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  • 01 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 14: "भारत की राजकोषीय संघवादिता एक ऐसे नाजुक संतुलन पर आधारित है जिसमें संसाधनों का न्यायसंगत वितरण और आर्थिक दक्षता दोनों निहित हैं।" इस कथन पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण : 

    • राजकोषीय संघवाद को परिभाषित करके शुरुआत कीजिये।
    • इसके संवैधानिक और संस्थागत ढाँचे पर चर्चा कीजिये।
    • व्याख्या कीजिये कि भारत में राजकोषीय संघवाद किस प्रकार समता और दक्षता के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है।
    • एक विवेकपूर्ण टिप्पणी के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    राजकोषीय संघवाद (Fiscal Federalism) संघीय व्यवस्था में सरकार की विभिन्न इकाइयों के बीच वित्तीय संबंधों को संदर्भित करता है, मुख्य रूप से संघ और राज्यों के बीच कराधान की शक्तियों तथा व्यय की ज़िम्मेदारियों के विभाजन को। भारत में, यह संसाधनों के न्यायसंगत वितरण और संसाधनों के कुशल उपयोग तथा सुशासन के लिये प्रोत्साहन के बीच संतुलन स्थापित करने के निरंतर प्रयास को दर्शाता है।

    मुख्य भाग: 

    संवैधानिक और संस्थागत ढाँचा

    • कराधान शक्तियाँ: अनुच्छेद 268 से 293 तक संघ और राज्यों के बीच करों का विभाजन करते हैं।
    • वित्त आयोग (अनुच्छेद 280): संघ और राज्यों के बीच (ऊर्ध्वाधर) तथा राज्यों के बीच (क्षैतिज) करों के बंटवारे की सिफारिश करता है।
    • GST परिषद: अप्रत्यक्ष कराधान में सहयोगात्मक निर्णय लेने को बढ़ावा देने वाली एक संघीय संस्था है।
    • अनुच्छेद 275 के तहत सहायता अनुदान: संसाधनों की कमी वाले राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।

    समानता और दक्षता के बीच संतुलन

    • संसाधनों का न्यायसंगत वितरण:
      • ऊर्ध्वाधर वितरण: 15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की कि विभाज्य कर पूल का 41% राज्यों को दिया जाए।
      • क्षैतिज वितरण: यह जनसंख्या, आय दूरी, वन क्षेत्र और जनसांख्यिकीय प्रदर्शन जैसे मापदंडों पर आधारित होता है।
      • अनुदान सहायता: क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने और पिछड़े क्षेत्रों में सामाजिक क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये दी जाती है।
    • आर्थिक दक्षता:
      • प्रदर्शन आधारित अंतरण: राजकोषीय अनुशासन और शासन सुधारों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
      • GST प्रणाली: एकीकृत बाज़ार और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देती है, जिससे आर्थिक विकृतियाँ कम होती हैं।
      • FRBM अधिनियम: विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन और उत्तरदायी उधारी को प्रोत्साहित करता है।

    राजकोषीय संघवाद की चुनौतियाँ

    • ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन: केंद्र सरकार अधिकांश राजस्व स्रोतों पर नियंत्रण रखती है, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी प्रमुख व्यय ज़िम्मेदारियाँ राज्यों के पास होती हैं।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS): प्रायः राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को सीमित करने के लिये आलोचना की जाती है।
    • GST मुआवजे में देरी: सहकारी संघवाद में विश्वास को कमज़ोर करती है।
    • उधारी संबंधी प्रतिबंध: राज्यों को वित्तीय लचीलेपन को सीमित करने वाले अनुच्छेद 293(3) के तहत संघ की सहमति की आवश्यकता होती है।

    हालिया सुधार

    • 15वें वित्त आयोग ने विद्युत क्षेत्र सुधार, स्वास्थ्य और जनसांख्यिकीय प्रबंधन के लिये शर्त आधारित अनुदान की शुरुआत की।
    • केंद्र-राज्य समन्वय को बेहतर बनाने के लिये नीति आयोग जैसे सहयोगात्मक संघीय संस्थानों पर विशेष बल दिया गया।

    निष्कर्ष:

    जैसा कि डॉ. वाई. वी. रेड्डी, पूर्व RBI गवर्नर और 14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने उचित रूप से कहा:

    “भारत में राजकोषीय संघवाद केवल संसाधनों को साझा करने के बारे में नहीं है - यह ज़िम्मेदारियों को साझा करने के बारे में है।”

    इस प्रकार, राजकोषीय संघवाद की भावना को बनाए रखने के लिये केवल वित्तीय विकेंद्रीकरण ही नहीं, बल्कि संघ और राज्यों दोनों की ओर से सहयोगात्मक शासन, राजकोषीय उत्तरदायित्व और विकासात्मक जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता भी आवश्यक है।

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