया नहीं होने के कारण गुरुत्त्वाकर्षण कोर को संकुचित करता है एवं इसे न्यूट्रॉन स्टार या ब्लैक होल में परिवर्तित कर देता है।
    • बेटेलगेस का बाद का कार्बन चरण तारे के आसन्न पतन से पहले अंतिम चरण को दर्शाता है।

ओरायन तारामंडल:

  • तारामंडल:  
    • तारामंडल अंतरिक्ष में वे क्षेत्र हैं जिसमें दृश्यमान तारों के एक समूह का  कथित स्वरूप या रूपरेखा निर्मित होती है, जो सामान्यतः जानवर, पौराणिक विषय या निर्जीव वस्तुओं को प्रदर्शित करता है। 
      • ये विशेष सितारों की अवस्थिति का पता लगाने में खगोलविदों और नाविकों की मदद करते हैं।
    • आधिकारिक तौर पर रात्रि के समय आकाश में मान्यता प्राप्त तारामंडलों की संख्या 88 है। इन नक्षत्रों को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) द्वारा परिभाषित और स्थापित किया गया था।
      • अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ की स्थापना वर्ष 1919 में  की गई थी,  इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस में स्थित है। 
  • ओरायन तारामंडल:  
    • यह एक प्रमुख तारामंडल है जिसे पूरे विश्व में देखा जा सकता है। 
      • यह आकाशीय भूमध्य रेखा पर स्थित है और इसे उत्तरी गोलार्द्ध में जनवरी से अप्रैल तक तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में नवंबर से फरवरी तक शाम के समय आकाश में सबसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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