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पीआरएस कैप्सूल्स


विविध

जून 2022

  • 02 Jul 2022
  • 30 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

   रक्षा  

अग्निपथ योजना

सरकार ने तीनों सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) में सैनिकों की भर्ती के लिये अग्निपथ योजना का अनावरण किया है। योजना के अंतर्गत भर्ती किये गए उम्मीदवार चार वर्ष हेतु सेवारत रहेंगे और उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा।

अग्निपथ योजना की मुख्य विशेषताएँ:

  • पात्रता मापदंड:
    • यह केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिये है (जो कमीशन अधिकारी के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)।
      • कमीशन अधिकारी सेना के उच्चतम रैंक के अधिकारी हैं।
      • कमीशन अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों में एक विशेष रैंक रखते हैं। वे अक्सर राष्ट्रपति की संप्रभु शक्ति के तहत कमीशन किये जाते हैं और उन्हें आधिकारिक तौर पर देश की रक्षा करने का निर्देश होता है।
    • 5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के लिये पात्र होंगे।

स्थायी नामांकन:

  • चार साल की सेवा पूरी करने के बाद अग्निवीर सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिये आवेदन कर सकते हैं।
  • यह योजना देशभक्त और अभिप्रेरित युवाओं को चार वर्ष की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने का अवसर देगी।
  • सेना में शामिल होने वाले इन युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा।
  • हालांँकि चार साल के बाद बैच के केवल 25% सैनिकों को ही 15 साल की अवधि के लिये उनकी संबंधित सेवाओं में पुनः भर्ती किया जाएगा।

अग्निवीरों को लाभ:

  • सेवा के 4 वर्ष पूरे होने पर अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपए का एकमुश्त 'सेवा निधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा जिसमें उनके द्वारा अर्जित ब्याज शामिल होगा।
  • उन्हें चार साल के लिये 48 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर भी मिलेगा।
  • मृत्यु के मामले में भुगतान न किये गए कार्यकाल के लिये वेतन सहित 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी जाएगी।
  • सरकार चार साल बाद सेवा छोड़ने वाले सैनिकों के पुनर्वास में मदद करेगी। उन्हें स्किल सर्टिफिकेट और ब्रिज कोर्स (Bridge Courses) प्रदान किये जाएंगे।

आरक्षण:

  • रक्षा मंत्रालय में 10% रिक्तियाँ अग्निवीरों के लिये आरक्षित होंगी।
  • आरक्षण डिफेंस सिविलियन पदों, भारतीय तटरक्षक बल और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में लागू किया जाएगा।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति 

केंद्र सरकार ने वायुसेना विनियमन, 1964, नैवल समारोह, सेवा की शर्तें और विविध विनियमन, 1963 तथा सेना के नियम, 1954 में संशोधन करके चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff- CDS) की नियुक्ति के मानदंडों को बदल दिया है।

CDS की भूमिका

  • CDS एक ‘फोर स्टार जनरल/ऑफिसर’ होता है जो सभी तीनों सेवाओं (थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना) के मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है।

भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ

  • CDS ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है जिसमें तीनों सेवाओं के प्रमुख सदस्य होंगे।
    • उसका मुख्य कार्य भारतीय सेना की त्रि-सेवाओं के बीच अधिक-से-अधिक परिचालन तालमेल को बढ़ावा देना और अंतर-सेवा विरोधाभास को कम-से-कम करना है।
  • वह रक्षा मंत्रालय में नवनिर्मित सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का प्रमुख भी होता है।
    • वह सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेगा, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षा मंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में सलाह देना जारी रखेंगे।
    • DMA के प्रमुख के तौर पर CDS को चीफ ऑफ स्टाफ समिति के स्थायी अध्यक्ष के रूप में अंतर-सेवा खरीद निर्णयों को प्राथमिकता देने का अधिकार प्राप्त है।
  • CDS को तीनों प्रमुखों को निर्देश देने का अधिकार भी दिया गया है।
    • हालाँकि उसे किसी भी सेना के कमांड का अधिकार प्राप्त नहीं है।
  • CDS का पद समकक्षों में प्रथम है, उसे DoD (रक्षा विभाग) के भीतर सचिव का पद प्राप्त है और उसकी शक्तियांँ केवल राजस्व बजट तक ही सीमित रहेंगी।
  • वह परमाणु कमान प्राधिकरण (NCA) में सलाहकार की भूमिका भी निभाएगा।

