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17 Jul 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस 28: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का उद्देश्य सार्वजनिक लक्ष्यों को निजी दक्षता से जोड़ना होता है, परंतु इसकी संरचनात्मक कमियाँ सफलता में बाधा बनती हैं।" भारत में PPP मॉडल की प्रमुख चुनौतियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये तथा जोखिम की न्यायसंगत साझेदारी एवं प्रभावी क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त सुधारों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) क्या हैं, इसकी व्याख्या से उत्तर लेखन की शुरुआत कीजिये।
- भारत के PPP मॉडल की प्रमुख चुनौतियों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- उचित जोखिम-साझाकरण और प्रभावी क्रियान्वयन के लिये सुधारों का सुझाव दीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) सहयोगात्मक व्यवस्थाएँ हैं जो आवश्यक बुनियादी अवसंरचना और सेवाएँ प्रदान करने के लिये निजी क्षेत्र के वित्तपोषण एवं दक्षता को सार्वजनिक क्षेत्र के विकासात्मक दृष्टिकोण के साथ जोड़ती हैं। भारत में PPP ने राजमार्गों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और शहरी बुनियादी अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, अपनी क्षमता के बावजूद, गहन संरचनात्मक और परिचालन चुनौतियों के कारण PPP प्रायः अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते हैं।
मुख्य भाग:
भारत के PPP ढाँचे में चुनौतियाँ
- असंतुलित जोखिम आवंटन:
- कई PPP अनुबंध निजी भागीदारों पर, विशेष रूप से बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल में, असंगत जोखिम थोपते हैं।
- उदाहरण के लिये राजमार्ग परियोजनाओं में यातायात जोखिम प्रायः पूरी तरह से निजी संस्था द्वारा वहन किया जाता है, भले ही वह अपने नियंत्रण से परे व्यापक आर्थिक और नीतिगत कारकों से प्रभावित हो।
- नियामक और नीतिगत अनिश्चितता:
- भूमि अधिग्रहण मानदंडों, पर्यावरणीय मंज़ूरियों और कराधान नीतियों में बार-बार होने वाले बदलाव एक अप्रत्याशित नीतिगत माहौल बनाते हैं।
- POSCO जैसी परियोजनाओं में पूर्वव्यापी कर का मुद्दा और वन/पर्यावरण मंज़ूरियों में देरी इस चिंता को दर्शाती है।
- विवाद समाधान और न्यायिक विलंब:
- त्वरित और विशिष्ट मध्यस्थता तंत्रों की कमी के कारण मुकदमेबाज़ी लंबी हो गई है।
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2022 तक ₹70,000 करोड़ से अधिक मूल्य के विवाद मध्यस्थता में अटके हुए थे।
- वित्तीय बाधाएँ और कमज़ोर बैंकिंग क्षमता:
- गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) संकट और दीर्घकालिक पूंजी की सीमित उपलब्धता ने बैंकिंग क्षेत्र की PPP को वित्तपोषित करने की क्षमता को कमज़ोर कर दिया है।
- एक-आकार-सबके-लिये-उपयुक्त मॉडल:
- PPP कार्यढाँचों में प्रायः क्षेत्र-विशिष्ट अनुकूलन का अभाव होता है।
- राजमार्गों पर लागू किया गया यही मॉडल स्वास्थ्य या शिक्षा में कुशलतापूर्वक काम नहीं कर सकता, जहाँ सामाजिक परिणामों को आकलन करना कठिन होता है।
- उत्तरदायित्व और शासन संबंधी कमियाँ:
- कई PPP परियोजनाएँ उत्तरदायित्व की अस्पष्ट रेखाओं से ग्रस्त हैं।
- विलंब या सेवा विफलता के मामलों में, यह दोष प्रायः निजी रियायतग्राहियों और सार्वजनिक प्राधिकरणों के बीच कायम रहता है।
उचित जोखिम-साझाकरण और प्रभावी निष्पादन के लिये आवश्यक सुधार
- संतुलित और लचीला अनुबंध डिज़ाइन:
- मॉडल रियायत समझौतों (MCA) में न्यायसंगत जोखिम-साझाकरण के साथ लचीली शर्तें शामिल होनी चाहिये।
- अप्रत्याशित घटना और कानून में बदलाव के खंडों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और निष्पक्ष रूप से लागू किया जाना चाहिये।
- संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ बनाना:
- केलकर समिति द्वारा प्रस्तावित 3P इंडिया की स्थापना को प्राथमिकता दी जानी चाहिये ताकि यह PPP नीति, प्रशिक्षण और विवाद समाधान के लिये एक समर्पित निकाय के रूप में कार्य कर सके।
- व्यवहार्यता अंतराल निधि (VGF) में वृद्धि:
- सामाजिक रूप से वांछनीय लेकिन आर्थिक रूप से अव्यवहार्य क्षेत्रों (जैसे: ग्रामीण जल आपूर्ति) में, सरकार को निजी निवेश आकर्षित करने के लिये VGF में वृद्धि करनी चाहिये।
- क्षेत्र-विशिष्ट PPP मॉडल:
- हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (HAM) और एन्युइटी-आधारित PPP ने सड़क विकास में अच्छा काम किया है। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों के लिये भी इसी तरह के अनुकूलित मॉडल तैयार किये जाने चाहिये।
- कुशल विवाद समाधान तंत्र:
- समय पर निवारण और परियोजना निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये फास्ट-ट्रैक मध्यस्थता पैनल और PPP न्यायाधिकरण स्थापित किये जाने चाहिये।
निष्कर्ष:
केलकर समिति के अनुसार, "भारत को सार्वजनिक-निजी साझेदारियों (PPP) को समाप्त नहीं, बल्कि पुनर्संचालित करने की आवश्यकता है।" राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के अंतर्गत भारत की 1.5 ट्रिलियन डॉलर की अवसंरचना योजना को सफल बनाने के लिये PPP मॉडल को अधिक लचीला, पारदर्शी तथा समुत्थानशील बनाया जाना आवश्यक है। विश्वास, जवाबदेही और नवाचार के आधार पर PPP कार्यढाँचे की पुनर्कल्पना करना अनिवार्य है ताकि यह मॉडल केवल आर्थिक लाभ ही नहीं, बल्कि न्यायपूर्ण तथा सतत् रूप से सामाजिक लाभ भी प्रदान कर सके।