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सारनाथ यूनेस्को विश्व धरोहर के लिये नामांकित

  • 07 Aug 2025
  • 68 min read

स्रोत: DH

चर्चा में क्यों?

भारत ने वर्ष 2025-26 नामांकन चक्र के तहत यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची के लिये 'प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ' को आधिकारिक रूप से नामांकित किया है। 

  • सारनाथ वर्ष 1998 से यूनेस्को की “अस्थायी सूची” (tentative list) में शामिल है।

सारनाथ से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • अवस्थिति: उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ एक प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश (धम्मचक्कप्पवत्तन) दिया था।
  • ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व: इसे ऋषिपतन, मृगदाव और मृगदाय जैसे नामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका आधुनिक नाम सारंगनाथ ("हिरणों के भगवान") से लिया गया है।
    • सारनाथ, लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर के साथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जो क्रमशः बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति, प्रथम उपदेश तथा मृत्यु से संबद्ध हैं।
    • बुद्ध के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की स्मृति में उनकी अस्थियों को इन स्थानों पर स्तूपों में स्थापित किया गया था।
  • वास्तुकला: सारनाथ मौर्य काल से लेकर कुषाण, गुप्त और गाहड़वाल काल तक के स्थापत्य विकास को दर्शाता है। यह स्थल दो मुख्य स्मारक समूहों में विभाजित है:
    • समूह A:
      • चौखंडी स्तूप: यह एक ऊँचा ईंटों का बना स्तूप है, जिसके ऊपर एक अष्टकोणीय मुगल स्तंभ स्थित है। यह स्तंभ राजा टोडरमल के पुत्र गोवर्धन द्वारा 1588 ई. में हुमायूँ की चौसा के युद्ध (1539) के बाद की यात्रा की स्मृति में निर्मित कराया गया था।
    • समूह B:
      • धमेक स्तूप: इसका निर्माण लगभग 500 ई. में किया गया था , ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश दिया था।
      • धर्मराजिका स्तूप: मूलतः मौर्य सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बुद्ध के अवशेषों को रखने हेतु बनवाया गया था।
      • अशोक स्तंभ: इस पर अशोक का शिलालेख अंकित है और मूलतः सिंह शीर्ष से सुसज्जित है, जो अब यह भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। 
      • प्राचीन मठ, मंदिर और असंख्य अर्पण स्तूप, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर बारहवीं शताब्दी ईस्वी तक के हैं।
  • जीर्णोद्धार और आक्रमण:  सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और सारनाथ में स्तूपों तथा मठों का निर्माण करवाया।
    • सारनाथ कुषाण, गुप्त और हर्षवर्धन जैसे शासकों के शासनकाल में फला-फूला, जिन्होंने हूण आक्रमणों के बाद यहाँ की संरचनाओं का जीर्णोद्धार कराया।
    • गुप्त शासकों ने धमेक स्तूप में कलात्मक विशेषताओं का समावेश किया, विशेष रूप से पत्थर पर नक्काशी की गई पुष्प आकृतियों के माध्यम से।
    • 11वीं शताब्दी में महमूद गज़नवी के आक्रमण के दौरान इस स्थल को विनाश का सामना करना पड़ा, किंतु पाल वंश के शासक महिपाल ने बाद में इसका जीर्णोद्धार कराया।
    • अंतिम प्रमुख स्मारक, धर्मचक्र जैन विहार, 11वीं शताब्दी में गहड़वाल वंश के शासक गोविंदचंद्र की पत्नी कुमारदेवी द्वारा निर्मित कराया गया था।
  • खुदाई और संग्रहालय: सारनाथ में पहली वैज्ञानिक खुदाई भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पहले महानिदेशक सर अलेक्जेंडर कनिंघम के नेतृत्त्व में वर्ष 1834–36 के बीच की गई थी।
    • अशोक का सिंह स्तंभ और उसके आधार की खुदाई वर्ष 1904–05 में फ्रिडरिक ऑस्कर ओर्टेल द्वारा की गई थी। इसे बाद में 26 जनवरी, 1950 को इसे भारत के राजचिह्न के रूप में अपनाया गया।
    • सारनाथ पुरातात्त्विक संग्रहालय में मूल सिंह स्तंभ के साथ अन्य महत्त्वपूर्ण कलाकृतियाँ रखी गई हैं।
    • महाबोधि सोसायटी द्वारा निर्मित मुलगंधा कुटी विहार में बुद्ध के जीवन का जीवंत चित्रण करती हुई भित्ति चित्रकला है।

UNESCO विश्व धरोहर स्थल क्या हैं?