नियुक्ति के लिये परिवर्तित मानदंड

  • संशोधित विनियमों के अनुसार, सरकार किसी भी सेवारत या सेवानिवृत्त एयर मार्शल या वायु सेना के एयर चीफ मार्शल, नौसेना के वाइस एडमिरल या एडमिरल और सेना के लेफ्टिनेंट जनरल या जनरल को CDS के रूप में नियुक्त कर सकती है।
  • इससे पहले केवल तीन सशस्त्र सेवाओं के प्रमुखों को CDS के रूप में नियुक्त किया जा सकता था।
  • सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति के लिये संबंधित व्यक्तियों की आयु 62 वर्ष से कम होनी चाहिये।
  • CDS का कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जा सकता है।

  वित्त  

सहकारी बैंकों के लिये आवास ऋण की सीमा बढ़ाई

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में शहरी सहकारी बैंकों (UCB), राज्य सहकारी बैंकों (SCB) और ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) द्वारा दिये जाने वाले व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा बढ़ा दी है।

प्रमुख हाइलाइट्स:

  • वर्ष 2011 के बाद यह पहली बार है कि इन सीमाओं में संशोधन किया गया है, चूँकि घरों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।
  • राज्य सहकारी बैंकों और ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक अचल संपत्ति में आवासीय आवासों (Residential Housing) के लिये वित्त प्रदान करने की अनुमति दी गई है।
  • इसमें आवासीय आवास परियोजनाओं के लिये बिल्डरों/डेवलपर्स को ऋण देना शामिल हैं।
  • यह ऋण कुल संपत्ति के 5% की वर्तमान कुल आवास वित्त सीमा के भीतर होना चाहिये।

  संचार  

5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5G सेवाओं के लिये स्पेक्ट्रम की नीलामी के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

5जी तकनीक:

परिचय:

  • 5G, 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है।
  • यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है।
  • यह एक ऐसी प्रणाली को सक्षम बनाता है जिसमें मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों को परस्पर नेटवर्क के माध्यम से जोड़कर इनका संचालन व इनके मध्य समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

महत्त्व:

  • सामान्यत: 5G का उपयोग तीन मुख्य प्रकार की कनेक्टेड सेवाओं में किया जाता है, जिसमें उन्नत मोबाइल ब्रॉडबैंड, महत्त्वपूर्ण संचार मिशन और बड़े पैमाने पर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) शामिल हैं।
  • IoT, क्लाउड, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एज कंप्यूटिंग के साथ 5G चौथी औद्योगिक क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक हो सकता है।
  • 5G तकनीक से देश के शासन में सकारात्मक बदलाव, जीवन में सुगमता और व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे सुविधाएँ भी बढेंगी और रोज़गार के कई अवसर पैदा होंगे।

प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएँ:

  • निम्नलिखित आवृत्ति बैंड में कुल 72,098 मेगाहर्ट्ज़ (मेगाहर्ट्ज़) स्पेक्ट्रम नीलामी के लिये होगा:
    • कम आवृत्ति: 600 मेगाहर्ट्ज़, 700 मेगाहर्ट्ज़, 800 मेगाहर्ट्ज़, 900 मेगाहर्ट्ज़, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज़ और 2300 मेगाहर्ट्ज़।
    • मध्य आवृत्ति: 3300 मेगाहर्ट्ज़।
    • उच्च आवृत्ति: 26 गीगाहर्ट्ज़।

आवंटन के लिये मुख्य नियम और शर्तें हैं:

  • आवंटन अवधि 20 वर्ष होगी,
  • बोली राशि का अग्रिम भुगतान करना आवश्यक नहीं है, भुगतान 20 समान वार्षिक किश्तों में किया जा सकता है,
  • आवर्ती स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क लागू नहीं होगा,
  • शेष किश्तों के लिये भविष्य की कोई देयता न होने के साथ 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम को सरेंडर किया जा सकता है।

  वाणिज्य  

वाणिज्य पर स्थायी समिति

वाणिज्य पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: वी.वी. रेड्डी) ने 'भारत में ई-कॉमर्स के संवर्द्धन और विनियमन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

