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पीआरएस कैप्सूल्स


विविध

दिसंबर 2022

  • 31 Dec 2022
  • 29 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

  वित्त  

IRDAI (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) विनियम, 2022

  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) ने IRDAI (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) विनियम, 2022 को अधिसूचित किया।
    • विनियम भारतीय बीमा कंपनियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। 
    • वे बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) विनियम, 2000, और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (बीमा कंपनियों के इक्विटी शेयरों का हस्तांतरण) विनियम, 2015 को निरस्त करते हैं।

 2022 के विनियमों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • अनुमत बीमा व्यवसाय: ये विनियम बीमा व्यवसाय के कुछ वर्गों के लिये निर्धारित हैं जिसके तहत पंजीकरण हेतु आवेदन किया जाना चाहिये। इनमें शामिल हैं: 
    (i) जीवन बीमा
    (ii) सामान्य बीमा
    (iii) स्वास्थ्य बीमा 
    (iv) पुनर्बीमा 
  • एक आवेदक पंजीकरण के लिये आवेदन करने हेतु पात्र नहीं होगा, यदि
    (i) पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान IRDAI द्वारा पंजीकरण हेतु आवेदन को खारिज कर दिया गया है या आवेदक द्वारा आवेदन वापस ले लिया गया है। 
    (ii) पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान पंजीकरण का प्रमाण पत्र IRDAI द्वारा रद्द कर दिया गया है।
    (iii) आवेदक के नाम में बीमा, आश्वासन या पुनर्बीमा शब्द नहीं है।
  • विदेशी निवेश: 
    • यदि एक भारतीय बीमा कंपनी के पास विदेशी निवेश है, तो इसके अधिकांश निदेशक और प्रमुख प्रबंधन व्यक्ति और इसके अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यकारी अधिकारी में से कम-से-कम एक निवासी भारतीय नागरिक होना चाहिये। 
    • यदि विदेशी निवेश 49% से अधिक हो जाता है, तो शुद्ध लाभ का कम-से-कम 50% सामान्य रिज़र्व में रखा जाएगा।
    • यह एक वित्तीय वर्ष में किया जाना चाहिये जब इक्विटी शेयरों पर लाभांश का भुगतान किया जाता है या सॉल्वेंसी मार्जिन (देयताओं से अधिक संपत्ति) सॉल्वेंसी के नियंत्रण स्तर (IRDAI द्वारा निर्धारित) के 1.2 गुना से कम है। 
    • 49% से अधिक विदेशी निवेश वाली बीमा कंपनियों के लिये बोर्ड में कम-से-कम आधे स्वतंत्र निदेशक होने चाहिये। यदि अध्यक्ष एक स्वतंत्र निदेशक है, तो शेष निदेशकों में से कम-से-कम एक-तिहाई को स्वतंत्र होना चाहिये।

  ऊर्जा  

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 को संसद ने पारित कर दिया है।  विधेयक ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन का प्रयास करता है। 

  • अधिनियम ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें घरेलू उपयोग के उपकरणों, भवनों तथा उद्योगों द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा के विनियमन का प्रावधान है। 

