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07 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस 19: “जन सुरक्षा योजनाएँ भारत के वित्तीय समावेशन अभियान को प्रदर्शित करती हैं।” बैंक, बीमाकर्त्ता और डाकघर किस प्रकार सहयोग एवं जन जागरूकता के माध्यम से अपनी पहुँच बढ़ाते हैं, विश्वास का निर्माण करते हैं तथा नामांकन सुनिश्चित करते हैं। विवेचना कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- जन सुरक्षा योजनाओं और वित्तीय समावेशन में उनकी भूमिका पर एक संक्षिप्त परिचय के साथ आरंभ कीजिये।
- मुख्य भाग में, पहुँच, विश्वास निर्माण और नामांकन के संदर्भ में बैंकों, बीमा कंपनियों और डाकघरों के सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डालिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
जन सुरक्षा योजनाएँ - प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), और अटल पेंशन योजना (APY) - समाज के कमज़ोर वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखती हैं। ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में अपने व्यापक नेटवर्क के कारण, बैंकों और डाकघरों की भूमिका नामांकन, सेवा प्रदान करने तथा लाभों के वितरण में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।
मुख्य भाग:
विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से पहुंच का विस्तार:
- बैंक और डाकघर नामांकन के प्राथमिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। अप्रैल 2025 तक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) के अंतर्गत 23.63 करोड़ से अधिक और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) के अंतर्गत 51.06 करोड़ से अधिक नामांकन किये जा चुके हैं।
- यह व्यापक पहुँच ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकों और डाकघरों के विस्तृत नेटवर्क के कारण संभव हो सकी है।
- ऑटो-डेबिट सुविधा के माध्यम से ये संस्थान प्रीमियम संग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, जिससे योजनाओं की पहुँच और सुगमता में वृद्धि होती है।
- अप्रैल 2025 तक, PMSBY के 17 करोड़ से अधिक और PMJJBY के 7 करोड़ से अधिक लाभार्थी प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के खाता धारक भी हैं, जो इन योजनाओं का वित्तीय समावेशन अवसंरचना के साथ एकीकृत होने को दर्शाता है।
निर्बाध दावा निपटान के माध्यम से विश्वास निर्माण:
- बैंक बीमा कंपनियों के साथ समन्वय स्थापित कर दावों की डिजिटल प्रक्रिया और समय पर निपटान सुनिश्चित करते हैं, जिससे योजनाओं में विश्वास की भावना प्रबल होती है।
- उदाहरण के लिये, PMJJBY के अंतर्गत ₹18,398 करोड़ से अधिक की राशि 9.19 लाख से अधिक परिवारों को वितरित की गई है, जबकि PMSBY के अंतर्गत 1.57 लाख दुर्घटना संबंधी दावों के लिये ₹3,121 करोड़ का भुगतान किया गया है।
- जन सुरक्षा पोर्टल के माध्यम से ट्रैक करने योग्य और कागज़रहित दावा प्रक्रिया एवं नामांकन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे प्रशासनिक विलंब में कमी आई है और योजनाओं के प्रति जनविश्वास में वृद्धि हुई है।
जागरूकता का सृजन और नामांकन बढ़ाना:
- डोरस्टेप बैंकिंग एजेंट, बैंक मित्र तथा IPPB (इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक) के कार्यकर्त्ता ग्रामीण जनसंख्या को योजनाओं के लाभों के प्रति जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
- भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों (PSGIC) के साथ सहयोग कर यह जनसंपर्क अभियान सभी क्षेत्रों में समान रूप से सामाजिक सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करता है।
- APY के लाभार्थियों में लगभग 47% महिलाएँ हैं, और PMJJBY में 10.66 करोड़ से अधिक महिलाओं का नामांकन हुआ है, जो लैंगिक-केंद्रित अभियानों की महत्ता को दर्शाता है।
- जनसामान्य के लिये आयोजित सामाजिक सुरक्षा सप्ताह, SMS अभियान, तथा PMJDY जैसी मौजूदा योजनाओं के साथ एकीकरण के माध्यम से नामांकन को व्यापक रूप से प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है, जिससे योजना की दृश्यता और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सामर्थ्य और समुत्थानशीलता सुनिश्चित करना:
- PMSBY के लिये ₹20 प्रतिवर्ष और PMJJBY के लिये ₹436 प्रतिवर्ष जैसी प्रीमियम दरों के कारण ये योजनाएँ भारत के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये सुलभ बनी हुई हैं।
- APY में तिमाही एवं अर्द्धवार्षिक अंशदान विकल्प उपलब्ध कराकर समुत्थानशीलता सुनिश्चित की जाती है, जिससे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की अनियमित आय संरचना के अनुरूप योजना में भागीदारी संभव हो पाती है।
संस्थागत निगरानी और प्रदर्शन आधारित मान्यता:
- सरकार नियमित रूप से नामांकन डेटा की समीक्षा करती है और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बैंक शाखाओं को मान्यता प्रदान करती है, जिससे संस्थानों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धात्मक वातावरण विकसित होता है।
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के अंतर्गत पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) के एकीकरण से अटल पेंशन योजना (APY) की प्रशासनिक दक्षता और सुदृढ़ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
निष्कर्ष:
बैंकों, बीमा कंपनियों और डाकघरों के सहयोग ने जन सुरक्षा योजनाओं की पहुँच बढ़ाने और उनकी प्रभावशीलता को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सामर्थ्य सुनिश्चित कर, विश्वास निर्माण करते हुए और नामांकन को प्रोत्साहित करके, इन संस्थाओं ने भारत में वित्तीय समावेशन को सशक्त रूप से आगे बढ़ाया है। इन योजनाओं ने न केवल सामाजिक सुरक्षा कवरेज में सुधार किया है, बल्कि कल्याणकारी योजनाओं में सार्वजनिक-निजी साझेदारी का एक प्रभावी मॉडल भी प्रस्तुत किया है।