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Mains Marathon

  • 22 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस 32: विश्लेषण कीजिये कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) विनियमों में हाल के संशोधन किस प्रकार परियोजना अनुमोदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी एवं कुशल बनाते हुए पर्यावरणीय न्याय और सतत् विकास की आवश्यकताओं को संतुलित करने में सहायक हैं। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को परिभाषित कीजिये।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) विनियमों में प्रमुख परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये।
    • आकलन कीजिये कि पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) सुधार किस प्रकार पर्यावरणीय न्याय और सुव्यवस्थित मंज़ूरियों के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय: 

    UNEP पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) को निर्णय लेने से पहले किसी परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का आकलन करने के एक साधन के रूप में परिभाषित करता है। यह प्रभावों का शीघ्र पूर्वानुमान लगाने, प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और नीति निर्माताओं को सूचित करने में सहायता करता है। EIA अधिसूचना- 2020 के प्रारूप सहित हाल के प्रयासों का उद्देश्य पर्यावरणीय न्याय को ध्यान में रखते हुए मंज़ूरियों को सुव्यवस्थित करना है।

    मुख्य भाग:

    EIA विनियमों में प्रमुख परिवर्तन:

    • परियोजनाओं का वर्गीकरण: परियोजनाओं को A, B1 और B2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जिसमें B2 श्रेणी की परियोजनाओं को 'न्यूनतम जोखिम' वाली मानते हुए विस्तृत जाँच से छूट दी जाती है और इन्हें राज्य स्तर पर ही मंज़ूरी दी जा सकती है। इससे परियोजनाओं की मंज़ूरी प्रक्रिया तीव्र हो जाती है और निर्णय-निर्माण में गति आती है।
    • डिजिटलीकरण: ऑनलाइन सबमिशन, ट्रैकिंग और मंज़ूरी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता के लिये PARIVESH जैसे प्लेटफॉर्म की शुरुआत।
    • समयबद्ध मंज़ूरी: पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के प्रत्येक चरण के लिये समय सीमा और जन सुनवाई के समय को 30 दिनों से घटाकर 20 दिन कर दिया गया है ताकि मंज़ूरियों में तेज़ी लाई जा सके।
    • कार्योत्तर मंज़ूरियाँ: बिना पूर्व मंज़ूरी के शुरू हुई परियोजनाओं को पूर्वव्यापी मंज़ूरी लेने की अनुमति देने वाले प्रावधान।
    • छूट: रणनीतिक और रैखिक परियोजनाओं (जैसे: सड़कें, पाइपलाइनें) को कुछ मामलों में जन सुनवाई से छूट दी गई है।

    परियोजना मंज़ूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हुए पर्यावरण न्याय पर प्रभाव:

    • सकारात्मक उपाय:
      • राज्य-स्तरीय विकेंद्रीकरण के माध्यम से तीव्र मंज़ूरियाँ।
      • ऑनलाइन पोर्टल और वर्गीकरण के माध्यम से बेहतर दक्षता।
      • प्रक्रियात्मक समय-सीमा में स्पष्टता, निवेशकों की सहायता और प्रशासनिक विलंब को कम करना।
      • डिजिटल पारदर्शिता ने प्रोजेक्ट डेटा तक जनता के अभिगम में सुधार किया है।
      • पर्यावरणीय उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये आधारभूत डेटा आवश्यकताओं और अनुपालन रिपोर्टिंग पर बल दिया गया है।
    • चिंताएँ:
      • जन सुनवाई की छोटी अवधि प्रभावी भागीदारी को कम करती है, विशेषकर कम इंटरनेट एक्सेस वाले जनजातीय समुदायों और ग्रामीण समुदायों के लिये।
      • कार्योत्तर मंज़ूरी पूर्व सूचित सहमति के सिद्धांत को कमज़ोर करती है तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है।
      • प्रमुख परियोजनाओं के लिये छूट स्थानीय हितधारकों की अनदेखी का जोखिम उत्पन्न करती है, जिससे सुभेद्य आबादी के लिये पर्यावरणीय न्याय कमज़ोर होता है।

    निष्कर्ष:

    हालाँकि हालिया पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) सुधार मंज़ूरी प्रक्रिया को आधुनिक और तीव्र बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन पर्यावरणीय न्याय सुनिश्चित करने में उनकी प्रभावशीलता कमज़ोर जन भागीदारी, छूट एवं कार्योत्तर मंज़ूरियों के कारण सीमित है। विकास और पारिस्थितिक अधिकारों, दोनों की रक्षा के लिये एक अधिक समावेशी, सहभागी एवं न्यायसंगत दृष्टिकोण आवश्यक है।

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