दृष्टि के NCERT कोर्स के साथ करें UPSC की तैयारी और जानें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 04 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 17: “प्रभावी शासन के लिये राजनीतिक जवाबदेही और प्रशासनिक स्वायत्तता के बीच संतुलन आवश्यक है।” भारतीय सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश, प्रदर्शन मूल्यांकन और कार्यकाल सुरक्षा पर हाल की बहस के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • प्रभावी शासन के संदर्भ में राजनीतिक जवाबदेही और नौकरशाही स्वायत्तता को परिभाषित कीजिये।
    • भारतीय सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश, कार्य-निष्पादन मूल्यांकन और कार्यकाल सुरक्षा पर हाल के विमर्श पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह के साथ निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, राजनीतिक जवाबदेहिता यह सुनिश्चित करती है कि निर्वाचित प्रतिनिधि जनहित में कार्य करें, जबकि अधिकारी वर्ग स्वायत्तता से सिविल सेवकों को दक्षता, तटस्थता और निरंतरता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने की सुविधा मिलती है। प्रभावी शासन के लिये इन दोनों स्तंभों के बीच एक स्वस्थ संतुलन अत्यंत आवश्यक है। हालाँकि, हाल ही में पार्श्व प्रवेश, कार्य-निष्पादन मूल्यांकन और कार्यकाल सुरक्षा को लेकर जारी विमर्शों से भारत में इस साम्यावस्था को लेकर प्रश्न किये जा रहे हैं।

    Balanced Governance

    मुख्य भाग: 

    सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश

    • सरकार ने क्षेत्र विशेषज्ञता और निजी क्षेत्र की दक्षता लाने के लिये संयुक्त सचिव स्तर पर पार्श्व प्रवेश की शुरुआत की।
    • वर्ष 2018 और 2021 में, वित्त, कृषि और पर्यावरण जैसे प्रमुख मंत्रालयों में पेशेवरों को शामिल किया गया।
    • चिंताएँ:
      • UPSC की योग्यता-आधारित चयन प्रणाली का संभावित उल्लंघन हो सकता है।
      • संस्थागत प्रतिबद्धता की तुलना में राजनीतिकरण या संविदात्मक निष्ठा को बढ़ावा मिल सकता है।

    कार्य-निष्पादन मूल्यांकन सुधार

    • पारंपरिक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) की जगह 360-डिग्री मूल्यांकन और SPARROW (स्मार्ट परफॉर्मेंस अप्रेज़ल रिपोर्ट रिकॉर्डिंग ऑनलाइन विंडो) जैसी प्रणालियाँ अपनाई जा रही हैं।
    • इस सुधार का उद्देश्य योग्यता-आधारित मूल्यांकन से आगे बढ़कर प्रदर्शन-आधारित शासन की ओर बढ़ते हुए, योग्यता-आधारित, समग्र प्रतिक्रिया और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
    • चिंताएँ:
      • अनामित सहकर्मियों, कनिष्ठों और अधीनस्थों से प्राप्त प्रतिक्रिया में व्यक्तिपरकता और अपारदर्शिता।
      • राजनीतिक प्रभाव और पूर्वाग्रह के प्रति सुभेद्यता, जो निष्पक्षता और अधिकारियों के मनोबल को संभावित रूप से कमज़ोर कर सकती है।

    कार्यकाल सुरक्षा

    • सिविल सेवकों के निरंतर और मनमाने स्थानांतरण नौकरशाही की दक्षता और प्रभावशीलता को अत्यधिक प्रभावित करते हैं।
    • ऐसी अस्थिरता नीतिगत निरंतरता को बाधित करती है, दीर्घकालिक परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डालती है और प्रायः अधिकारियों के मनोबल को कमज़ोर करती है।
    • अशोक खेमका (हरियाणा) और दुर्गा शक्ति नागपाल (उत्तर प्रदेश) जैसे सत्यनिष्ठ अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध करने के कारण दंडात्मक स्थानांतरण का सामना करना पड़ा।

    सुधार संबंधी सुझाव

    • लेटरल प्रवेशकों की भर्ती लोक सेवा मूल्यों पर केंद्रित स्वतंत्र और पारदर्शी तंत्र के माध्यम से की जानी चाहिये।
    • केवल इनपुट से नहीं, बल्कि परिणामों से जुड़े वस्तुनिष्ठ, परिमाण निर्धारित करने योग्य और लेखापरीक्षित प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) तैयार किये जाने चाहिये।
    • सांविधिक सिविल सेवा बोर्डों के माध्यम से नियुक्तियों, स्थानांतरणों और मूल्यांकन के लिये संस्थागत तंत्र का सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिये।
    • टी.एस.आर. सुब्रमण्यन बनाम भारत संघ (2013) में, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यूनतम निश्चित कार्यकाल अनिवार्य किया और नौकरशाही स्वतंत्रता पर ज़ोर दिया।
    • संहिताबद्ध प्रोटोकॉल के माध्यम से मंत्रियों और सिविल सेवकों के बीच सर्जनात्मक संवाद प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष: 

    द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के अनुसार,

    “सुशासन का अर्थ स्वायत्तता और जवाबदेही के बीच चयन करना नहीं है, बल्कि उनके बीच एक गतिशील संतुलन स्थापित करना है।”

    भारत की सिविल सेवाओं को कुशल, निष्पक्ष और नागरिक-केंद्रित बनाए रखने के लिये, सुधारों में एक ऐसी शासन संस्कृति को बढ़ावा देना होगा जहाँ पेशेवर स्वतंत्रता लोकतांत्रिक जवाबदेही के साथ सह-अस्तित्व में हो।

close
Share Page
images-2
images-2