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द बिग पिक्चर : यूएस शटडाउन एंड इमरजेंसी

  • 18 Jan 2019
  • 13 min read

संदर्भ


अमेरिका का व्हाइट हाउस (White House) इन दिनों गहरे संकट से जूझ रहा है। अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने की डोनाल्ड ट्रंप की महत्त्वाकांक्षी योजना पर आने वाले खर्च को लेकर सदन में बिल पास नहीं हो पाया, जिससे नाराज़ होकर ट्रंप प्रशासन ने पिछले तीन हफ्तों से अमेरिका में सरकारी बंदी (shutdown) घोषित कर दी है। इसकी वज़ह से जहाँ एक तरफ आठ लाख कर्मचारी घर बैठने को मजबूर हुए हैं, वहीं ट्रंप द्वारा आपातकाल लगाने की चर्चा भी ज़ोर पकड़ रही है।

पृष्ठभूमि

  • अमेरिका के इतिहास में पहले भी कई बार शटडाउन की स्थिति आ चुकी है।
  • अमेरिका की संघीय सरकार को 2018 में तीसरी बार शटडाउन के हालात का सामना करना पड़ा है।
  • इससे पहले वर्ष 2018 में फरवरी में कुछ घंटों के लिये और जनवरी में तीन दिन के लिये सरकार का कामकाज ठप हो गया था।
  • बीते 40 वर्षों में यह पहली बार है जब अमेरिका में एक साल में सरकार का कामकाज तीन बार ठप पड़ा।
  • इस साल जनवरी में अमेरिका में वित्त विधेयक को सीनेट की मंज़ूरी नहीं मिली। इससे अक्तूबर 2013 के बाद करीब चार साल तीन महीने पश्चात् अमेरिका में शटडाउन की स्थिति बन गई।

क्या होता है शटडाउन?

  • अमेरिका में शटडाउन की स्थिति 22 दिसंबर, 2018 से जारी है।
  • शटडाउन को ऐसे समझा जा सकता है। उदहारण के लिये भारत में केंद्र सरकार के अधिकांश विभाग जैसे वित्त विभाग काम करना बंद कर दे, तो यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन मिलना बंद हो जाएगा। ऐसी स्थिति को शटडाउन कहा जाता है।
  • ठीक इसी प्रकार अमेरिका में भी शटडाउन हो रहा है। लेकिन यह कम्पलीट शटडाउन नहीं है, आंशिक (partial) शटडाउन है। अर्थात् कुछ विभाग पूरी तरह से शटडाउन की स्थिति में हैं, जबकि कुछ विभाग आंशिक रूप से काम कर रहे हैं।
    इसमें सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित होता है। हालाँकि शटडाउन के बावजूद आपातकालीन सेवाएँ चालू रहती हैं।
  • अमेरिका में शटडाउन की स्थिति तब पैदा होती है जब वहाँ की संसद कॉन्ग्रेस बजट से जुड़े विनियोग विधेयक को पारित करने में विफल रहती है या फिर राष्ट्रपति द्वारा उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया जाता है।
  • विनियोग विधेयक के ज़रिये सरकार के संचालन और एजेंसियों के लिये वित्त की व्यवस्था की जाती है। इस मामले में अमेरिका में लागू एंटी-डेफिशियेंसी एक्ट के तहत देश में पैसों को लेकर दिक्कत के कारण संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता है और इस स्थिति को शटडाउन कहा जाता है।

शटडाउन हुआ क्यों?

