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MSME सस्टेनेबल (ZED) प्रमाणन योजना

  • 30 Apr 2022
  • 6 min read

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने MSME सस्टेनेबल (ZED-Zero Defect Zero Effect) प्रमाणन योजना शुरू की है।

योजना के बारे में:

  • परिचय:
    • यह योजना MSME को ZED विधियों और ZED प्रमाणन को अपनाने में सक्षम बनाने व सुविधा प्रदान के साथ उन्हें MSME चैंपियन बनने के लिये प्रेरित तथा प्रोत्साहित करती है।
    • ZED शपथ लेने और पंजीकरण करने के बाद MSME सस्टेनेबल (ZED) प्रमाणन तीन स्तरों में प्राप्त किया जा सकता है:
      • प्रमाणन स्तर 1: ब्रोंज़ 
      • प्रमाणन स्तर 2: सिल्वर
      • प्रमाणन स्तर 3: गोल्ड
    • ZED शपथ लेने के बाद MSME किसी भी प्रमाणन स्तर के लिये आवेदन कर सकता है यदि उसे लगता है कि वह प्रत्येक स्तर में आवश्यक शर्तो को पूरा करता है।
    • ZED शपथ लेने का अर्थ है कि एमएसएमई को ज़ीरो इफ़ेक्ट ज़ीरो डिफेक्ट के मूल्यों का अनुसरण करने एवं ZED के मार्ग में आगे बढ़ने हेतु "पूर्व-प्रतिबद्धता" लेनी है।
  • सब्सिडी: 
    • योजना के तहत MSMEs को ZED प्रमाणीकरण की लागत पर निम्नलिखित संरचना के अनुसार सब्सिडी मिलेगी:
      • सूक्ष्म उद्यम: 80%
      • लघु उद्यम: 60%
      • मध्यम उद्यम: 50%
    • ज़ीरो डिफेक्ट ज़ीरो इफेक्ट समाधान की ओर बढ़ने में मदद के लिये ZED प्रमाणन के तहत MSMEs को हैंडहोल्डिंग और कंसल्टेंसी मदद हेतु 5 लाख रुपए (प्रति एमएसएमई) उपलब्ध कराए जाएंगे। 
    • MSMEs राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों, वित्तीय संस्थानों आदि द्वारा ZED प्रमाणन हेतु दिये जाने वाले कई अन्य प्रोत्साहनों का भी लाभ उठा सकते हैं और MSMEs कवच (कोविड-19 मदद) पहल के तहत मुफ्त ZED प्रमाणन के लिये भी आवेदन कर सकते हैं। 
  • योजना के घटक:
    • उद्योग जागरूकता कार्यक्रम/कार्यशाला।
    • प्रशिक्षण कार्यक्रम।
    • मूल्यांकन और प्रमाणन।
    • हैंड होल्डिंग।
    • लाभ/प्रोत्साहन।
    • पीआर अभियान, विज्ञापन और ब्रांड प्रचार।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म।
  • संभावित लाभ:
    • ZED प्रमाणन की प्रक्रिया के माध्यम से MSME काफी हद तक अपव्यय को कम कर अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं तथा पर्यावरण का प्रति जागरूकता बढ़ाकर ऊर्जा की बचत कर  प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग कर सकते हैं और अपने बाज़ारों का विस्तार कर सकते हैं।

ZED योजना

  • परिचय:
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई यह योजना एक एकीकृत और व्यापक प्रमाणन प्रणाली है।
    • यह योजना उत्पादों और प्रक्रियाओं दोनों में उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रदूषण शमन, ऊर्जा दक्षता, वित्तीय स्थिति, मानव संसाधन और अभिकल्पना तथा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR ) सहित तकनीकी कार्यों के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसका मिशन ज़ीरो डिफेक्ट ज़ीरो इफेक्ट के सिद्धांत के आधार पर भारत में 'ZED' संस्कृति को विकसित और कार्यान्वित करना है।
  • ज़ीरो डिफेक्ट:
    • ज़ीरो डिफेक्ट अवधारणा एक ग्राहक केंद्रित अवधारणा है।
    • शून्य गैर-अनुरूपता या गैर-अनुपालन।
    • ज़ीरो वेस्ट 
  • ज़ीरो इफेक्ट:
    • शून्य वायु प्रदूषण, तरल निर्वहन, ठोस अपशिष्ट।
    • प्राकृतिक संसाधनों का शून्य अपव्यय। 
  • योजना का उद्देश्य:
    • एमएसएमई क्षेत्र में एक ‘ज़ीरो डिफेक्ट’ पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना।
    • गुणवत्तापूर्ण उपकरणों/प्रणालियों के अनुकूलन और ऊर्जा दक्ष विनिर्माण को बढ़ावा देना।
    • गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के निर्माण के लिये एमएसएमई को सक्षम बनाना।
    • उत्पादों और प्रक्रियाओं में अपने गुणवत्ता मानकों को लगातार उन्नत करने के लिये एमएसएमई को प्रोत्साहित करना।
    • ZED निर्माण और प्रमाणन के क्षेत्र में पेशेवरों का विकास करना।
    • 'मेक इन इंडिया' अभियान का समर्थन करना।

एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये अन्य पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी.

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