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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 7 अप्रैल, 2020

  • 07 Apr 2020
  • 15 min read

विश्व स्वास्थ्य दिवस

World Health Day

प्रति वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) लोगों को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा शुरू की गयी एक पहल है।

World-Health-Day

थीम:

  • इस वर्ष के लिये विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘नर्सों एवं मिडवाइफों का समर्थन करें’ (Support Nurses and Midwives) है।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य एवं उससे संबंधित समस्याओं पर विचार-विमर्श करना तथा विश्व में समान स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों एवं मिथकों को दूर करना है।

मुख्य बिंदु: 

  • प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस (7 अप्रैल, 1948) की वर्षगांठ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा वर्ष 1948 में आयोजित हुई थी तथा विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1950 में हुई थी।
  • हालाँकि वर्ष 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में नर्स एवं मिडवाइफ के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (International Year of Nurse and Midwife) के रूप में घोषित किया गया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आठ अभियानों को आधिकारिक रूप से चिह्नित किया गया है। जिनमें विश्व स्वास्थ्य दिवस, विश्व मलेरिया दिवस, विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व टीकाकरण सप्ताह, विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व एड्स दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस और विश्व रक्तदाता दिवस शामिल हैं।  
  • इस दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग रिपोर्ट 2020’ (State of the World’s Nursing Report 2020) भी जारी की गई। 
    • इस रिपोर्ट में नर्सिंग कार्यबल की एक वैश्विक तस्वीर प्रदान की गई और सभी के लिये स्वास्थ्य के उद्देश्य से इस कार्यबल के योगदान को बढ़ावा देने का समर्थन किया गया।

गौरतलब है कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर COVID-19 से निपटने में नर्स एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी सबसे आगे हैं।


ट्रॉपिकल बटरफ्लाई कंजर्वेटरी

Tropical Butterfly Conservatory

तितली एवं उसके पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (Tiruchirappalli) में ट्रॉपिकल बटरफ्लाई कंज़र्वेटरी (Tropical Butterfly Conservatory- TBC) का विकास किया गया है।

ButterFly-Park

ट्रॉपिकल बटरफ्लाई कंज़र्वेटरी (TBC):

  • अवस्थिति:
    • TBC अपर अनाइकट रिज़र्व फॉरेस्ट (Upper Anaicut Reserve Forest) में स्थित है जो तिरुचिरापल्ली में कावेरी और कोल्लीडम (Kollidam) नदियों के बीच स्थित है।

कोल्लीडम (Kollidam) नदी:

  • कोल्लीडम दक्षिण-पूर्वी भारत की एक नदी है। यह श्रीरंगम (Srirangam) द्वीप पर कावेरी नदी की मुख्य शाखा से अलग होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 
  • क्षेत्रफल:
    • यह 27 एकड़ में फैला है और इसे एशिया का सबसे बड़ा तितली पार्क माना जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • इसकी शुरुआत नवंबर 2015 में की गई थी। इसका मुख्य लक्ष्य तिरुचिरापल्ली ज़िले में तितलियों के महत्ता का प्रचार-प्रसार करना तथा पर्यावरणीय शिक्षा के माध्यम से क्षेत्र की जैव विविधता के संरक्षण के प्रयास करना है।
  • यहाँ एक बाहरी कंज़र्वेटरी ‘नक्षत्र वनम’ (Nakshatra Vanam) और भीतरी कंज़र्वेटरी ‘रासी वनम’ (Rasi Vanam) के साथ-साथ गैर अनुसूचित तितली प्रजातियों के लिये एक प्रजनन प्रयोगशाला भी है।
  • इस क्षेत्र में अब तक लगभग 109 तितली प्रजातियाँ दर्ज की जा चुकी हैं।

तितलियों का महत्व:

  • चूँकि तितलियाँ प्रकृति में खाद्य वेब (Food Web) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं इसलिये पारिस्थितिक संतुलन के लिये इन प्रजातियों की रक्षा करना बहुत आवश्यक है। वे परागण की प्रक्रिया के द्वारा वैश्विक खाद्य श्रृंखला में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