समिति का प्रमुख अवलोकन:

  • ई-कॉमर्स एंटिटीज़ के बीच प्रतिस्पर्द्धा का मुद्दा:
    • प्लेटफॉर्म न्यूट्रिलिटी की कमी, यानी पसंदीदा विक्रेताओं को वरीयता दी जाती है,
    • डीप डिस्काउंटिंग, यानी पसंदीदा विक्रेताओं को प्लेटफॉर्म द्वारा चुनींदा रूप से वित्तपोषित किया जाता है
    • सर्च रैंकिंग में पारदर्शिता की कमी
    • डेटा का दुरुपयोग
  • FDI नीति:
    • ई-कॉमर्स पर एफडीआई नीति में FDI -समर्थित ई-कॉमर्स संस्थाओं को केवल एक मार्केटप्लेस के रूप में काम करने की अनुमति है।
    • समिति ने गौर किया कि यह नीति ई-मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्द्धा विरोधी कार्य पद्धतियों को रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हुई है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें:

  • समिति ने ऐसी नीति बनाने का सुझाव दिया जो मार्केटप्लेस और ई-कॉमर्स के इनवेंटरी आधारित मॉडल्स को परिभाषित करती है।
  • उसने सुझाव दिया कि मार्केटप्लेस-कॉमर्स एंटिटीज़ को निम्नलिखित कार्य करना चाहिये।
    • उसे ऐसी वस्तुएँ नहीं बेचनी चाहिये जिन पर उनका स्वामित्व हो या जो उनके नियंत्रण में हो।
    • प्लेटफॉर्म पर अपनी वस्तुएँ बेचने वाले विक्रेताओं के साथ कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं होना चाहिये।
    • प्लेटफॉर्म पर तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को अपने ब्रांड की लाइसेंसिंग से रोका जाना चाहिये।
  • समिति ने चुनींदा छूट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खरीदारों एवं विक्रेताओं के मनमाने वर्गीकरण पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया।
  • डेटा हैंडलिंग और सर्च रैंकिंग की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिये समिति ने सुझाव दिया कि सरकार को प्लेटफॉर्म पर डेटा के संग्रह, इसके उपयोग और तीसरे पक्ष के साथ उसकी शेयरिंग को रेगुलेट करने के लिये स्पष्ट नीति बनानी चाहिये।
  • इसके अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को रैंकिंग तय करने के मानदंड और प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने के लिये ज़रूरी नियमों और शर्तों को प्रकाशित करना चाहिये, जैसे प्लेटफॉर्म फीस, कमीशन और शुल्क।
    • इन नियमों और शर्तों का एकतरफा संशोधन जो किसी भी स्टेकहोल्डर के लिये हानिकारक हो सकता है, को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।
  • समिति ने कहा कि विदेशी और घरेलू स्तर पर वित्तपोषित मार्केटप्लेस, दोनों में इन समस्याओं को दूर करने के लिये एक ढाँचा होना चाहिये।
  • समिति ने राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति में ऐसे किसी फ्रेमवर्क को शामिल करने का सुझाव दिया।

  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग  

न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन (संशोधन) नियम, 2022 का मसौदा जारी किया।

  • मसौदा नियम मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत प्रकाशित किये गए हैं और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन करना चाहते हैं।
  • मसौदा नियम कारों के दुर्घटना सुरक्षा प्रदर्शन का आकलन करने के लिये भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) शुरू करने का प्रयास करते हैं।

