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  • 02 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 15: "जहाँ यूनाइटेड किंगडम पूर्ण संसदीय संप्रभुता को बनाए रखता है, वहीं भारत संविधानिक सर्वोच्चता को अपनाता है।" दोनों देशों में संसद की विधायी सत्ता की तुलना करते हुए अंतर स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण : 

    • संसदीय संप्रभुता और संवैधानिक सर्वोच्चता की अवधारणा का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • दोनों देशों में संसद की विधायी शक्ति की तुलना और अंतर बताइए।
    • एक उपयुक्त टिप्पणी के साथ निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।

    परिचय : 

    विधायी सर्वोच्चता की संकल्पना विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों में भिन्न होती है। यूनाइटेड किंगडम में संसदीय संप्रभुता का सिद्धांत अपनाया गया है, जिसके अंतर्गत संसद सर्वोच्च विधिक प्राधिकरण मानी जाती है। इसके विपरीत, भारत में संविधान सर्वोच्च है, और संसद की सत्ता संविधान द्वारा सीमित है। यह अंतर दोनों देशों में संसदीय अधिकार की प्रकृति, विस्तार और सीमाओं को निर्धारित करता है।

    मुख्य भाग: 

    विधायी प्राधिकार की तुलना: 

    पहलू

    यूनाइटेड किंगडम

    भारत

    विधायी शक्ति का स्रोत

    राजनीतिक परंपरा से व्युत्पन्न; कोई लिखित संविधान नहीं

    लिखित संविधान से व्युत्पन्न

    सर्वोच्चता सिद्धांत

    संसदीय संप्रभुता - संसद कोई भी विधि बना या रद्द कर सकती है।

    संविधानिक सर्वोच्चता - संसद संविधान से सीमित है।

    संशोधन प्रक्रिया

    कोई विशेष प्रक्रिया नहीं; संविधानिक विधियों में साधारण विधियों की तरह संशोधन किया जा सकता है।

    मूल संरचना सिद्धांत के अधीन, अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन

    न्यायिक समीक्षा

    न्यायालय संसद द्वारा पारित विधियों को अमान्य नहीं कर सकते।

    सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय असंवैधानिक विधियों की समीक्षा कर सकते हैं और उन्हें रद्द कर सकते हैं (अनुच्छेद 13)

    मौलिक अधिकार

    कोई संहिताबद्ध मौलिक अधिकार नहीं; अधिकारों को विधि द्वारा बदला जा सकता है।

    मौलिक अधिकार न्यायोचित और प्रवर्तनीय हैं, तथा विधायी अतिक्रमण से सुरक्षित हैं।

    संघवाद

    एकात्मक राज्य; संसद विकेंद्रित प्राधिकरणों को निरस्त कर सकती है (जैसे, स्कॉटलैंड)

    संघीय संरचना; संसद 7वीं अनुसूची के तहत शक्तियों के विभाजन द्वारा सीमित।

    शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत

    शक्तियों का संयोजन; संसद सर्वोच्च है।

    शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण; संसद न्यायपालिका या कार्यपालिका की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं कर सकती।

    निष्कर्ष:

    पूर्ण संसदीय संप्रभुता के सिद्धांत को सर आइवर जेनिंग्स की प्रसिद्ध टिप्पणी और अधिक सुदृढ़ करती है, जिसमें उन्होंने कहा कि,

    "ब्रिटिश संसद सब कुछ कर सकती है, सिवाय इसके कि वह पुरुष को स्त्री और स्त्री को पुरुष बना दे।"

    यूनाइटेड किंगडम की पूर्ण विधायी सर्वोच्चता के विपरीत, भारत में संविधानिक सर्वोच्चता को मान्यता प्राप्त है, जिसके अंतर्गत संसद संविधान की सीमाओं के भीतर कार्य करती है, जिससे लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व तथा संविधान की मूल संरचना सुरक्षित रहती है।

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