इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

वियना अभिसमय

  • 23 Mar 2023
  • 3 min read

खालिस्तान समर्थकों द्वारा लंदन स्थित उच्चायोग में भारतीय ध्वज को उतारने के बाद भारत सरकार ने ब्रिटेन के "वरिष्ठतम" राजनयिक, उप-उच्चायुक्त को तलब किया और उन्हें वियना अभिसमय के तहत यूनाइटेड किंगडम की सरकार को बुनियादी दायित्वों की याद दिलाई। 

राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय  

  • 14 अप्रैल, 1961 को वियना, ऑस्ट्रिया में आयोजित राजनयिक समागम और प्रतिरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा अभिसमय को स्वीकृत किया गया था। भारत ने अभिसमय की पुष्टि कर दी है।
  • यह 24 अप्रैल, 1964 को लागू हुआ और लगभग सार्वभौमिक रूप से अनुसमर्थित है, लेकिन पलाऊ और दक्षिण सूडान इसके अपवाद हैं।  
  • यह विशेष नियम - विशेषाधिकार और प्रतिरक्षा निर्धारित करता है, जो राजनयिक मिशनों को स्थानीय कानूनों के प्रवर्तन के माध्यम से ज़बरदस्ती या उत्पीड़न के भय के बिना कार्य करने और उन्हें भेजने वाली सरकारों के साथ सुरक्षित रूप से संवाद करने में सक्षम बनाता है।
  • यह किसी अभियान की वापसी के संदर्भ में प्रावधान करता है, जो आर्थिक या भौतिक सुरक्षा के आधार पर हो सकता है, यह राजनयिक संबंधों के उल्लंघन के संदर्भ में जो प्रतिरक्षा के दुरुपयोग या राज्यों के मध्य संबंधों में गंभीर गिरावट के प्रत्युत्तर में हो सकता है।   
    • "रिसीविंग राज्य" उस मेज़बान देश को संदर्भित करता है जहाँ राजनयिक मिशन स्थित है।
  • इनमें से किसी भी मामले में या जहाँ स्थायी मिशन स्थापित नहीं किये गए हैं, प्रत्येक भेजने वाले राज्य के हितों के लिये एक रूपरेखा प्रदान की जाती है ताकि किसी तीसरे राज्य से प्राप्तकर्त्ता राज्य को संरक्षित किया जा सके। 
  • यह एक राजनयिक मिशन की "अनुल्लंघनीयता" की अवधारणा की पुष्टि करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की स्थायी आधारशिलाओं में से एक रहा है। 
  • मूल रूप से किसी भी उच्चायोग या दूतावास की सुरक्षा मेज़बान देश की ज़िम्मेदारी होती है। अतः मेज़बान देश सुरक्षा हेतु जवाबदेह होता है। हालाँकि राजनयिक मिशन भी अपनी स्वयं की सुरक्षा को नियोजित कर सकते हैं। 
    • उच्चायोग और दूतावास के बीच मुख्य अंतर यह है कि वे कहाँ स्थित हैं। राष्ट्रमंडल सदस्य राज्यों को उच्चायोग द्वारा सेवा प्रदान की जाती है, जबकि शेष विश्व को दूतावास द्वारा सेवा प्रदान की जाती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2