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छत्तीसगढ़

राज्य के 2201 गौठान हुए स्वावलंबी

  • 07 Jan 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों 

6 जनवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्त्वपूर्ण ‘सुराजी गाँव योजना’ के ‘गरूवा’ घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित 7889 गौठानों में से 2201 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • स्वावलंबी गौठान गोबर खरीदी से लेकर वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिये स्वयं के पास उपलब्ध राशि का उपयोग करने लगे हैं। 
  • रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 249 गौठान स्वावलंबी हुए हैं। दूसरे नंबर पर महासमुंद एवं कोरबा जिले हैं जिनके 170-170 गौठान तथा तीसरे क्रम पर कबीरधाम जिले में 141 गौठान स्वावलंबी हुए हैं।
  • जांजगीर-चांपा में 105, कांकेर में 104, राजनांदगाँव जिले में 101, दुर्ग में 86, बलौबाजार में 84, धमतरी में 80, बिलासपुर में 76, रायपुर में 75, कोरिया में 73, जशपुर में 70, बालोद में 67, बेमेतरा में 66, सरगुजा में 65, मुंगेली में 62, सूरजपुर में 56, बलरामपुर में 55, सुकमा जिले में 52, कोंडागाँव में 46, दंतेवाड़ा व बस्तर में 35-35, गरियाबंद व गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 25-25, बीजापुर में 22 तथा नारायणपुर में 6 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं।
  • गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार द्वारा अब तक 10591 गाँवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमें से 7889 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहाँ पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं। 
  • गौठानों में पशुधन के देखरेख, चारे-पानी एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर पशुधन के चारे के लिए किसानों द्वारा पैरा दान किया जा रहा है। 
  • अब तक 7 लाख 32 हजार 886 क्विंटल से अधिक पैरा गौठानों में दान के माध्यम से संग्रहीत किया गया है। इसके अलावा गौठानों में पशुओं के लिये हरे चारे के इंतजाम के लिये हाईब्रिड नेपियर ग्रास का रोपण एवं अन्य चारे की बुआई भी की गई है।
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