BNCAP की मुख्य विशेषताएँ

  • इस योजना के तहत 3.5 टन तक वजन और अधिकतम आठ यात्रियों (चालक को छोड़कर) वाली कारों का आकलन किया जाएगा।
    • कारों का निर्माण देश में किया जा सकता है या उन्हें आयात किया जा सकता है।
  • मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त टेस्टिंग एजेंसियाँ, जिनके पास टेस्टिंग का बुनियादी ढाँचा, कुशल कार्यबल और सिद्ध टेस्टिंग रिकॉर्ड है, उन्हें कारों का आकलन करने और स्टार रेटिंग प्रदान करने के लिये अधिकृत किया जाएगा।
  • तीन क्षेत्रों में कार के प्रदर्शन के आधार पर स्टार रेटिंग प्रदान की जाएगी:
    (I) वयस्क सवार की सुरक्षा,
    (II) बाल सवार की सुरक्षा,
    (III) सुरक्षा सहायता तकनीक।
  • BNCAP एक स्वैच्छिक कार्यक्रम होगा जिसकी निगरानी BNCAP प्राधिकरण द्वारा की जाएगी।
  • मसौदा नियमों को 1 अप्रैल, 2023 से लागू करने का प्रस्ताव है।
    • मसौदा नियमों के अनुसार, कार निर्माता स्टार रेटिंग के लिये BNCAP प्राधिकरण को आवेदन भेज सकते हैं।
    • परीक्षण एजेंसी तब परीक्षण करेगी जब BNCAP प्राधिकरण एक निर्दिष्ट पोर्टल पर परिणाम प्रकाशित करेगा।

  स्वास्थ्य  

कोविड-19 वैक्सीन, जेमकोवैक

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने वयस्कों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए जेमकोवैक को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइज़ेशन दे दिया है।

  • जेमकोवैक भारत का पहला स्वदेशी mRNA COVID-19 वैक्सीन है।
  • इसे जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित किया गया है।

mRNA वैक्सीन प्रौद्योगिकी

  • परिचय:
    • mRNA वैक्सीन हमारी कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने का तरीका सिखाने के लिये mRNA का उपयोग करती है और यह प्रोटीन हमारे शरीर के अंदर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को शुरू करता है।
    • जब वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जो एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, हमें संक्रमित होने से बचाती है।
  • महत्त्व:
    • स्वदेशी रूप से विकसित mRNA वैक्सीन अन्य संक्रामक रोगों जैसे कि तपेदिक, डेंगू बुखार, मलेरिया, चिकनगुनिया, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों और अन्य रोगों से निपटने में सक्षम है।
      • इन वैक्सीन का उपयोग विभिन्न प्रकार के पैन-कोविड -19 वैक्सीन को कवर करने के लिये किया जा सकता है।
      • इससे अन्य बीमारियों के लिये भी वैक्सीन विकसित किये जा सकते हैं।
  • आपातकालीन उपयोग के लिये अधिकृत अन्य टीके:
    • कोविशील्ड
    • कोवैक्सिन
    • स्पुतनिक-वी
    • mRNA-1273 (मॉडर्ना वैक्सीन)
    • जेनसेन
    • ZyCov-D
    • कोवोवैक्स
    • कॉर्बेवैक्स
    • स्पुतनिक लाइट।
  • ये वैक्सीन्स 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को दी जा सकती हैं।
  • कोवैक्सीन और कोरबेवैक्स 12-18 वर्ष की आयु के बच्चों को भी दी जा सकती हैं।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी नियम

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) अधिनियम, 2021 के तहत सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी नियम, 2022 को अधिसूचित किया।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) अधिनियम, 2021:

  • सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) अधिनियम, 2021 देश में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं के नियमन के लिये प्रावधान करने का प्रयास करता है।
  • अधिनियम के अनुसार, ART में ऐसी सभी तकनीक शामिल हैं जिनमें मानव शरीर के बाहर स्पर्म या ओसाइट (अपरिपक्व एग सेल) को रखकर किसी महिला की प्रजनन प्रणाली में गैमेट या भ्रूण को प्रत्यारोपित करके गर्भावस्था हासिल की जाती है।
    • उदाहरणों में गैमेट डोनेशन, इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन और जेस्टेशनल सेरोगेसी शामिल हैं।
  • ART सेवाएँ ART क्लीनिकों के माध्यम से प्रदान की जाती हैं जो ART से संबंधित उपचार और प्रक्रियाओं की पेशकश करते हैं और ART बैंक जो गैमेट्स को स्टोर एवं आपूर्ति करते हैं।
  • अधिनियम के तहत प्रत्येक ART क्लिनिक और बैंक को राष्ट्रीय सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी रजिस्ट्री में पंजीकृत होना चाहिये।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) नियम, 2022 की मुख्य विशेषताएँ

