लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



संसद टीवी संवाद

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में 5G तकनीक का भविष्य

  • 01 Jul 2021
  • 12 min read

संदर्भ

दूरसंचार विभाग (The Department of Telecommunications- DoT) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (Telecom Service Providers- TSP) को 5G तकनीक के उपयोग और अनुप्रयोगों के लिये परीक्षण करने की अनुमति दी है।

  • TSP को ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में भी 5G परीक्षण करने के लिये कहा गया है।
  • 5G तकनीक से स्पेक्ट्रम दक्षता अधिक और डाउनलोडिंग की गति के बेहतर होने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु

  • दूरसंचार के क्षेत्र में बड़ी कंपनियों के मध्य सहयोग: जहाँ भारती एयरटेल (Bharti Airtel) ने 5G नेटवर्क विकसित करने के लिये टाटा ग्रुप के साथ समझौता किया है, वहीं रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने 5G से जुड़े समाधानों के लिये गूगल क्लाउड के साथ समझौता किया है।
    • Jio ने अपने स्वदेशी उपकरणों का उपयोग कर मुंबई में 5G परीक्षण शुरू भी कर दिया है।
    • एयरटेल का 5G नेटवर्क 1 Gbps (गीगाबिट्स प्रति सेकंड)  से ज़्यादा स्पीड देने में सक्षम है।
  • ट्राई द्वारा नीलामी: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) भारत में 5G स्पेक्ट्रम के लिये नीलामी करेगा।
  • 5G प्रौद्योगिकी रोलआउट: सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति को सूचित किया गया था कि वर्ष 2021 के अंत या वर्ष 2022 की शुरुआत तक विशिष्ट उपयोगों के लिये भारत में 5G लागू होगा।
    • फिलहाल भारत में 4G इंटरनेट सेवा कम-से-कम 5-6 वर्षों तक जारी रहने की उम्मीद है।
  • 5G तकनीक की प्रमुख विशेषताएँ: 5G तकनीक से डेटा डाउनलोड करने की दर (4G की तुलना में 10 गुना तक बढ़ने की उम्मीद) बेहतर होगी, स्पेक्ट्रम दक्षता तीन गुना अधिक हो सकती है, साथ ही अल्ट्रा-लो लेटेंसी (लेटेंसी अर्थात् नेटवर्क द्वारा प्रतिक्रिया देने में लगने वाला समय) रहेगी। 
  • विभिन्न अनुप्रयोगों का परीक्षण: टेली-मेडिसिन, टेली-एजुकेशन, संवर्द्धित/आभासी वास्तविकता, ड्रोन-आधारित कृषि निगरानी आदि जैसे अनुप्रयोगों के लिये इस तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि परीक्षण के दौरान उत्पन्न डेटा भारत में संग्रहीत किया जाएगा।

5G तकनीक के बारे में

  • उच्च गति प्रदान करने वाली तकनीक: 5G पाँचवीं पीढ़ी की सेल्युलर तकनीक है जो मोबाइल नेटवर्क पर डाउनलोडिंग और अपलोडिंग की गति को बढ़ाएगी।
    • 4G की 1 Gbps (गीगाबिट्स प्रति सेकंड) की तुलना में 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट स्पीड को 20 Gbps की उच्च दर तक प्राप्त करने के लिये परीक्षण किया गया है। साथ ही 5G लेटेंसी को भी कम करेगा।
  • मशीन-टू-मशीन संचार: 5G तकनीक मशीन-टू-मशीन संचार की सुविधा से संपन्न होगी, जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) की नींव है।
  • अर्थव्यवस्था में योगदान: सरकार द्वारा नियुक्त पैनल (वर्ष 2018) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 5G की सहायता से वर्ष 2035 तक भारत में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का संचयी आर्थिक प्रभाव पैदा होने की उम्मीद है।
    • यह मशीनों और विभिन्न क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाकर आर्थिक स्तर पर भारत को भारी मात्रा में लाभ प्रदान करेगा। साथ ही दक्षता में वृद्धि होगी जिससे उत्पादन भी बढ़ेगा फलस्वरूप राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी होगी।
  • सहयोगात्मक नेटवर्क परिनियोजन: 5G पहली बार नेटवर्क परिनियोजन के लिये व्यावसायिक और तकनीकी क्षेत्रों को एक साथ एक स्तर पर लाएगा।
    • पहले, दूरसंचार कंपनियाँ आंतरिक रूप से चर्चा कर नेटवर्क तैनात करते थे, लेकिन अब व्यवसायी वर्ग, प्रौद्योगिकी कंपनियाँ और साइबर विशेषज्ञ नेटवर्क की तैनाती के लिये एक साथ कार्य करेंगे।

क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना: 5G में नेटवर्क की सीमाओं के बजाय क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंडविड्थ (Band Width) से अधिक नेटवर्क की सीमा की आवश्यकता होती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र शहरी क्षेत्रों की तरह घनी आबादी वाले और औद्योगीकृत नहीं हैं।
  • आवश्यक क्षेत्रों में अधिक छोटी इकाइयों को तैनात करके इसकी भरपाई की जाएगी।