विभिन्न खतरे:

  • तितलियों की विविधता के लिये प्रमुख खतरे निम्नलिखित हैं- आवासीय क्षेत्र का कम होना, अत्यधिक चराई, जंगलों में आग एवं खेतों में कीटनाशकों के प्रयोग तथा कृषि एवं शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश, क्षरण एवं विखंडन।

द ग्रेट डिप्रेशन

The Great Depression

COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है जिसके परिणामस्वरूप कुछ विशेषज्ञों ने इस आर्थिक संकट की तुलना ‘द ग्रेट डिप्रेशन’ (The Great Depression) से करनी शुरू कर दी है। 

मुख्य बिंदु:

  • ग्रेट डिप्रेशन, वर्ष 1929 में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुआ एक बड़ा आर्थिक संकट था जिसका प्रभाव विश्व भर में वर्ष 1939 तक रहा।
  • इसकी शुरुआत 24 अक्टूबर, 1929 से हुई, विश्व इतिहास में इस दिन को ‘ब्लैक गुरुवार’ (Black Thursday) के रूप में जाना जाता है जब न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक की कीमतों में 25% तक की गिरावट दर्ज की गईं।
  • स्टॉक की कीमतों में गिरावट के मुख्य कारणों में सकल मांग में कमी, गलत मौद्रिक नीतियाँ एवं इन्वेंट्री स्तरों में एक अनपेक्षित वृद्धि थी।

प्रभाव:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादों की कीमतों एवं वास्तविक उत्पादन में गिरावट आई। औद्योगिक उत्पादन 47%, थोक मूल्य सूचकांक 33% तथा वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 30 % तक की गिरावट दर्ज की गई।
  • गोल्ड मानकों (Gold Standard) जो निश्चित विनिमय दरों द्वारा विश्व की अधिकांश मुद्राओं से संबंधित हैं, के कारण अमेरिका से शुरू इस मंदी का प्रभाव विश्व के अन्य देशों में भी फैल गया।
  • इसके कारण विश्व के अधिकतर देशों में लोगों के सामने रोज़गार का संकट तथा अपस्फीति (Deflation) एवं उत्पादन का संकुचन हुआ।  
  • वर्ष 1929 से वर्ष 1933 के बीच अमेरिका में बेरोज़गारी दर 3.2% से बढ़कर 24.9% हो गई। वहीं ब्रिटेन में यह वर्ष 1929 से वर्ष 1932 के बीच 7.2% से बढ़कर 15.4% हो गई।
  • यूरोप में फासीवाद के उदय का प्रमुख कारण इस महामंदी के कारण उत्पन्न आर्थिक ठहराव को माना जाता है जिसके परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध हुआ।
  • इस महामंदी का वैश्विक स्तर के वित्तीय संस्थानों एवं नीति निर्धारकों पर गहरा प्रभाव पड़ा परिणामतः गोल्ड मानकों को समाप्त कर दिया गया।

भारत पर प्रभाव:

  • वैश्विक आर्थिक संकट के कारण कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई जो भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार थी और औपनिवेशिक नीति निर्माताओं द्वारा रुपये का अवमूल्यन न करने से एक गंभीर क्रेडिट संकुचन की स्थिति उत्पन्न हो गई।
  • वर्ष 1930 में भारत में फसल कटाई के दौरान इस महामंदी के प्रभाव दिखाई देने लगे जिसके तुरंत बाद महात्मा गांधी ने वर्ष 1930 के अप्रैल महीने में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया था।
  • देश के कई हिस्सों में ‘नो रेंट’ (No Rent) अभियान शुरू किये गए और बिहार एवं पूर्वी यूपी में किसान सभाएँ शुरू हुईं।
  • कृषि क्षेत्र में उत्पन्न इस अशांति ने कांग्रेस को ग्रामीण भारत में एक मज़बूत समर्थन का आधार प्रदान किया जिसकी पहुँच अभी तक ग्रामीण भारत में नहीं थी।

