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सार्वजनिक परिवहन तक भेदभावपूर्ण पहुँच

  • 12 Mar 2024
  • 2 min read

हाल ही में एक किसान को सुरक्षाकर्मियों द्वारा उसके कपड़ों को "अनुचित" समझे जाने के कारण मेट्रो रेल तक पहुँचने से रोक दिया गया था। वैध टिकट होने के बावजूद, सफेद शर्ट पहने और सिर पर कपड़ा बाँधे किसान को मेट्रो स्टेशन पर सुरक्षा चेक पोस्ट पर रोक दिया गया।

हालाँकि जब एक साथी यात्री ने कर्मचारियों के इस फैसले पर सवाल उठाया तथा बताया कि किसान से किसी प्रकार का सुरक्षा खतरा नहीं है और वह मेट्रो रेल के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं कर रहा है, तो अंततः किसान को मेट्रो में जाने की अनुमति दे दी गई।

इस घटना के कारण इसमें शामिल सुरक्षा पर्यवेक्षक को बर्खास्त करने के साथ मेट्रो रेल के प्रबंधन ने असुविधा के लिये खेद व्यक्त किया तथा परिवहन में समावेशिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

फिर भी इस घटना ने पोशाक के आधार पर भेदभाव से संबंधित नैतिक मुद्दों एवं भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सुरक्षाकर्मियों हेतु उचित प्रशिक्षण एवं दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

मान लीजिये आपको समावेशी सार्वजनिक परिवहन के लिये एक बेहतर नीति का मसौदा तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। इस आलोक में आप इस घटना को किस प्रकार देखेंगे तथा आपकी सुझाई गई नीति के मुख्य तत्त्व क्या होंगे?

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