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  • 18 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस 29: भारतीय अर्थव्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के एकीकरण की संभावित उपयोगिताओं और चुनौतियों की विवेचना कीजिये। कृषि, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में AI के महत्त्व और हालिया विकास आँकड़ों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • मुख्य भाग में, AI के लाभों और इसे अपनाने में बाधक प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत के डिजिटल और आर्थिक परिवर्तन का केंद्रबिंदु बनती जा रही है। अनुमान है कि घरेलू AI बाज़ार वर्ष 2027 तक तीन गुना बढ़कर 17 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा, जिसमें 6 लाख से अधिक पेशेवर कार्यरत होंगे। AI से पारंपरिक क्षेत्रों में क्रांति द्वारा समावेशी विकास को गति मिल रही है। कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में इसका एकीकरण विकासात्मक अंतरालों को कम करने तथा साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण को सशक्त बनाने में सहायक है।

    मुख्य भाग:

    भारतीय अर्थव्यवस्था में AI के अनुप्रयोग और प्रभाव:

    • कृषि एवं खाद्य सुरक्षा:
      • ड्रोन आधारित फसल निगरानी, पूर्वानुमानित उपज मॉडलिंग, मृदा स्वास्थ्य विश्लेषण और स्वचालित सिंचाई प्रणाली जैसे AI अनुप्रयोग कृषि पद्धतियों को आधुनिक बना रहे हैं।
      • CropIn और KisanGPT जैसे प्लेटफॉर्म कीट नियंत्रण, बाज़ार प्रवृत्ति और मौसम से संबंधित रियल टाइम सलाह प्रदान करते हैं।
      • इससे परिशुद्ध कृषि एवं उपज की बर्बादी में कमी के साथ विशेषकर छोटे किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होती है।
      • AI आपूर्ति शृंखला अनुकूलन और शीत भंडारण योजना में भी सहायक है, जिससे फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
    • स्वास्थ्य सेवा में नवाचार और पहुँच:
      • AI-सक्षम रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी और जीनोमिक्स विश्लेषण से प्रारंभिक निदान में सुधार हो रहा है ।
      • निरामई जैसी AI-आधारित स्तन कैंसर स्क्रीनिंग तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये चैटबॉट्स, व्यापक स्तर पर जाँच और जागरूकता में सहायक हैं।
      • दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में AI आधारित ट्राइएज सिस्टम युक्त टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म सुलभ परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के साथ शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित हैं।
      • इसके अतिरिक्त, AI से अस्पताल संसाधन नियोजन और गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन में योगदान मिलता है।
    • शिक्षा और कौशल निजीकरण:
      • Byju’s और ConveGenius जैसे AI-सक्षम अनुकूली शिक्षण प्लेटफॉर्म सामग्री को वैयक्तिकृत करने, छात्रों के प्रदर्शन की निगरानी करने और कमज़ोर क्षेत्रों की पहचान कर सुधार में सहायता करने में सहायक हैं।
      • AI चैटबॉट्स दिव्यांग छात्रों के लिये बहुभाषी और समावेशी शिक्षा को सुलभ बनाते हैं।
      • यह पाठ्यक्रम विकास एवं शिक्षक प्रशिक्षण के साथ शहरी-ग्रामीण शिक्षा अंतराल को कम करने में सहायक है।
    • अतिरिक्त आर्थिक अनुप्रयोग:
      • शासन: AI आधारित वास्तविक समय शिकायत निवारण, यातायात अनुकूलन और ई-गवर्नेंस से पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि होती है।
      • फिनटेक: उन्नत क्रेडिट स्कोरिंग, धोखाधड़ी की पहचान और ग्राहक प्रोफाइलिंग से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है।
      • विनिर्माण: पूर्वानुमानित रखरखाव, आपूर्ति शृंखला नियोजन और ऊर्जा दक्षता को AI प्रणालियों के माध्यम से बेहतर किया जाता है।
      • भाषा तक पहुँच: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) उपकरण क्षेत्रीय भाषाओं में सेवाएँ उपलब्ध कराकर डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देते हैं।

    एकीकरण में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ:

    • डिजिटल अवसंरचना अंतराल: ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी और कम संसाधन, AI तक पहुँच में बाधक हैं।
    • कौशल एवं प्रतिभा की कमी: विशेष रूप से टियर-II और III संस्थानों में डोमेन-विशिष्ट AI पेशेवरों की कमी बनी हुई है।
    • डेटा गोपनीयता और उपलब्धता: AI के विकास के लिये आवश्यक एनोटेटेड डेटासेट का अभाव, पूर्वाग्रह संबंधी जोखिम तथा गोपनीयता की अपर्याप्त व्यवस्था से समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • विनियामक और नैतिक चिंताएँ: AI-विशिष्ट कानून की अनुपस्थिति से इस संदर्भ में अस्पष्टता, दुरुपयोग और एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह की संभावना बनी रहती है।
    • लागत और जागरूकता संबंधी बाधाएँ: MSME और सार्वजनिक संस्थान इसको अपनाने की उच्च लागत और सीमित जागरूकता का सामना करते हैं।
    • विश्वसनीयता संबंधी मुद्दे: कई AI मॉडल ब्लैक-बॉक्स सिस्टम के रूप में कार्य करते हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य एवं विधि प्रवर्तन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिरोध उत्पन्न होता है।

    निष्कर्ष:

    भारत के प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में बदलाव लाने में AI की अपार संभावनाएँ हैं। हालाँकि, इसे अपनाने के लिये एक संतुलित ढाँचे का पालन करना होगा जिससे नैतिक, समावेशी और न्यायसंगत कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके। इससे संबंधित जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करते हुए इसके लाभों को अधिकतम करने के क्रम में डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना, AI शिक्षा में निवेश करना तथा मज़बूत नियामक तंत्र लागू करना आवश्यक है।

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