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भारत उष्ण कटिबंधीय वन निधि में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल

  • 10 Nov 2025
  • 22 min read

चर्चा में क्यों?

भारत ब्राज़ील के नेतृत्व वाली ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो गया है, जो पेरिस समझौते के तहत बहुपक्षीय जलवायु कार्रवाई में उसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जिसकी इस वर्ष 10वीं वर्षगाँठ है।

 मुख्य बिंदु 

  • ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) के बारे में:
    • इसे ब्राज़ील द्वारा नवंबर 2025 में बेलेम, ब्राजील में आयोजित COP30 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से उष्ण कटिबंधीय वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिये देशों को पुरस्कृत करना है।
    • इसका कार्य सार्वजनिक और निजी निवेश के माध्यम से 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना तथा वन संरक्षण एवं विस्तार में मापनीय सफलता के आधार पर राष्ट्रों को लाभ वितरित करना है।
      • इस पहल का लक्ष्य वन संरक्षण और जलवायु अनुकूलन के लिये परिणाम-आधारित वैश्विक वित्त मॉडल का निर्माण करना तथा वैश्विक जलवायु एजेंडे में उष्ण कटिबंधीय देशों की भूमिका को सशक्त बनाना है।
  • COP30 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन:
    • UNFCCC सम्मेलन के 30वें सत्र, COP30 का आयोजन 10 से 21 नवंबर, 2025 तक ब्राज़ील के बेलेम में किया जा रहा है।
    • यह पेरिस समझौते (2015-2025) की 10वीं वर्षगाँठ का प्रतीक है और इसके तहत की गई प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन पर केंद्रित है।
    • एजेंडा में पेरिस लक्ष्यों पर प्रगति की समीक्षा करना, अद्यतन और महत्त्वाकांक्षी NDCs (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) के लिये प्रयास करना तथा जलवायु अनुकूलन एवं शमन के लिये अधिक वित्तपोषण व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुनिश्चित करना शामिल है।
  • कार्रवाई के छह स्तंभ:
    • उत्सर्जन शमन (Mitigation): ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना।
    • अनुकूलन (Adaptation): जलवायु प्रभावों के प्रति लचीलापन विकसित करना।
    • वित्त (Finance): सार्वजनिक और निजी जलवायु निधियों को जुटाना।
    • प्रौद्योगिकी (Technology): नवाचार और स्वच्छ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
    • क्षमता निर्माण (Capacity-Building): स्थानीय कार्यकर्त्ताओं और प्रणालियों को सशक्त करना।
    • कार्यान्वयन साधन (Means of Implementation): सभी प्रयासों को व्यावहारिक और मूल परिवर्तन में एकीकृत करना।

भारत की जलवायु प्रगति

  • भारत ने वर्ष 2005 से 2020 के बीच उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी प्राप्त की है, जो उसके प्रारंभिक NDC लक्ष्यों से अधिक है ।
  • इसके अलावा, भारत ने 200 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की है, जो वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है तथा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत कुल विद्युत क्षमता का 50% से अधिक है।
  • भारत का वन और वृक्षावरण अब 25.17% क्षेत्र में विस्तृत है, जिससे वर्ष 2005 से 2021 के बीच अतिरिक्त 2.29 बिलियन टन CO₂ समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण हुआ है ।
  • वैश्विक स्तर पर, भारत प्रमुख हरित पहलों जैसे कि फ्राँस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) (2015) और राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन तथा जैव ईंधन कार्यक्रम जैसे घरेलू प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है।
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