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बिहार के सीताकुंड मेले का प्रबंधन

  • 31 Jul 2025
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

बिहार के मुंगेर में सीताकुंड मेला, जो राज्य के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन आकर्षणों में से एक है, का प्रबंधन अब बिहार राज्य मेला प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत बिहार राज्य मेला प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा, ताकि मेले के संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके और क्षेत्र में इसका महत्त्व बढ़ाया जा सके

मुख्य बिंदु

मेले के बारे में: 

  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व
    • सीताकुंड मेला प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा (जनवरी अंत या फरवरी) से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा (आमतौर पर मार्च) तक आयोजित होता है, जिसमें मुंगेर और आस-पास के ज़िलों से लाखों लोग आते हैं।
    • प्रत्येक वर्ष लगभग 5,000 विदेशी पर्यटक भी पूजा और पर्यटन के उद्देश्य से मंदिर में आते हैं।
  • सीताकुंड का धार्मिक महत्त्व
    • गंगा नदी के तट पर स्थित सीताकुंड वह स्थल माना जाता है, जहाँ माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी।
    • यहाँ पाँच पवित्र कुंड स्थित हैं, जिनमें से एक कुंड से निरंतर गरम जल बहता है, जो सीता की पवित्रता की अग्नि परीक्षा का प्रतीक है, जबकि अन्य चार कुंडों में ठंडा जल रहता है।
  • मेला प्रबंधन और विकास
    • बिहार राज्य मेला प्राधिकरण के अंतर्गत आने के कारण मेले को अब संगठन, आधारभूत संरचना और प्रबंधन बेहतर होगा।
    • ये मेला न केवल बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिये रोज़गार भी उत्पन्न करता है।

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