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  • 02 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 15: विधायी शक्तियों के वितरण से उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिये भारतीय न्यायालयों द्वारा विकसित ‘सामंजस्यपूर्ण व्याख्या’ तथा ‘संघीय सर्वोच्चता’ के सिद्धांतों का विश्लेषण कीजिये। जर्मनी की संघीय संवैधानिक न्यायालय द्वारा संघीय विवादों के समाधान के लिये अपनायी गई प्रणाली से इस दृष्टिकोण का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • संघवाद की परिभाषा दीजिये तथा संघीय विवादों के समाधान में न्यायिक सिद्धांतों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
    • भारत में ‘सामंजस्यपूर्ण निर्माण’ और ‘संघीय सर्वोच्चता’ के सिद्धांतों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • इस दृष्टिकोण की तुलना जर्मनी के संघीय संवैधानिक न्यायालय द्वारा अपनाई गई व्यवस्था से कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।

    परिचय :

    संघीय शासन व्यवस्था में, संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों का विभाजन संवैधानिक संतुलन बनाए रखने के लिये मौलिक है। भारत में सातवीं अनुसूची तीन विधायी सूचियों का उल्लेख करती है, परंतु इन सूचियों के बीच अंशतः समानता या अतिक्रमण अनिवार्य है। विवादों को प्रबंधित करने के लिये, भारतीय न्यायालयों ने दो प्रमुख व्याख्यात्मक सिद्धांत विकसित किये हैं- सामंजस्यपूर्ण निर्माण और संघीय सर्वोच्चता। इसके विपरीत, जर्मनी संघीय विवादों को अपने संघीय संवैधानिक न्यायालय (Bundesverfassungsgericht) के माध्यम से निवारण करता है, जो बुंडेस्ट्रू (संघीय निष्ठा) पर आधारित सहकारी संघवाद पर ज़ोर देता है।

    मुख्य भाग: 

    सामंजस्यपूर्ण निर्माण: संघीय संतुलन का संरक्षण

    • भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ, राज्य तथा समवर्ती सूचियों के अंतर्गत प्रविष्टियों के बीच होने वाले टकरावों के समाधान हेतु सामंजस्यपूर्ण व्याख्या का सिद्धांत प्रयुक्त किया जाता है। 
    • किसी एक प्रविष्टि को निरर्थक बनाने के बजाय, न्यायालय दोनों को इस प्रकार व्याख्यायित करके प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं कि वे दोनों सह-अस्तित्व में रहें।
      • उदाहरण: सी.बी. बोर्डिंग एंड लॉजिंग बनाम मैसूर राज्य (1970) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने आवास गृहों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति को बरकरार रखा, भले ही आय पर कराधान एक संघ विषय था। न्यायालय ने संबंधित प्रविष्टियों की ऐसी व्याख्या की जिससे दोनों प्रावधान बिना किसी टकराव के कार्य कर सकें।
    • यह सिद्धांत न्यायिक संयम और सहकारी संघवाद की भावना को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

    संघीय सर्वोच्चता: अनुच्छेद 246 और पदानुक्रमिक वरीयता

    • जब टकराव अपरिहार्य हो जाता है, तब भारतीय न्यायालय अनुच्छेद 246 का संदर्भ लेते हैं, जो समवर्ती तथा संघ सूची से संबंधित विषयों पर राज्य विधानमंडलों की तुलना में संसद को प्रधानता प्रदान करता है।
      • पश्चिम बंगाल राज्य बनाम भारत संघ (1963) मामले में राज्य की संपत्ति अधिग्रहण करने के संसद के अधिकार को बरकरार रखा गया, तथा राष्ट्रीय हित में संघ की सर्वोच्चता पर ज़ोर दिया गया।
      • ज़मीर अहमद लतीफुर रहमान शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य (2010) में, न्यायालय ने अनुच्छेद 254(1) का संदर्भ देते हुए कहा कि धन शोधन पर केंद्रीय कानून, परस्पर विरोधी राज्य कानून पर प्रभावी है।
    • इस प्रकार, यद्यपि संविधान सामंजस्य को प्राथमिकता देता है, परंतु जहाँ आवश्यक हो वहाँ विधायी एकरूपता सुनिश्चित करने के लिये संघीय सर्वोच्चता का प्रावधान भी संविधान में निहित है।

    जर्मन मॉडल: सहकारी संघवाद और संवैधानिक संवाद

    • जर्मनी का मूल कानून (Grundgesetz) एक सहकारी संघीय संरचना स्थापित करता है, जहाँ संघीय संवैधानिक न्यायालय (Bundesverfassungsgericht) संघ और लैंडर (राज्यों) के बीच विवादों का निपटारा करता है। 
    • भारत के विपरीत, जहाँ केंद्रीय सर्वोच्चता संरचनात्मक रूप से अंतर्निहित है, जर्मनी संघीय सौहार्द (Bundestreue) पर निर्भर करता है - जो पारस्परिक विश्वास और समन्वय का एक संवैधानिक दायित्व है।
      • उदाहरण: नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया बनाम जर्मन संघीय गणराज्य मामले में संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संघ और राज्यों को विशेष रूप से शिक्षा एवं पर्यावरण जैसे साझा विषयों पर परस्पर सहयोग और संवाद के माध्यम से कार्य करना चाहिये, न कि विरोध या संघर्ष की प्रवृत्ति अपनानी चाहिये।
    • जर्मन मॉडल सर्वसम्मति, न्यायिक मध्यस्थता और संतुलित शक्ति-साझेदारी पर ज़ोर देता है, न कि पदानुक्रमिक वरीयता पर।

    मूल्यांकन और तुलना

    • भारत का दृष्टिकोण एक अर्द्ध-संघीय मॉडल की ओर है, जिसमें सशक्त केंद्र की व्यवस्था है, तथा व्याख्या और सर्वोच्चता संबंधी प्रावधानों के माध्यम से राज्यों की स्वायत्तता का संतुलन स्थापित किया जाता है।
    • जर्मनी की प्रणाली संवाद और सहयोग को संस्थागत बनाती है, तथा शीर्ष-स्तरीय संघीय हस्तक्षेप से बचती है।
    • जहाँ भारत में न्यायालयों ने व्याख्या के माध्यम से संरक्षक की भूमिका निभाई है, वहीं जर्मनी में संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) संविधानगत सौहार्द के आधार पर मध्यस्थ की भूमिका निभाता है।

    निष्कर्ष: 

    जैसा कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने संविधान सभा में सही कहा था,

    "संविधान की संरचना संघीय है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसकी भावना एकात्मक है।"

    यह अंतर्दृष्टि भारत के संघीय ढाँचे के सार को दर्शाती है - जो आवश्यकतानुसार लचीला और केंद्रीकृत है, तथापि सामंजस्यपूर्ण निर्माण और संघीय सर्वोच्चता जैसे न्यायिक सिद्धांतों के माध्यम से संतुलित है। जहाँ भारत में न्यायालय संतुलन के संरक्षक की भूमिका निभाते हैं, जर्मनी से प्राप्त सबक अंतर-राज्यीय परिषद जैसे मज़बूत परामर्शी ढाँचे को प्रेरित कर सकते हैं, जिससे अधिक सहयोगात्मक और परिपक्व संघीय राजनीति सुनिश्चित हो सकेगी।

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