संबंधित मुद्दे

  • भारत देर से इस तकनीक को अपनाने वालों देशों में से एक: भारत, बांग्लादेश और इंडोनेशिया सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में 5G तकनीक को अपनाने में देरी हो रही है, इसलिये इस सेवा से नगण्य राजस्व प्राप्त होगा।
    • देर से इस तकनीक को अपनाने वालों के लिये अगले 12-18 महीनों में 5G मोबाइल सेवा के ज़रिये राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद नहीं है।
  • कम सरकारी सब्सिडी: मौजूदा राजकोषीय घाटे के बीच स्पेक्ट्रम नीलामी के लिये सरकारों द्वारा निर्धारित उच्च आरक्षित कीमतों के इतिहास को देखते हुए सरकारी सब्सिडी की उम्मीद कम है।
  • डिजिटल डिवाइड: 5G अल्पावधि में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल डिवाइड को समाप्त नहीं कर पाएगा, बल्कि इसे बढ़ाएगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में भी व्यावसायिक मामलों में 5G की पहुँच पर्याप्त नहीं है। इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह आसानी से उपलब्ध नहीं होगा।
  • 5G एक विशिष्ट सेवा: 3G और 4G के विपरीत 5G एक विशिष्ट सेवा होगी, जबकि 3G एवं 4G की सेवाएँ व्यापक हैं। 
    • 5G तकनीक का रोलआउट 4G से अलग होगा; इसे केवल विशिष्ट क्षेत्रों और उपयोगों हेतु ही लाया जाएगा।
  • पूर्व में उपलब्ध तकनीकों की अपर्याप्त पहुँच: उपभोक्ता अभी भी कॉल ड्रॉप और बाधित डेटा सेवाओं जैसे बुनियादी नेटवर्क मुद्दों से जूझ रहे हैं।
    • अभी भी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ 4G नेटवर्क नहीं है जिससे इंटरनेट सेवाओं में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।
    • नया 5G तकनीक शुरू करने से पहले मौजूदा 4G नेटवर्क के सेवा मानकों की गुणवत्ता को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है।
  • आवश्यक आधारभूत संरचनाओं को सक्षम करना: 5G के लिये संचार प्रणाली के बुनियादी संरचनाओं में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता होगी। 5G का उपयोग करके डेटा ट्रांसफर करने का प्रमुख दोष यह है कि यह अधिक दूरी तक डेटा को ट्रांसफर नहीं कर सकता है। इसलिये 5G तकनीक में कुछ सुधार की ज़रूरत है।
  • उपभोक्ताओं पर वित्तीय दायित्व: 4G से 5G प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के लिये नवीनतम सेलुलर प्रौद्योगिकी को अपग्रेड करना होगा, जिसका वित्तीय दायित्व उपभोक्ताओं पर होगा।

आगे की राह:

ग्रामीण-शहरी अंतर को पाटना: 5G को विभिन्न बैंड स्पेक्ट्रम पर और कम बैंड स्पेक्ट्रम पर भी उपयोग किया जा सकता है। इसकी सीमा बहुत लंबी है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सहायक है।

  • सरकार द्वारा सहायता: तकनीक के इनपुट पर सरकार का पूरा नियंत्रण होगा। 5G के प्रमुख इनपुट में से एक बैंड स्पेक्ट्रम है।
    • सरकार स्पेक्ट्रम के डिज़ाइन का प्रबंधन करके लोगों द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत को नियंत्रित कर सकती है।
    • सरकार दूरसंचार कंपनियों को ऐसे नेटवर्क शुरू करने में सहायता करेगी जो जनता के लिये टिकाऊ और किफायती हों।
  • स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के मुद्दे से निपटना: हाल के दिनों में सरकार द्वारा दो बार नीलामी करवाई गई, जो असफल रही है। बाद वाले नीलामी में 5G स्पेक्ट्रम हेतु कोई भी बोली उपयुक्त नहीं रही।
    • स्पष्ट रूप से एक सफल नीलामी आयोजित करने के लिये आरक्षित मूल्य के वर्तमान प्रस्ताव में कीमतों को बदलने की आवश्यकता है।
    • क्षेत्र में वित्तीय तनाव और सेवाओं की सामर्थ्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य निर्धारण पर काम करना होगा।
  • भारत में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम बनाना: जैसे-जैसे भारत में 5G का विस्तार शुरू होगा, भारत को अपने घरेलू दूरसंचार विनिर्माण बाज़ार को मज़बूत करना होगा ताकि देश में न केवल 5G के उपयोगकर्त्ता हों, बल्कि इन प्रौद्योगिकियों के निर्माता और प्रदाता भी हों जो अपनी वैश्विक पहचान बनाने में सक्षम हों।
  • उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से व्यवहार्य प्रौद्योगिकी: व्यापक 5G परिनियोजन के लिये इसे वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने की आवश्यकता है अन्यथा ग्रामीण एकीकरण या ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों के मध्य डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना एक सपना बना रहेगा।
    • साथ ही 5G तकनीक को दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये भी व्यवहार्य होना चाहिये।

निष्कर्ष

  • 5G तकनीक से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद है। जहाँ तक ​​प्रौद्योगिकी के राष्ट्रव्यापी परिनियोजन का संबंध है, भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
    • स्पेक्ट्रम की कीमतों को कम करना और ग्रामीण-शहरी इलाके में तकनीक के अंतर को पाटना, नेटवर्क की पहुँच को देश के हर घर तक बढ़ाना, कुछ ऐसे लक्ष्य हैं जिन पर सरकार को केंद्रित होना चाहिये।
  • अंतिम लक्ष्य एक ऐसी तकनीक में बदलाव करना है जो ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार के उपयोगकर्त्ताओं के साथ ही दूरसंचार क्षेत्र की आवश्यकताओं को भी पूरा करती है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2