मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में मानवाधिकार उल्लंघन
- 22 Aug 2025
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चर्चा में क्यों?
वित्तीय वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश में मानवाधिकार उल्लंघन के 10,373 मामले दर्ज किये गये, जो औसतन प्रतिदिन 29 मामलों के बराबर हैं। यह विगत पाँच वर्षों से ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि को दर्शाता है, साथ ही लंबित शिकायतों की संख्या भी बढ़ रही है।
मुख्य बिंदु
- लंबित शिकायतें:
- मुख्यमंत्री ने विधानसभा को अवगत कराया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग (MP-SHRC) में 4,669 मानवाधिकार संबंधी शिकायतें लंबित हैं।
- यह वर्ष 2020-21 में लंबित शिकायतों की संख्या 2,798 से अधिक है।
- हालाँकि विगत कुछ वर्षों में शिकायतों में वृद्धि हुई है, लेकिन MP-SHRC के दीर्घकालिक आँकड़ों के अनुसार पूर्ववर्ती दशकों की तुलना में मामलों की कुल संख्या में गिरावट देखी गई है।
- वर्ष 2002-03 में 15,000 से अधिक शिकायतें दर्ज हुई थीं, जबकि 2021-22 तक यह संख्या घटकर 9,000 से कम रह गई, जिसका मुख्य कारण मामलों का तेज़ी से निपटान था
- मुख्यमंत्री ने विधानसभा को अवगत कराया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग (MP-SHRC) में 4,669 मानवाधिकार संबंधी शिकायतें लंबित हैं।
- मानवाधिकार
- ये सभी मनुष्यों के लिये निहित अधिकार हैं चाहे उनकी जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या अन्य स्थिति कुछ भी हो।
- इनमें जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, दासता तथा यातना से मुक्ति, विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
- भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अनुसार, मानवाधिकार का आशय जीवन, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा से संबंधित उन अधिकारों से है, जिनकी गारंटी संविधान द्वारा दी गई है या जो अंतर्राष्ट्रीय संधियों में निहित हैं तथा जिन्हें भारत के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय बनाया गया है।