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बिहार

गुरु-शिष्य परंपरा योजना

  • 09 Sep 2025
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने मुख्यमंत्री गुरु-शिष्य परंपरा योजना शुरू की है। 

मुख्य बिंदु

योजना के बारे में: 

  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य अनुभवी गुरु और युवा शिष्यों के बीच पारंपरिक गुरु-शिष्य प्रणाली के माध्यम से दुर्लभ लोक कलाओं, संगीत परंपराओं और चित्रकला को पुनर्जीवित करना है।
    • इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एक भव्य दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा, जहाँ प्रशिक्षु अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
  • वित्तपोषण: 
    • बिहार सरकार ने इस योजना के लिये 1.11 करोड़ रुपये मंज़ूर किये हैं।
  • प्रारूप और वित्तीय सहायता: 
    • कुल 20 गुरु, 20 संगतकार और 160 शिष्यों का चयन किया जाएगा।
    • वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी।
    • चयनित गुरुओं को प्रति माह 15,000 रुपये, संगतकारों को 7,500 रुपये और शिष्यों को 3,000 रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी।
    • चयनित कला रूपों में दो वर्ष का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
    • प्रत्येक प्रतिभागी को प्रति माह कम-से-कम 12 दिन उपस्थित रहना होगा।
  • पात्रता:
    • गुरु की आयु 50 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिये।
    • गुरु बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिये।
    • गुरु के पास संबंधित दुर्लभ या लुप्तप्राय कला रूप में कम-से-कम 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिये।
    • गुरु के पास उचित आवास या प्रशिक्षण स्थल होना चाहिये तथा प्रशिक्षण केंद्र तक पहुँच भी होनी चाहिये।
  • महत्त्व:
    • वरिष्ठ कलाकारों को सम्मानजनक मासिक आय प्राप्त होगी, जिससे उनकी आजीविका सुनिश्चित होगी।
    • पारंपरिक और लुप्तप्राय कला रूपों को पुनर्जीवित और संरक्षित किया जाएगा।
    • युवा प्रतिभाओं, विशेषकर ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों से, को अपने कौशल को संवर्द्धित करने का एक मंच मिलेगा।

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