विधेयक के मुख्य प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ऊर्जा के गैर-जीवाश्म स्रोतों का उपयोग करने की बाध्यता:
    • अधिनियम केंद्र सरकार को ऊर्जा उपयोग के मानकों को निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। विधेयक इसमें यह जोड़ता है कि सरकार किसी निर्दिष्ट उपभोक्ता से यह अपेक्षा कर सकती है कि वह ऊर्जा की खपत का एक न्यूनतम हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोत से प्राप्त करे। 
    • अलग-अलग गैर-जीवाश्म स्रोतों और उपभोक्ताओं की श्रेणियों के लिये उपयोग की अलग-अलग सीमाएँ निर्दिष्ट की जा सकती हैं। 
    • निर्दिष्ट उपभोक्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
      (i) खनन, इस्पात, सीमेंट, टेक्सटाइल, रसायन और पेट्रोरसायन जैसे उद्योग।
      (ii) रेलवे सहित परिवहन क्षेत्र। 
      (iii) व्यावसायिक इमारतें, जैसा कि अनुसूची में निर्दिष्ट है। 
    • गैर-जीवाश्म स्रोतों से ऊर्जा के उपभोग की बाध्यता पूरी न करने की स्थिति में 10 लाख रुपए तक के ज़ुर्माने की सज़ा होगी।
    • निर्धारित मानदंड से कितनी अधिक यूनिट ऊर्जा की खपत की गई। उतने ही यूनिट तेल की जो कीमत होगी, उसका दोगुना ज़ुर्माना वसूला जाएगा।
  • कार्बन ट्रेडिंग: 
    • विधेयक केंद्र सरकार को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। 
    • कार्बन क्रेडिट का तात्पर्य कार्बन उत्सर्जन की निर्दिष्ट मात्रा का उत्पादन करने के लिये एक व्यापार योग्य परमिट से है। 
    • केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत और उसका अनुपालन करने वाली संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी कर सकती है। 
    • संस्थाएँ प्रमाणपत्र को खरीदने या बेचने के लिये अधिकृत होंगी। 
    • कोई अन्य व्यक्ति भी स्वेच्छा से कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र खरीद सकता है।
  • इमारतों के लिये ऊर्जा संरक्षण संहिता: 
    • यह अधिनियम केंद्र सरकार को इमारतों के लिये ऊर्जा संरक्षण संहिता निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है जो क्षेत्र के संदर्भ में ऊर्जा खपत मानकों को निर्धारित करता है।
    • विधेयक इसमें संशोधन करके ‘ऊर्जा संरक्षण और टिकाऊ भवन संहिता’ का प्रावधान करता है। 
    • यह नई संहिता ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण, अक्षय ऊर्जा के उपयोग और हरित भवनों की अन्य आवश्यकताओं से संबंधित नियमों का प्रावधान करेगी। 

  विदेशी मामले  

समुद्री डकैती विरोधी विधेयक, 2019

  • समुद्री डकैती विरोधी विधेयक, 2019 को संसद में पारित कर दिया गया। 
  • यह विधेयक  समुद्री डकैती के लिये अभियोजन का प्रावधान करता है और 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय ( United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS)  की पुष्टि करता है, भारत इसका हस्ताक्षरकर्त्ता है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • प्रादेशिक क्षेत्राधिकार: 
    • विधेयक उच्च जल क्षेत्र पर लागू होगा जिसमें भारत के क्षेत्रीय जल के बाहर का क्षेत्र आता है। 
    • क्षेत्रीय जल भारत की तटसीमा से 12 समुद्री मील तक फैला हुआ है।
    • यह भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र की सीमाओं से सटे और उससे परे समुद्र (यानी समुद्र तट से 200 समुद्री मील से परे) के सभी हिस्सों पर लागू होगा।
  • डकैती: 
    • यह समुद्री डकैती को एक निजी जहाज़ या विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिये किसी जहाज़, विमान, व्यक्ति या संपत्ति के खिलाफ की गई हिंसा, हिरासत या विनाश के किसी भी अवैध कार्य के रूप में परिभाषित करता है।
    • इसमें अन्य गतिविधियाँ भी शामिल हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत समुद्री डकैती माना जाता है।
    • डकैती में समुद्री डकैती जहाज़ या विमान के संचालन में स्वैच्छिक भागीदारी भी शामिल है। 
  • अपराध और दंड: 
    • डकैती करने पर निम्नलिखित दंड दिये जाएंगे: 
      (i) कारावास, जो कि उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों। 
      (ii) मृत्यु या उम्रकैद, अगर डकैती के कृत्य या डकैती की कोशिश में हत्या की कोशिश शामिल है और उसके कारण किसी की मृत्यु हो जाती है।

भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति:

विदेशी मामलों से संबंधित  स्थायी समिति ने भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति: संभावनाएँ और सीमाएँ’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। सॉफ्ट पावर को अपील एवं आकर्षण के माध्यम से दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है।

 समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • समन्वय समिति: 
    • मंत्रालय के अनुसार, विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज़ एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को आगे बढ़ाने में बाधाएँ उत्पन्न पैदा होती हैं। समिति ने पहले सुझाव दिया था कि विदेशी मामलों के मंत्रालय/ICCR  तथा दूसरे मंत्रालयों (जैसे संस्कृति मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय) के बीच संस्थागत समन्वय तंत्र स्थापित किया जाए। समिति ने कहा कि ऐसा तंत्र स्थापित करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। 
    • समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय की निगरानी में समन्वय समिति के गठन से भारत में सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति के लिये ज़िम्मेदार मंत्रालयों/विभागों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित होगा।
  • ICCR का पुनर्गठन: 
    • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations- ICCR) विदेश मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। इसका काम भारत के बाहरी सांस्कृतिक संबंधों से जुड़ी नीति और कार्यक्रमों का प्रतिपादन और उनका कार्यान्वयन करना है।
  • मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण ICCR के पुनर्गठन के काम में विलंब हुआ। 
  • समिति ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने के लिये यह आवश्यक है कि ICCR की संरचना और उसके कामकाज़ की पूरी तरह से रीमॉडलिंग की जाए। समिति ने सुझाव दिया कि विदेश मंत्रालय को ICCR के पुनर्गठन को अंतिम रूप देना चाहिये। 
  • उसने सुझाव दिया कि पुनर्गठन का ब्लूप्रिंट तीन महीने के भीतर समिति को प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • मंत्रालय ने कहा था कि ICCR का बजटीय आवंटन पर्याप्त नहीं था। समिति ने गौर किया कि दूतावासों और सांस्कृतिक केंद्रों की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिये ICCR को 500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, अतः  यह सिफारिश की गई कि केंद्र सरकार को ICCR के बजटीय आवंटन में 20% की वृद्धि करनी चाहिये।
  • यह भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को मज़बूती से बढ़ावा देने में मदद करेगा।

  खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण  

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत एक वर्ष के लिये खाद्यान्न के मुफ्त वितरण को मंज़ूरी दे दी है।  खाद्यान्न का मुफ्त प्रावधान 31 दिसंबर, 2023 तक लागू रहेगा। 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर उचित गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।

कवरेज: 

  • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत का कवरेज किया गया है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की 81.35 करोड़ आबादी को कवर करता है।

पात्रता:

  • राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकता वाले परिवारों को TPDS के तहत कवर किया जाना है।
  • अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले परिवार।

प्रावधान:

  • प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो दिया जाता है।
  • हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
  • गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्त्व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
  • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन की व्यवस्था।
  • खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
  • ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना। 

  महिला एवं बाल विकास  

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना नियम, 2022 

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMY) नियम, 2022 को अधिसूचित किया। ये नियम इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग नियम, 2016 का स्थान लेते हैं। 2022 के नियम पात्र लाभार्थियों को मातृत्व लाभ को विस्तार देने के लिये एक फ्रेमवर्क का प्रावधान करते हैं।

मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • मातृत्व लाभ हेतु पात्रता: 
    • 2016 के नियमों के तहत 19 वर्ष और/या उससे अधिक आयु की हर गर्भवती महिला और स्तनपान करने वाली माता मातृत्व लाभ की हकदार थी। 2022 के नियमों के अनुसार, पात्र लाभार्थियों की पहचान करने के मानदंड में ऐसी महिलाएँ शामिल हैं जो:
      (i) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की हैं।
      (ii) आंशिक रूप से (40%) विकलांग या पूर्ण रूप के विकलांग हैं।
      (iii) BPL राशन कार्ड/ई-श्रम कार्ड/मनरेगा जॉब कार्ड धारक हैं।
      (iv) प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थी हैं।
      (v) आठ लाख रुपए प्रतिवर्ष से कम की शुद्ध पारिवारिक आय वाली हैं।
    • पंजीकरण के बाद सभी पात्र गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को मातृत्व लाभ दिया जाएगा।
      • केंद्र या राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा नियोजित गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ इन लाभों की हकदार नहीं होंगी।
  • लाभार्थियों का पंजीकरण: 2022 के नियमों के तहत लाभार्थियों को खुद को निम्नलिखित स्थानों पर पंजीकृत कराना होगा:
    • एकीकृत बाल विकास सेवाओं के तहत स्थापित आँगनवाड़ी केंद्र। 
    • संबंधित राज्य सरकार या केंद्रशासित प्रदेश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अनुमोदित स्वास्थ्य केंद्र। 
    • ऑनलाइन।
  • मातृत्व लाभ हासिल करने की शर्तें: 2022 के नियमों के तहत लाभार्थी को पहले बच्चे के जन्म पर 5,000 रुपए और दूसरी संतान के जन्म पर 6,000 रुपए प्राप्त होंगे। पहले जीवित बच्चे के लिये मातृत्व लाभ दो किश्तों में प्रदान किया जाएगा, यदि लाभार्थी: 
    (i) गर्भावस्था का पंजीकरण कराती है।
    (ii) अपने पिछले मासिक धर्म चक्र से छह महीने के भीतर कम-से-कम एक प्रसवपूर्व जाँच कराती है।
  • दूसरी किश्त बच्चे के जन्म का पंजीकरण कराने और बच्चे को 14 सप्ताह की आयु तक सभी देय टीके लगवाने पर मिलेगी। 
  • दूसरे बच्चे के जन्म पर प्रोत्साहन राशि का भुगतान जन्म का पंजीकरण कराने और बच्चे को 14 सप्ताह की आयु तक सभी देय टीके लगवाने पर एक ही किस्त में किया जाएगा।

