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छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने ‘महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना’ का किया प्रदेशव्यापी शुभारंभ

  • 03 Oct 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

2 अक्टूबर, 2022 को गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ शासन की महत्त्वाकांक्षी ‘महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना’का प्रदेशव्यापी शुभारंभ करते हुए प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। साथ ही रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ‘रीपा’के ‘लोगो’का विमोचन भी किया।

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ग्रामीण गरीब परिवारों के लिये रोज़गार और आय के साधन उपलब्ध कराने के लिये गाँव के गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिये यहाँ विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। इन पार्कों को ग्रामीण उत्पादन एवं सेवा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के स्वावलंबी और आत्मनिर्भर गाँवों के सपने को साकार करने में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। इस योजना के माध्यम से गाँवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मज़बूती से कदम उठाया गया है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किये जा रहे हैं। इसके लिये गौठानों में एक से तीन एकड़ भूमि पार्क के लिये आरक्षित की गई है। प्रथम चरण में प्रत्येक विकास खंड में दो गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • चालू वित्तीय वर्ष के बजट में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के लिये 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। स्वीकृत सभी रूरल इंडस्ट्रियल पार्कों को एक-एक करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है। इस राशि से इन पार्कों में वर्किंग शेड और एप्रोच रोड के निर्माण के साथ बिजली-पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है।
  • ‘सुराजी गाँव योजना’के तहत विकसित किये गए गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, कृषि और उद्यानिकी फसलों तथा लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। साथ ही आटा-चक्की, दाल मिल, तेल मिल की स्थापना भी की जा रही है।
  • इन गतिविधियों में ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं और युवाओं को रोज़गार के साथ आय के अच्छे साधन मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस योजना के लिये नोडल विभाग बनाया गया है। 
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