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राजस्थान

राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन नीति को कैबिनेट से मिली मंज़ूरी

  • 03 Oct 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

1 अक्तूबर, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नई ग्रीन हाइड्रोजन नीति को मंज़ूरी दी गई।  

प्रमुख बिंदु  

  • इस नीति के प्रावधानों के अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट की स्वीकृति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय सक्षम समिति जारी करेगी।  
  • ग्रीन हाइड्रोजन नीति का प्रमुख उद्देश्य वर्ष 2030 तक राज्य में 2000 केटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन है। 
  • इसके अलावा इस नीति का उद्देश्य है कि रिफाइनरी एवं फर्टिलाइजर प्लांटों की मांग की पूर्ति के लिये न्यूनतम एक ग्रीन हाइड्रोजन वैली की स्थापना की जाए। कम से कम एक गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना के साथ ही भारत से ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात का न्यूनतम 20 फीसदी राजस्थान से आपूर्ति हो तथा राज्य में उत्पादित नेचुरल गैस में 10 फीसदी तक ग्रीन हाइड्रोजन की ब्लेंडिंग है। 
  • नई ग्रीन हाइड्रोजन नीति के अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिये अक्षय ऊर्जा प्लांट स्थापना के लिये भूमि का आवंटन भू राजस्व नियम 2007 के अनुसार किया जाएगा। हाइड्रोजन प्लांट के लिये भूमि औद्योगिक क्षेत्र में रीको द्वारा आवंटित की जाएगी। इसके अलावा निजी भूमि पर भी प्लांट स्थापित किया जा सकता है। 
  • ग्रीन हाइड्रोजन नीति में यह मिलेंगे प्रोत्साहन-
    • नीति में राजस्थान इन्वेस्टमेंट एवं प्रमोशन स्कीम के अनुसार लाभ देय होंगे। जल की उपलब्धता एवं अक्षय ऊर्जा उत्पादन का एक तिहाई बैंकिंग सुविधा भी मिलेगी।  
    • ग्रीन हाइड्रोजन के लिये अक्षय ऊर्जा प्लांट की क्षमता को कॉन्ट्रैक्ट डिमांड से 2.5 गुना तक अनुमत किया जाएगा।  
    • प्लांट स्थापना पर प्रसारण एवं वितरण शुल्क में 10 वर्ष तक 50 फीसदी की छूट मिलेगी।  
    • तीसरे पक्ष से अक्षय ऊर्जा क्रय करने पर अतिरिक्त एवं क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज में 10 वर्षों तक छूट मिलेगी।  
    • ब्रायन वाटर या ट्रीटेड वाटर से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन पर राजकीय भूमि आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी।  
    • ग्रीन हाइड्रोजन उपकरण निर्माण की यूनिट के लिये राजस्थान इन्वेस्टमेंट एवं प्रमोशन स्कीम के अनुसार देय लाभ मिलेगा।  
    • अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिये लागत का 30 फीसदी अनुदान (अधिकतम 5 करोड रुपए तक) मिलेगा।  
    • आरवीएनएल के नेटवर्क पर स्थापित होने वाले प्रथम 500 केटीपीए तक अक्षय ऊर्जा संयंत्र को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा (प्रत्येक प्लांट की अधिकतम 50 विभाग मेगावाट क्षमता तक)।
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