  • आंशिक शटडाउन की मुख्य वज़ह मेक्सिको-अमेरिका सीमा पर बनने वाली दीवार है।
  • सरकार को काम करने के लिये पैसों की ज़रूरत होती है। अमेरिका की फ़ेडरल सरकार को यू.एस. कॉन्ग्रेस से मिलते हैं। U.S. की संसद को कॉन्ग्रेस कहा जाता है।
  • इसके दो सदन होते हैं, हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव (लोअर हाउस) तथा अमेरिका की राज्यसभा जिसे सीनेट (अपर हाउस) कहा जाता है। USA सरकार के काम करने तथा उस पर आने वाले खर्च से संबंधित विधेयक तैयार किया जाता है।
  • विधेयक तैयार होने के बाद उसे हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव में भेजा जाता है। यहाँ पास होने के बाद उसे सीनेट में भेजा जाता है और यहाँ स्वीकृति मिलने के बाद राष्ट्रपति के पास जाता है, राष्ट्रपति द्वारा उस पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद USA सरकार को पैसे मिलते हैं।
  • हाल ही में जो विधेयक पास हुआ था वह 850 बिलियन डॉलर का था। यह विधेयक दोनों सदनों में पास होने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा गया। उन्होंने इसमें 7.5 बिलियन डॉलर और जोड़ने की मांग करते हुए विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया और शटडाउन की धमकी दे दी।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना था कि वह इस अतिरिक्त राशि से अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाएंगे। यह उनका चुनावी वादा भी था।
  • उनका यह भी कहना था कि दीवार बन जाने से मेक्सिको के अवैध अप्रवासी अमेरिका नहीं आ पाएंगे जिससे अपराध और ड्रग्स की तस्करी पर लगाम लगेगी।

यूएस-मेक्सिको बॉर्डर वाल को लेकर गतिरोध

  • सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी और विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच इस दीवार को लेकर गतिरोध है, सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने इसका विरोध किया।
  • उनका कहना था कि बॉर्डर पर दीवार बनाने से इसका कोई उपयोग नहीं होगा। इससे अवैध अप्रवास नहीं रुकेगा और यह गैर-ज़रूरी खर्च है।
  • विरोध की वज़ह से यह बजट सीनेट में पास नहीं हुआ और अमेरिका में आंशिक शटडाउन के हालात पैदा हो गए।
  • डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता यूएस - मेक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी करने की बजाय फेंसिंग के पक्ष में हैं। वहीँ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दीवार बनाने के अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

यूएस-मेक्सिको बॉर्डर वाल

  • अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर 2000 मील लंबा है तथा यह सीमा अमेरिका के चार राज्यों कैलिफोर्निया, एरिज़ोना, न्यू मेक्सिको और टेक्सास से लगी है। इस पर उचित तरीके से फेंसिंग नहीं हो पाई है जिसके कारण कोई भी मेक्सिकन नागरिक USA में प्रवेश कर सकता है।
  • पहले भी दोनों देशों के लोग एक-दूसरे देश में आते-जाते रहे हैं। इस दीवार के बारे में पहले भी चर्चा होती रही है लेकिन इस मुद्दे को मार्च 2015 में डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुखता से उठाया था और राष्ट्रपति बनने पर इसके निर्माण का वादा किया था।
  • उनके राष्ट्रपति बनने में इस चुनावी वादे का प्रमुख योगदान था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वहाँ की जनता को समझाने में सफल रहे कि दीवार न होने के कारण अमेरिका में अवैध अप्रवासियों की संख्या बढ़ रही है और ये अप्रवासी अमेरिका में ड्रग्स की तस्करी, लूट, हत्या तथा बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।
  • 2015-16 के दौरान यूरोप में शरणार्थी संकट उत्पन्न हो गया था। सीरिया और अफ्रीका के अलावा अन्य देशों से हज़ारों की संख्या में शरणार्थी यूरोप की तरफ आने लगे थे और फ़्राँस, स्वीडन तथा जर्मनी ने इन शरणार्थियों को शरण दी।
  • लेकिन जैसे-जैसे बहुत ज़्यादा संख्या में शरणार्थी आते गए तो अपराध भी बढ़ते गए। जर्मनी में रेप और मर्डर की घटनाएँ सामने आने लगीं। मीडिया ने इन घटनाओं के लिये शरणार्थियों को ज़िम्मेदार माना तथा इसे प्रमुखता से टीवी चैनलों के माध्यम से प्रसारित किया।
  • इसी बात का फायदा उठाते हुए ट्रंप ने दीवार बनाने का वादा कर दिया और वह हिलेरी क्लिंटन को हराकर अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए।

क्या दीवार बनने से समस्या हल हो पाएगी?

