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मानगढ़ पहाड़ी राष्ट्रीय स्मारक घोषित

  • 08 Jul 2022
  • 4 min read

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) की एक रिपोर्ट में राजस्थान में मानगढ़ पहाड़ी की चोटी को 1500 भील आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित करने की घोषणा की गई है।

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA):

  • राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को सांस्कृतिक मंत्रालय के तहत प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological Sites and Remains-AMASR) (संशोधन एवं मान्यता) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्थापित किया गया है जिसे मार्च 2010 में अधिनियमित किया गया था।
  • NMA को स्मारकों और स्थलों के संरक्षण से संबंधित कई कार्य सौंपे गए हैं जो केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों के आसपास प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों के प्रबंधन के माध्यम से किये जाते हैं।
  • NMA, प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी गतिविधियों के लिये आवेदकों को अनुमति प्रदान करने पर भी विचार करता है।

राष्ट्रीय स्मारक का महत्त्व:

  • राष्ट्रीय प्राचीन स्मारकों को प्राचीन स्मारक, पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित किया गया है।
  • अधिनियम उन प्राचीन स्मारकों की किसी भी संरचना को स्मारक या गुफा, रॉक मूर्तिकला या शिलालेख के रूप में परिभाषित करता है जो ऐतिहासिक या पुरातात्त्विक रुचि का है।
  • स्मारकों के रख-रखाव, संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिये केंद्र सरकार अधिकृत है।

मानगढ़ पहाड़ी की पृष्ठभूमि:

  • गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित पहाड़ी, एक आदिवासी विद्रोह का स्थल है जहाँ वर्ष 1913 में 1500 से अधिक भील आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी मारे गए थेा।
  • इस जगह को आदिवासी जलियांँवाला के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ स्मारक बनाने की मांग उठती रही है।
  • 17 नवंबर, 1913 को ब्रिटिश सेना ने विरोध में सभा कर रहे आदिवासियों पर गोलियाँ चला दीं, जिसका नेतृत्व गोविंद गुरु समुदाय के एक नेता ने किया था, जिसमें 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे।

भील जनजाति:

Bhils-Tribe

  • परिचय:
    • भीलों को आमतौर पर राजस्थान के धनुषधारी (Bowmen) के रूप में जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है।
    • यह दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जनजाति है।
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भील भारत की सबसे बड़ी जनजाति है।
    • आमतौर पर इन्हें दो रूपों में वर्गीकृत किया जाता है:
      • मध्य या शुद्ध भील
      • पूर्वी या राजपूत भील
    • मध्य भील भारत में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं तथा त्रिपुरा के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।
    • उन्हें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और त्रिपुरा में अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
    • भील आर्य-पूर्व जाति के सदस्य हैं।
    • 'भील' शब्द विल्लू या बिल्लू शब्द से बना है, जिसे द्रविड़ भाषा में धनुष (Bow) के नाम से जाना जाता है।
    • भील नाम का उल्लेख महाभारत और रामायण के प्राचीन महाकाव्यों में भी मिलता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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