  • क्लिनिक्स के दो स्तर:
    • स्तर 1 ART क्लिनिक, जहाँ शुरुआती जाँच और अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान प्रक्रियाएँ (जिसमें फर्टिलाइजेशन के लिये स्पर्म सीधा यूट्रेस में रखा जाता है) की जा सकती हैं।
    • स्तर 2 ART क्लिनिक, जहाँ सभी प्रकार की जाँच और डायग्नॉस्टिक एवं थेराप्यूटिक प्रक्रिया की जा सकती हैं। इसमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी उन्नत प्रक्रियाएँ शामिल हैं जिसमें मानव शरीर के बाहर ओसाइट को स्पर्म के साथ कंबाइन किया जाता है।
  • ART बैंक्स और क्लिनिक्स की ज़िम्मेदारियाँ:
    • सीमन डोनर्स और ओसाइट डोनर्स की स्क्रीनिंग, संग्रह और पंजीकरण।
    • स्पर्म का क्रायोप्रिज़र्वेशन।
    • सभी डोनर्स के रिकॉर्ड्स को मेनटेन करना और उन्हें राष्ट्रीय रजिस्ट्री में इन सूचनाओं को नियमित रूप से अपडेट करना।
  • ART क्लीनिक की ज़िम्मेदारियाँ:
    • उपयोग न होने वाले सभी गैमेट्स या एंब्रेयो को संरक्षित रखा जाए और उसी प्राप्तकर्त्ता के लिये इस्तेमाल किया जाए, न कि किसी अन्य जोड़ेहेतु।
    • उन एंब्रेयोज़ को इंप्लांट करने से पहले उनकी जेनेटिक टेस्टिंग की गई है जिन्हें पहले से कोई जेनेटिक बीमारी है या जब उसका मेडिकल संकेत मिल गया हो।
    • इंप्लांटेशन से पहले लिंग चयन के उद्देश्य से या भावी माता-पिता की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के चलते विशेष लक्षणों के चयन के लिये कोई आनुवंशिक परीक्षण नहीं किया जाता है।
    • नियमों के अनुसार भावी माता-पिता से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करा लिये जाते हैं
    • कमीशनिंग जोड़े/महिला ने ओसाइट डोनर के लिये 12 महीने की अवधि हेतु बीमा कवरेज खरीदा हो।

सरोगेसी को विनियमित करने के नियम

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया।

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021

  • अधिनियम सेरोगेसी को ऐसी पद्धति के रूप परिभाषित करता है जिसमें एक महिला किसी इच्छुक जोड़े/महिला के लिये बच्चे को जन्म देती है और उसके बाद बच्चे को उन्हें सौंपने को राजी होती है।
  • इच्छुक दंपत्ति वह होता है जिसके पास सेरोगेसी की आवश्यकता का मेडिकल इंडिकेशन (संकेत) होता है।
  • इच्छुक महिला (उसे भारतीय और विधवा या तलाकशुदा होना चाहिये और उसकी आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिये) भी सेरोगेसी करा सकती है।

सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 की मुख्य विशेषताएँ

  • सरोगेसी की आवश्यकता वाले चिकित्सा संकेत:
    • एक महिला सेरोगेसी का विकल्प चुन सकती है, अगर उसके पास यूट्रेस नहीं है, उसका यूट्रेस मिसिंग है, उसका यूट्रेस असामान्य है या अगर मेडिकल स्थिति की वजह से उसका यूट्रेस सर्जिकली निकाला जा चुका है।
    • अगर जोड़ा/महिला इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन या इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन (जब स्पर्म को सीधे एग में इंजेक्ट किया जाता है) के लिये कई बार कोशिश करने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाती है।
    • महिला को अस्पष्ट चिकित्सा कारण या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण अस्पष्ट ग्राफ्ट अस्वीकृति के परिणामस्वरूप कई बार प्रेग्नेंसी का नुकसान हो चुका है।
    • जब प्रेग्नेंसी से जान को जोखिम हो
    • महिला को कोई ऐसी बीमारी हो कि प्रेग्नेंसी को व्य़ावहारिकता तक ले जाना संभव न हो।
  • सेरोगेसी प्रक्रिया के तौर-तरीके:
    • नियमों के अनुसार, सरोगेट माता पर सेरोगेसी प्रक्रिया की कोशिश तीन बार से अधिक नहीं की जाएगी।
    • इसके अतिरिक्त स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा उपचार के दौरान सरोगेट माता के यूट्रेस में सिर्फ एक एंब्रेयो को ट्रांसफर किया जाएगा।
    • विशेष परिस्थितियों में स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा तीन एंब्रेयो (भ्रूणों) को ट्रांसफर किया जा सकता है।
  • कर्मचारी:
    • हर सेरोगेसी क्लिनिक में कम-से-कम स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक एनाथीसिस्ट, एक एंब्रेयोलॉजिस्ट और एक काउंसलर होगा।
    • स्त्री रोग विशेषज्ञ को गायनाकोलॉजी और अब्स्टेट्रीक्स में मेडिकल पोस्ट-ग्रैजुएट होना चाहिये।
    • उसका 50 ओवम (मैच्योर एग) रीट्रिवल प्रोसेस करने का रिकॉर्ड होना चाहिये।
    • उसे सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लिनिक में तीन साल काम करने का अनुभव होना चाहिये।
  • बीमा:
    • इच्छुक महिला या जोड़ा को सेरोगेट माता के लिये 36 महीने की अवधि हेतु सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवरेज खरीदना होगा।
    • इस बीमा कवर में प्रेग्नेंसी और प्रसव बाद की समस्याओं का खर्च पर्याप्त रूप से कवर होना चाहिये।

