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उत्तर प्रदेश

गंगा-यमुना दोआब में प्राचीन नदी के साक्ष्य प्राप्त

  • 09 Sep 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

प्रयागराज में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (नमामि गंगे) के अंतर्गत संचालित एक प्रमुख जलभृत मानचित्रण परियोजना के तहत, प्रयागराज और कानपुर के मध्य विस्तृत गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में एक लुप्त प्राचीन नदी के अस्तित्व के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

मुख्य बिंदु

नदी के बारे में: 

  • पैलियो-चैनल मैपिंग से पता चला है कि यह नदी लगभग 200 किमी लंबी और 4 किमी चौड़ी तथा 15 से 25 मीटर गहरी है।
  • नदी के प्राचीन मार्ग का पता लगाने और भूमिगत जलाशयों का मानचित्रण करने के लिये उपग्रह चित्रों तथा भू-स्थानिक आँकड़ों (Geospatial Data) का उपयोग किया गया।
  • इस प्राचीन नदी में लगभग 3,500–4,000 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) तक जल भंडारण की क्षमता है।

जलभृत मानचित्रण परियोजना

  • परिचय: 
    • स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली, रिमोट सेंसिंग तथा ड्रोन आधारित निगरानी जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों द्वारा समर्थित यह जलभृत मानचित्रण परियोजना, गंगा के सतत् कायाकल्प में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
  • कार्यान्वयन
    • यह परियोजना उत्तर प्रदेश राज्य भूजल एवं सिंचाई विभाग के सहयोग से संचालित की जा रही है।
  • प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण (MAR) स्थल
    • अब तक 150 से अधिक MAR स्थलों की पहचान की गई है, जहाँ भूजल स्तर को बढ़ाने और नदी के आधार प्रवाह को बनाए रखने हेतु पुनर्भरण संरचनाएँ स्थापित की जाएंगी।
  • चरण
    • परियोजना के प्रथम चरण में 20–25 MAR स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
    • इन पुनर्भरण संरचनाओं का मानक आकार 5 मीटर × 5 मीटर × 3 मीटर रखा गया है, जिन्हें भूजल स्तर में सुधार और नदी में सतत् जल प्रवाह बनाए रखने के उद्देश्य से विकसित किया गया है।
  • प्रौद्योगिकी
  • महत्त्व
    • इस परियोजना का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और जल की कमी जैसी चुनौतियों को कम करना है। साथ ही, यह पहल गंगा और अन्य नदियों को भावी पीढ़ियों के लिये संरक्षित करने तथा भूमिगत जलाशय प्रणालियों व उन्नत प्रौद्योगिकियों के माध्यम से दीर्घकालिक समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

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