मध्य प्रदेश
वार्षिक ‘हिंगोट युद्ध’ महोत्सव
- 23 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
वार्षिक ‘हिंगोट युद्ध’ (आग का गोला युद्ध) महोत्सव 21 अक्तूबर, 2025 को मध्य प्रदेश के इंदौर से लगभग 59 किलोमीटर दूर देपालपुर तहसील के अंतर्गत गौतमपुरा गाँव में शुरू हुआ।
मुख्य बिंदु
- परिचय: यह उत्सव 17 वीं -18 वीं शताब्दी के मुगल-मराठा संघर्षों की याद में प्रत्येक वर्ष 'धोक पड़वा' ( दिवाली के एक दिन बाद) पर आयोजित किया जाता है।
- सांस्कृतिक महत्त्व: स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, हिंगोट युद्ध की उत्पत्ति गुर्जर सैनिकों की योद्धा परंपराओं से हुई, जो बाद में वास्तविक युद्ध समाप्त होने के बाद एक प्रतीकात्मक और उत्सवपूर्ण खेल के रूप में विकसित हो गया।
- यह क्षेत्र, जिसमें मुख्यतः गुर्जर समुदाय निवास करता है, अपनी सैन्य परंपराओं, बहादुरी और घुड़सवारी के लिये जाना जाता है।
- त्यौहार अनुष्ठान:
- यह कार्यक्रम सूर्यास्त के बाद शुरू होता है।
- ग्रामीण लोग प्रार्थना करने के लिये मंदिर में एकत्र होते हैं, जिसके बाद अग्नि-गोलों की लड़ाई शुरू होती है।
- नदी के विपरीत किनारों पर स्थित गौतमपुरा और रुंजी के ग्रामीण इस अनुष्ठानिक युद्ध में भाग लेते हैं।
- गौतमपुरा निवासी तुर्रा सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- रुंजी गाँववासी कलंगी सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- हिंगोट: "हिंगोट" एक स्थानीय फल है जिसे तोड़कर, सुखाकर, बारूद से भर दिया जाता है, फिर एक लकड़ी की छड़ी से बांधकर जलाया जाता है और विरोधियों पर फेंका जाता है, जो रॉकेट की तरह हवा में उड़ता है।