  खनन  

मसौदा भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2022

खान मंत्रालय ने मसौदा भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2022 अधिसूचित किया है।

मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

  • भू-विरासत स्थलों की घोषणा: 
    • केंद्र सरकार किसी स्थल को राष्ट्रीय महत्त्व का भू-विरासत स्थल घोषित कर सकती है। 
    • भू-विरासत स्थलों में भूवैज्ञानिक महत्त्व की विशेषताएँ शामिल होनी चाहिये, जैसे कि भू-अवशेष या प्राकृतिक चट्टानों की मूर्तियाँ। 
    • भू-अवशेष जंगम अवशेष हैं जैसे कि जीवाश्म या उल्कापिंड।
  • भू-विरासत स्थलों का संरक्षण: 
    • मसौदा विधेयक केंद्र सरकार को भू-विरासत स्थलों के अधिग्रहण, संरक्षण और रखरखाव का अधिकार देता है। 
    • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के महानिदेशक को इस उद्देश्य के लिये सर्वेक्षण और उत्खनन जैसे अधिकार दिये जाएंगे। 
    • इन स्थलों पर निर्माण प्रतिबंधित रहेगा।
    • हालाँकि महानिदेशक द्वारा अधिकृत किया जा सकता है कि इस स्थल को संरक्षित किया जाए या स्थल घोषित किये जाने से पहले की संरचना की मरम्मत की जाए।
  • भू-अवशेषों का संरक्षण:
    • केंद्र सरकार अधिसूचना द्वारा घोषित कर सकती है कि जब तक महानिदेशक द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है, तब तक भू-अवशेष को अपनी साइट से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
    • महानिदेशक इसकी रक्षा के लिये भू-अवशेष के अधिग्रहण का निर्देश दे सकते हैं।
  • अपराध एवं दंड: 
    • विधेयक के तहत अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
      (i) भू-विरासत स्थल को नष्ट करना, या उसका दुरुपयोग करना। 
      (ii) गैरकानूनी निर्माण।
      (iii) किसी भू-अवशेष को नुकसान पहुँचाना या उसे गैरकानूनी तरीके से हटाना।
    • इन अपराधों के लिये 5 लाख रुपए तक का  ज़ुर्माना या 6 महीने तक की कैद या दोनों का प्रावधान है।

  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण  

डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना 

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission- ABDM) को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। ABDM प्रत्येक नागरिक को एक समेकित डेटाबेस में अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटली स्टोर करने की सुविधा प्रदान करता है ताकि चिकित्सा उपचार प्राप्त करते समय उसे आसानी से एक्सेस किया जा सके।

योजना के प्रमुख प्रावधान:

