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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में भावांतर योजना पुनः प्रारंभ

  • 01 Oct 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश सरकार ने बाज़ार में नुकसान और फसल क्षति का सामना कर रहे सोयाबीन किसानों को उचित मूल्य तथा किसान कल्याण सुनिश्चित करने के लिये मूल्य मुआवजा प्रदान करने के लिये भावांतर योजना (मूल्य न्यूनता भुगतान योजना) को पुनः प्रारंभ किया है।

मुख्य बिंदु

  • योजना के बारे में: 
    • इस योजना का उद्देश्य बाज़ार मूल्यों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बीच के अंतर को पाटना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को वित्तीय क्षति का सामना न करना पड़े।
    • किसानों को समर्थन देने की प्रतिबद्धता के साथ, राज्य सरकार बाज़ार में उतार-चढ़ाव या पीले मोज़ेक रोग जैसी फसल बीमारियों के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करने की योजना बना रही है।
  • पात्रता और पंजीकरण: 
    • किसानों को MSP से कम किसी भी बिक्री मूल्य के लिये मुआवजा प्राप्त करने हेतु भावांतर योजना के तहत अपनी फसलों को पंजीकृत करना होगा, राज्य सरकार सीधे उनके खाते में मूल्य अंतर का भुगतान करेगी।
    • सोयाबीन का MSP 5,328 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन कई किसान वर्तमान में इससे कम मूल्य पर इसे बेच रहे हैं।
  • महत्त्व: 
    • मध्य प्रदेश, जो भारत के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 50% उत्पादन करता है, देश का अग्रणी सोयाबीन उत्पादक राज्य है, जिससे इसे भारत का सोयाबीन कटोरा कहा जाता है।
  • चुनौतियाँ: 
    • महत्त्वपूर्ण योगदान के बावजूद, किसानों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे खराब बाज़ार लाभ, प्राकृतिक आपदाएँ और रोग उनकी आजीविका को प्रभावित करती हैं।
    • भावांतर योजना के पहले कार्यान्वयन (2017) में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें भुगतान में देरी और फसलों की अधिक आपूर्ति शामिल थी, जिसके कारण कीमतों में भारी गिरावट आई तथा अंततः किसानों को नुकसान हुआ।

सोयाबीन की फसल 

  • सोयाबीन भारत में खरीफ की फसल है।
  • सोयाबीन (Glycine max) विश्व की सबसे महत्त्वपूर्ण बीज फली है, जो वैश्विक खाद्य तेल में 25% का योगदान देती है, पशुओं के आहार के लिये विश्व के प्रोटीन सांद्रण का लगभग दो-तिहाई है तथा मुर्गी और मछली के लिये तैयार आहार में एक मूल्यवान घटक है।
  • यह मुख्य रूप से वर्टिसोल और संबद्ध मिट्टी में वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाया जाता है, जहाँ फसल के मौसम में औसत वर्षा 900 मिमी होती है।
    • मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक भारत में प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
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