  नागरिक उड्डयन  

राष्ट्रीय वायु खेल नीति  

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय वायु खेल नीति 2022 (NASP 2022) लॉन्च की है। मसौदा नीति जनवरी 2022 में जारी की गई थी।

  • वायु खेलों में हवा में खेले जाने वाले पैराशूटिंग और हैंड ग्लाइडिंग जैसे कई खेल शामिल हैं। इस नीति में 11 एयर स्पोर्ट्स शामिल हैं।
  • इस नीति का दृष्टिकोण वर्ष 2030 तक भारत को शीर्ष एयर स्पोर्ट्स (Air Sports) राष्ट्रों में शामिल करना है।

राष्ट्रीय वायु खेल नीति 2022

  • उद्देश्य:
    • देश में वायु खेल संस्कृति को बढ़ावा देना।
    • वायु खेल के बुनियादी ढांँचे, उपकरण, संचालन, रखरखाव और प्रशिक्षण सहित सुरक्षा में अंतर्राष्ट्रीय अच्छी प्रथाओं को अपनाने में सक्षम बनाना।
    • एक सरल, हितधारक-अनुकूल और प्रभावी शासन संरचना विकसित करना।
    • वैश्विक वायु खेल आयोजनों में भारतीय खिलाड़ियों की भागीदारी और सफलता को बढ़ाना।
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप भारत में वायु खेल उपकरणों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण को बढ़ावा देना।
  • 4-स्तरीय शासन संरचना:
    • एयर स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (ASFI) सर्वोच्च शासी निकाय के रूप में।
      • ASFI नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय होगा और हवाई खेलों के सभी पहलुओं जैसे विनियमन, प्रमाणन एवं दंड पर शासन प्रदान करेगा।
      • इसकी अध्यक्षता नागरिक उड्डयन मंत्रालय का सचिव करेगा।
    • व्यक्तिगत वायु खेलों के लिये राष्ट्रीय संघ या उपयुक्त के रूप में वायु खेलों का एक संघ।
    • क्षेत्रीय (जैसे पश्चिम / दक्षिण / उत्तर-पूर्व आदि) या राष्ट्रीय वायु खेल संघों की राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्तर की इकाइयाँ।
    • ज़िला स्तरीय वायु खेल संघ, जैसा उपयुक्त हो।

शामिल खेल:

  • एयरोबेटिक्स, एयरो मॉडलिंग और मॉडल रॉकेट, प्रायोगिक विमान, बैलूनिंग, ड्रोन, ग्लाइडिंग तथा पावर्ड ग्लाइडिंग, हैंड ग्लाइडिंग एवं पावर्ड हैंड ग्लाइडिंग, पैराशूटिंग (स्काई डाइविंग, बेस जंपिंग और विंग सूट आदि सहित), पैराग्लाइडिंग व पैरा मोटरिंग ( पावर्ड पैराशूट ट्राइक आदि सहित), पावर्ड एयरक्राफ्ट (अल्ट्रा लाइट, माइक्रो लाइट तथा लाइट स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट आदि सहित), रोटरक्राफ्ट (ऑटोगाइरो सहित)।
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