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  • 18 Jul 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस 29: देश की पर्यावरणीय और ऊर्जा चुनौतियों का समाधान करने में भारत की स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) प्रौद्योगिकी की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। भारत में EV के व्यापक रूप से तीव्र अंगीकरण को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा सकता है? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के समक्ष मौजूद पर्यावरणीय एवं ऊर्जा चुनौतियों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • इन मुद्दों के समाधान में स्वदेशी EV प्रौद्योगिकियों की भूमिका तथा भारत में EV को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये। 

    परिचय:

    भारत के परिवहन क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन, बढ़ते वायु प्रदूषण और ऊर्जा आयात निर्भरता जैसे दोहरे संकटों से निपटने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। वायु प्रदूषण प्रतिवर्ष लगभग 16 लाख अकाल मौतों का कारण बनता है तथा भारत 85% से अधिक कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। इस परिप्रेक्ष्य में स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) प्रौद्योगिकियाँ न केवल उत्सर्जन में कमी, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक रणनीतिक समाधान प्रस्तुत करती हैं। वर्ष 2024 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा स्वास्थ्य एवं मानव संसाधन मंत्रालय (MHI) द्वारा जारी संयुक्त प्रस्ताव स्थानीयकृत एवं उच्च गुणवत्ता वाली और धारणीय EV उप-प्रणालियों के विकास की दिशा में एक प्रमुख नीतिगत पहल है।

    मुख्य भाग:

    स्वदेशी EV प्रौद्योगिकियाँ: 

    • शहरी उत्सर्जन और CO₂ फुटप्रिंट पर नियंत्रण : इलेक्ट्रिक वाहन टेलपाइप उत्सर्जन को काफी कम कर देते हैं, जिससे NOx, PM2.5 और अन्य हानिकारक प्रदूषकों में उल्लेखनीय कमी आती है।
    • परिवहन क्षेत्र भारत के CO₂ उत्सर्जन में लगभग 10% का योगदान करता है। ऐसे में EV अपनाने से वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
    • तेल आयात पर निर्भरता कम करना: नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2030 तक 30% EV को शामिल करने से भारत को वार्षिक 60 बिलियन डॉलर तक के तेल आयात की बचत हो सकती है, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
    • नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के साथ एकीकरण: स्वदेशी बैटरी तकनीक और बैटरी प्रबंधन प्रणाली (BMS) नवाचार स्मार्ट चार्जिंग, वाहन-से-ग्रिड (V2G) एकीकरण और सौर/पवन ऊर्जा संयोजन को सक्षम बनाने पर केंद्रित है। इससे ग्रिड लचीलापन, ऊर्जा विकेंद्रीकरण और हरित ऊर्जा संक्रमण को गति मिलती है।
    • स्थानीयकृत नवाचार और लागत नियंत्रण: पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्राइवट्रेन, चार्जर और BMS में स्थानीय अनुसंधान एवं विकास से लागत में कमी आती है। इसके साथ ही इससे भारत की भौगोलिक, जलवायु और यातायात परिस्थितियों के अनुकूल तकनीक का विकास संभव होता है।
    • औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन: मेक-इन-इंडिया के तहत EV घटक निर्माण से उन्नत सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और असेंबली क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर सृजित होने के साथ स्वच्छ ऊर्जा आधारित गतिशीलता और औद्योगिक नीति का एकीकरण होता है।
    • संसाधन सुरक्षा के लिये सर्कुलर इकोनाॅमी: स्वदेशी EV तकनीक से बैटरियों के पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा मिलने से लिथियम और अन्य आयातित संसाधनों पर निर्भरता में कमी आती है।

    व्यापक रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के अपनाने को बढ़ावा देना:

    • PM E-ड्राइव योजना: PM इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-ड्राइव) योजना का उद्देश्य दो वर्षों (वर्ष 2024-2026) में 10,900 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ भारत में हरित गतिशीलता और EV पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को गति प्रदान करना है।
    • अनुसंधान एवं विकास तथा विनिर्माण के लिये समर्थन: उन्नत रसायन कोशिकाओं (ACC) के लिये PLI योजनाएँ और IIT, ARCI, ARAI और उत्कृष्टता केंद्रों से संस्थागत समर्थन प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (TRL) 7+ स्तरों तक नवाचार को गति प्रदान करता है।
    • चार्जिंग अवसंरचना और गतिशीलता प्लेटफॉर्म: ई-अमृत प्लेटफॉर्म और NEMMP के माध्यम से सार्वजनिक-निज़ी प्रयास वाले शहरों और राजमार्गों पर EV चार्जर और बैटरी-स्वैपिंग नेटवर्क को बढ़ावा देते हैं।
    • सार्वजनिक खरीद के माध्यम से मांग एकत्रीकरण: सरकारी बेड़े के आदेश और सार्वजनिक परिवहन (E-बसें, E-रिक्शा) में EV को अपनाने से स्तरीय अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक दृश्यता उत्पन्न होती है।
    • डिजिटल एकीकरण और स्मार्ट मोबिलिटी: स्टार्टअप्स बैटरी डायग्नोस्टिक्स, साझा गतिशीलता और लॉजिस्टिक्स दक्षता के लिये AI, IOT और एनालिटिक्स का लाभ उठाते हैं - जो अंतिम मील विद्युतीकरण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • बैटरी रीसाइक्लिंग और बिक्री के बाद की पारिस्थितिकी प्रणाली: सुरक्षा, वॉरंटी और बैटरी रीसाइक्लिंग के लिये सुदृढ़ मानक उपभोक्ता विश्वास और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।

    निष्कर्ष:

    भारत का स्वदेशी EV पारिस्थितिकी तंत्र उसकी पर्यावरणीय और ऊर्जा संबंधी दुविधाओं को हल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो जलवायु कार्रवाई, नवाचार और आर्थिक लचीलेपन का एक दुर्लभ संगम प्रदान करता है। नीतिगत समर्थन, अनुसंधान एवं विकास, उपभोक्ता विश्वास और बुनियादी ढाँचे में तालमेल बिठाकर भारत स्वच्छ गतिशीलता को न केवल एक जलवायु अनिवार्यता के रूप में बल्कि एक आत्मनिर्भर और समतामूलक ऊर्जा भविष्य की नींव के रूप में भी मुख्यधारा में ला सकता है।

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