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उत्तर प्रदेश

बखिरा वन्यजीव अभयारण्य रामसर स्थल घोषित

  • 03 Feb 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

2 फरवरी, 2022 को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हरियाणा के गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के ‘बखिरा वन्यजीव अभयारण्य’ और गुजरात के ‘खिजाड़िया वन्यजीव अभयारण्य’ को रामसर स्थल घोषित किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इन दोनों अभयारण्यों के रामसर स्थल में शामिल होते ही देश में संरक्षित आर्द्रभूमियों की कुल संख्या बढ़कर 49 हो गई है। अब भारत में रामसर स्थलों की संख्या दक्षिण एशिया के देशों में सबसे अधिक हो गई है।
  • इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में रामसर स्थलों की संख्या अब 10 हो गई है- 1. ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव), 2. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य (उन्नाव), 3. साण्डी पक्षी अभयारण्य (हरदोई), 4. समसपुर पक्षी अभयारण्य (रायबरेली), 5. समन पक्षी अभयारण्य (मैनपुरी), 6. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य (गोंडा), 7. सरसई नावर झील (इटावा), 8. सुर सरोवर झील/कीथम झील (आगरा), 9. हैदरपुर वेटलैंड, 10. बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (संत कबीर नगर)।
  • उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जनपद में स्थित बखिरा वन्यजीव अभयारण्य बड़ी संख्या में मध्य एशियाई पक्षियों की प्रजातियों के लिये सर्दियों में सुरक्षित और अनुकूल स्थल प्रदान करता है।
  • इस अवसर पर भारत की आर्द्रभूमि (भौतिक रूप से) पर अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) द्वारा तैयार किया गया ‘राष्ट्रीय आर्द्रभूमि दशकीय परिवर्तन एटलस’ भी जारी किया गया, जो पिछले एक दशक में आर्द्रभूमि में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डालता है। 
  • उल्लेखनीय है कि रामसर संधि आर्द्रभूमि के संरक्षण और कुशलता से उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिस पर 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षर किये गए थे।
  • आर्द्रभूमि पर संधि को लागू करने की तिथि के प्रतीक के रूप में हर साल 2 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। यह लोगों और हमारी धरती के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
  • इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय  ‘लोगों और प्रकृति के लिये आर्द्रभूमि की भूमिका’ है, जो मानव और धरती के स्वास्थ्य के लिये आर्द्रभूमि के संरक्षण तथा सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये किये जाने वाले कार्यों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
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