  • वर्तमान में यूएसए टेक्सास, लास एंजिल्स तथा न्यू मेक्सिको में युवाओं के बीच ड्रग्स एडिक्शन की बुरी आदत तेज़ी से फ़ैल रही है।
  • ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिये कुछ करना अच्छा हो सकता है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या दीवार बन जाने से यह समस्या हल हो जाएगी?
  • विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अवैध ड्रग्स की तस्करी की समस्या हल नहीं होगी। ड्रग्स खरीदारों तक कहीं-न-कहीं से पहुँच ही जाएंगे और दीवार उन्हें नहीं रोक पाएगी।
  • अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि बॉर्डर को अभेद्य बनाना लगभग असंभव होगा। लोग इसके नीचे या इसके ऊपर से आवाजाही कर सकते हैं।
  • होमलैंड सिक्योरिटी विभाग मौजूदा बाड़ को मेंटेन रखने के लिये पहले से ही लाखों डॉलर खर्च कर रहा है, जबकि नशीली दवाओं के तस्कर तेज़ी से सुरंगों का उपयोग कर रहे हैं।

अमेरिकी शटडाउन का प्रभाव क्या हो सकता है?

  • स्टैण्डर्ड एंड पुअर ग्लोबल एनालिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शटडाउन से अमेरिका को प्रति सप्ताह 6.5 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।
  • इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मांग कम होगी, कंपनियों को नुकसान होगा।
  • इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव कनाडा और मेक्सिको की सरकार को हो सकता है, उनके एक्सपोर्ट को नुकसान हो सकता है।
  • यह अगर 30 दिन से ज़्यादा चलता है तो अमेरिका में आर्थिक स्लोडाउन की स्थिति बन सकती है जो विश्व भर के बाज़ारों के लिये अच्छा नहीं होगा।
  • आर्थिक शटडाउन की वज़ह से अमेरिका के चार लाख केंद्रीय कर्मचारियों को घर बैठना पड़ा है, जबकि ज़रूरी सेवाओं के लिये नियुक्त करीब एक लाख बीस हज़ार कर्मचारियों को बिना वेतन के ही काम करने को मज़बूर होना पड़ रहा है।
  • इससे वहाँ के लोगों को परेशानियों का सामना करना तो पड़ ही रहा है लेकिन अगर यह शटडाउन लंबा चला तो दुनिया के अन्य देश भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे।
  • इसके चलते केवल अमेरिकी शेयर बाज़ार ही प्रभावित नहीं होगा बल्कि भारत समेत दुनिया के अन्य बाज़ार भी प्रभावित होंगे।
  • शटडाउन के चलते भारत का निर्यात प्रभावित होगा क्योंकि भारत से सबसे ज़्यादा वस्तुओं का निर्यात किये जाने वाले देशों में अमेरिका भी प्रमुख देश है।

निष्कर्ष


शटडाउन के दौरान कई महत्त्वपूर्ण विभाग बंद हो जाते हैं। लाखों लोगों को बेरोज़गारी का सामना करना पड़ता है और इसका दबाव सरकार पर पड़ता है। इसकी वज़ह से सरकार के प्रति जनता में गुस्सा और अविश्वास पैदा होता है। अमेरिका में शटडाउन का चौथे हफ्ते में प्रवेश करने से स्थिति और गंभीर होती दिख रही है। ऐसे में सरकार तथा विपक्ष को इस मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता निकालने के लिये तत्काल बातचीत करने की आवश्यकता है।

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