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  • 07 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 19: भारत में सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिये कल्याणकारी योजनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन उन्हें क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और ऐसे उपायों का सुझाव दीजिये जो कल्याणकारी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये इस कमी को दूर कर सकें। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सामाजिक-आर्थिक अंतराल को कम करने में कल्याणकारी योजनाओं की भूमिका का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • मुख्य भाग में, कार्यान्वयन की प्रमुख चुनौतियों की पहचान कीजिये और उदाहरणों सहित व्यावहारिक, शासन-आधारित समाधान प्रस्तुत कीजिये।
    • एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारत में, विशेष रूप से वंचित वर्गों के लिये सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को कम करने में कल्याणकारी योजनाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तथापि, इनके प्रभावी क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियाँ सामने आती हैं। इन चुनौतियों का समाधान करना कल्याणकारी कार्यक्रमों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये अत्यंत आवश्यक है।

    मुख्य भाग:

    भारत में कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में प्रमुख चुनौतियाँ:

    • संसाधन आवंटन और वित्तीय सीमाएँ:
      • अनेक कल्याणकारी योजनाएँ अपर्याप्त वित्तीय संसाधनों के कारण सभी पात्र लाभार्थियों को समुचित लाभ प्रदान नहीं कर पातीं। उदाहरण के लिये, मनरेगा कार्यक्रम को प्रायः बजटीय अभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे समय पर मज़दूरी भुगतान और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
    • लक्ष्य निर्धारण और समावेशन से जुड़ी समस्याएँ:
      • अप्रभावी लक्ष्यीकरण के कारण पात्र लाभार्थियों को योजनाओं से वंचित रहना पड़ता है। उदाहरण के लिये, अंत्योदय अन्न योजना में अक्सर सबसे गरीब परिवारों की पहचान करने में कठिनाई होती है, जबकि कुछ अपात्र व्यक्तियों को लाभ प्राप्त हो जाता है।
    • प्रशासनिक अक्षमताएँ और भ्रष्टाचार:
      • नौकरशाही में देरी, भ्रष्टाचार तथा शासन के विभिन्न स्तरों पर समन्वय की कमी सेवा वितरण में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न करती है। इसका परिणाम प्रायः लाभों के वितरण में देरी और योजनाओं के प्रभाव में कमी के रूप में होता है।
    • जागरूकता और सुलभता:
      • कई पात्र व्यक्ति, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, कल्याणकारी योजनाओं से अनभिज्ञ होते हैं या भौगोलिक अथवा सामाजिक-आर्थिक कारणों के चलते इन तक सुलभता में बाधाओं का सामना करते हैं।

    भारत में कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय:

    • पर्याप्त बजट आवंटन और निगरानी:
      • कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिये पर्याप्त वित्तीय समर्थन सुनिश्चित किया जाना चाहिये, जिसमें निधियों के दुरुपयोग को रोकने हेतु वास्तविक समय निगरानी की व्यवस्था हो। राजकोषीय सुधारों में कल्याण व्यय को प्राथमिकता देते हुए, साथ ही पारदर्शिता भी सुनिश्चित की जानी चाहिये।
    • प्रौद्योगिकी के माध्यम से लाभार्थी पहचान में सुधार:
      • सटीक लक्ष्य निर्धारण और फर्ज़ी दावों की समाप्ति हेतु आधार और बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग करना चाहिये। डेटा-आधारित मॉडल यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि लाभ केवल वास्तविक और पात्र लाभार्थियों तक ही सीमित रहें। 
    • प्रशासनिक प्रक्रियाओं का सरलीकरण:
      • सभी योजनाओं में डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) को अपनाकर प्रशासनिक विलंब को कम किया जा सकता है और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण संभव हो सकता है। निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया को स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत करना भी सेवा वितरण की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है।
    • जागरूकता और पहुँच में वृद्धि:
      • स्थानीय मीडिया और सामुदायिक जनसंपर्क कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये। दूरदराज़ के क्षेत्रों में सहायता केंद्र स्थापित किये जाने चाहिये ताकि पात्र जनसंख्या को कल्याणकारी योजनाओं तक सरल सुलभता सुनिश्चित की जा सके।

    निष्कर्ष:

    कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये वित्तपोषण, लक्ष्य निर्धारण, प्रशासनिक कार्यप्रणाली और सुगम्यता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान आवश्यक है। सुशासन, प्रौद्योगिकीय एकीकरण और समावेशी नीतियों पर बल देकर भारत अपनी कल्याणकारी योजनाओं की सेवा वितरण प्रणाली और उनके प्रभाव को सुदृढ़ कर सकता है।

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