  • इस योजना के तहत पात्र स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ सॉल्यूशंस को इस आधार पर प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा कि उन्होंने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (Ayushman Bharat Health Account- ABHA) में कितने स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स बनाए और लिंक किये हैं। 
  • ABHA संख्या विशिष्ट रूप से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को चिह्नित करती है।
  • पात्रता:
  • अस्पताल और डायग्नोस्टिक लैब और सुविधाएँ इस योजना के लिये पात्र हैं।
  • प्रोत्साहन राशि:
  • इस योजना के तहत ABHA से जुड़े लेन-देन की संख्या की एक मासिक सीमा होगी, जिसके अधिक होने पर अस्पतालों या डायग्नोस्टिक केंद्रों को वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा।
  • उदाहरण के लिये अस्पतालों को प्रतिमाह प्रति बेड 50 लेन-देन के आधार स्तर से ऊपर प्रति लेन-देन 20 रुपए प्राप्त होंगे।
  •  डायग्नोस्टिक केंद्रों और लैब्स 500 ABHA लिंक्ड ट्रांजैक्शंस प्रतिमाह के आधार स्तर के अधीन हैं, इससे अधिक होने पर उन्हें हर अतिरिक्त ट्रांजैक्शन पर 15 रुपए प्राप्त होंगे।
  • इस योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्र को अधिकतम प्रोत्साहन राशि चार करोड़ रुपए तक मिल सकती है। 
  • वित्तीय परिव्यय:
  • इस योजना का अनुमानित प्रारंभिक वित्तीय परिव्यय 50 करोड़ रुपए है।

  खेल  

विकलांग खिलाड़ियों हेतु खेल केंद्रों को सुगम बनाने हेतु दिशा-निर्देश 

युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के खेल विभाग ने विकलांग खिलाड़ियों के लिये सुलभ खेल परिसर और आवासीय सुविधाओं पर दिशा-निर्देश अधिसूचित किये हैं।  

दिशा-निर्देशों के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं: 

  • दिशा-निर्देश विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 को प्रभावी बनाते हैं जो केंद्र सरकार के लिये अनिवार्य करता है कि वह सार्वजनिक सुविधाओं तक सुगम्यता के मानकों के संबंध में नियम बनाए। 
  •  दिशा-निर्देशों में खेल सुविधाओं के संरचनात्मक तत्त्व शामिल हैं जिन्हें सुलभ बनाया जाना चाहिये।
    • इनमें ऐसे प्रवेश द्वार शामिल हैं जिनका पता लगाना आसान है, समान और स्पष्ट रूप से पहचानी जाने वाली सीढ़ियाँ और बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट शामिल हैं, जो व्हीलचेयर यूज़र्स के अनुकूल होनी चाहिये। 
    • दिशा-निर्देशों में विशिष्ट मानकों का भी प्रावधान होना चाहिये जैसे दृष्टिबाधित लोगों के लिये संकेत और विशिष्ट खेल उपकरण जैसे- खेल में इस्तेमाल होने वाली लाइटवेट व्हीलचेयर्स।

  रेलवे  

अमृत भारत स्टेशन योजना 

  • रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिये अमृत भारत स्टेशन योजना की घोषणा की। 

योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • यह योजना चुनींदा स्टेशनों पर नई सुविधाएँ प्रदान करेगी, साथ ही मौजूदा सुविधाओं का  उन्नयन और प्रतिस्थापन भी करेगी। 
  • यह लंबे समय की मास्टर प्लानिंग पर आधारित होगा। 
  • मास्टर प्लान को ज़रूरत के आधार पर लागू किया जाएगा। 
  • काम के व्यापक दायरे में निम्नलिखित शामिल होंगे: 
    (i) सड़कों को चौड़ा करके और अनचाहे ढाँचों को हटाकर स्टेशन तक पहुँच में सुधार। 
    (ii) यात्रियों से संबंधित गतिविधियों और भविष्य के विकास के लिये स्थान सुनिश्चित करने हेतु सुलभ स्थानों पर रेलवे कार्यालयों को स्थानांतरित करना। 
    (iii) अच्छी गुणवत्ता वाले प्रतीक्षालय बनाना। 
    (iv) प्लेटफॉर्म्स पर जल निकासी में सुधार।  
    (v) एग्जीक्यूटिव लाउंज और बिज़नेस मीटिंग्स के लिये जगह बनाना। 
    (v) भविष्य में स्टेशनों में रूफ प्लाज़ा और सिटी सेंटर का निर्माण करना।
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