पिंक सुपरमून

Pink Supermoon

खगोलशास्त्रियों के अनुसार, इस वर्ष 7 अप्रैल को आकाश में पिंक सुपरमून (Pink Supermoon) घटना देखी जा सकेगी जो वर्ष 2020 की सबसे बड़ी एवं सबसे चमकदार पूर्णिमा होगी।

Pink-Supermoon

सुपरमून: 

  • नासा के अनुसार, एक सुपरमून तब होता है जब एक पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है।
  • जब पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी से निकटतम बिंदु पेरिजी (Perigee) पर दिखाई देता है तो यह एक नियमित पूर्णिमा की तुलना में अधिक उज्जवल एवं बड़ा होता है। जिसे ‘सुपरमून’ कहा जाता है।
    • पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु को अपोजी (Apogee) कहा जाता है, यह पृथ्वी से लगभग 405,500 किलोमीटर दूर है। वहीं पेरिजी (Perigee) पृथ्वी से लगभग 363,300 किलोमीटर दूर है। 
  • इस वर्ष का पहला सुपरमून 9 मार्च को हुआ था और अंतिम 7 मई, 2020 को होगा।

पिंक सुपरमून:

  • चंद्रमा मूल रूप से गुलाबी रंग का नहीं होता है। इसे पिंक सुपरमून नाम पिंक वाइल्डफ्लावर (Pink Wildflowers) से मिला है जो उत्तरी अमेरिका में वसंत ऋतु में खिलते हैं।
  • इसे पास्कल मून (Paschal Moon) भी कहा जाता है क्योंकि ईसाई कैलेंडर में ईस्टर (Easter) के लिये तारीख की गणना करने में इसका उपयोग किया जाता है। पास्कल मून के बाद पहला रविवार ईस्टर रविवार है।

COVID-19 सामुदायिक गतिशीलता रिपोर्ट

COVID-19 Community Mobility Report

हाल ही में गूगल ने लोगों एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को COVID-19 से संबंधित सामाजिक दूरी प्रतिमानों की प्रतिक्रियाओं को समझने के उद्देश्य से ‘COVID-19 सामुदायिक गतिशीलता रिपोर्ट (COVID-19 Community Mobility Report)’ जारी की है। 

मुख्य बिंदु:

  • इस रिपोर्ट में 131 देशों को शामिल किया गया है। इन देशों के विभिन्न स्थानों जैसे-औषधालय, पार्क, कार्यस्थल, खुदरा विक्रेता केंद्रों इत्यादि में लोगों के आवागमन को आधार मानकर रिपोर्ट तैयार की गई है।
  • यह रिपोर्ट विश्व में COVID-19 से निपटने हेतु सामाजिक दूरी (Social Distancing) को एक महत्त्वपूर्ण कार्रवाई के रूप दर्शाती है।
  • इस रिपोर्ट को कंपनी के गोपनीय प्रोटोकॉल एवं नियमों के अनुसार तैयार किया गया है। 

गूगल (Google):

  • संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित गूगल एक सर्च इंजन कंपनी है जिसकी स्थापना वर्ष 1998 में सेर्जे ब्रिन (Sergey Brin) व लैरी पेज (Larry Page) ने की थी। 

भारत के संदर्भ में:

  • भारत में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू तथा उसके बाद 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र भीड़-भाड़ वाले स्थलों जैसे- रेस्त्रां, पार्कों एवं कार्यस्थलों में लोगों का आवागमन अत्यंत कम  हुआ है जबकि आवासीय क्षेत्रों में लोगों का आवागमन बढ़ गया है। 
  • इस रिपोर्ट के माध्यम से भारत सरकार को COVID-19 से निपटने हेतु आगे की रणनीतियों को बनाने में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में चीन एवं ईरान से संबंधित आँकड़ों को सम्मिलित नहीं किया गया है। इन देशों में गूगल सेवाएँ प्रतिबंध हैं।

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