  • परिचय: UNESCO विश्व धरोहर स्थल वे स्थान हैं जो असाधारण सांस्कृतिक या प्राकृतिक महत्त्व के होते हैं, और जिन्हें विश्व धरोहर सम्मेलन, 1972 के तहत उनकी संपूर्ण मानवता के लिये मूल्यवान धरोहर के रूप में औपचारिक मान्यता दी जाती है।
    • भारत ने इस सम्मेलन की पुष्टि वर्ष 1977 में की थी, और इस वैश्विक प्रतिबद्धता में शामिल होने वाले 195 अन्य देशों के साथ जुड़ गया था।
  • विश्व धरोहर सम्मेलन, 1972: इस सम्मेलन के अंतर्गत प्रत्येक सदस्य राष्ट्र प्रतिवर्ष केवल एक स्थल को विश्व धरोहर सूची में नामित करने के लिये प्रस्तावित कर सकता है।
    • भारत वर्तमान में UNESCO विश्व धरोहर स्थलों की संख्या के आधार पर वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है। भारत के पास वर्तमान में 62 स्थल संभावित सूची में शामिल हैं।
  • नोडल एजेंसी: भारत में सभी विश्व धरोहर मामलों के लिये भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) नोडल एजेंसी है।

UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के मानदंड क्या हैं?

  • स्थल चयन मानदंड: UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित होने के लिये, किसी संपत्ति में उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (OUV) होना चाहिये और उसे विश्व धरोहर सम्मेलन के संचालन दिशा-निर्देशों में उल्लिखित 10 में से कम-से-कम एक मानदंड को पूरा करना आवश्यक होता है।
    • प्रारंभ में ये मानदंड 6 सांस्कृतिक और 4 प्राकृतिक वर्गों में विभाजित थे, लेकिन वर्ष 2005 में इनका एकीकरण कर 10 मानदंडों की एक एकल सूची तैयार की गई।
    • वैश्विक धरोहर प्राथमिकताओं को दर्शाने के लिये इन्हें समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
  • नामांकन एवं मूल्यांकन प्रक्रिया: किसी स्थल को नामित करने से पहले उसे संबंधित देश की संभावित सूची में शामिल करना अनिवार्य होता है।
    • इसके पश्चात, संबंधित सदस्य देश एक विस्तृत नामांकन दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है, जिसकी समीक्षा विश्व धरोहर केंद्र द्वारा की जाती है।
    • इसके बाद यह दस्तावेज़ निम्नलिखित सलाहकार संस्थाओं द्वारा मूल्यांकित किया जाता है:
      • ICOMOS (अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद) (सांस्कृतिक स्थलों के लिये)
      • IUCN (अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) (प्राकृतिक स्थलों के लिये) और
      • ICCROM, जो संरक्षण के क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • अंतिम निर्णय: विश्व धरोहर समिति जो प्रतिवर्ष बैठक करती है, अंतिम निर्णय लेती है। यह समिति स्थल को नामित कर सकती है, नामांकन को स्थगित कर सकती है, या अतिरिक्त जानकारी मांग सकती है।
    • भारत वर्ष 2021–25 की अवधि के लिये इस समिति का वर्तमान सदस्य है और वैश्विक धरोहर संचालन में योगदान दे रहा है।

चयन मापदंड

  1. मानव रचनात्मक प्रतिभा के उत्कृष्ट कृति (मास्टरपीस) का प्रतिनिधित्व करना;
  2. एक महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक मूल्यों के आदान-प्रदान का प्रदर्शन करना, जो किसी विशेष अवधि या विश्व के किसी सांस्कृतिक क्षेत्र में स्थापत्य, तकनीक, स्मारकीय कला, नगर नियोजन या परिदृश्य डिज़ाइन में विकास को दर्शाता हो;
  3. किसी सांस्कृतिक परंपरा या अब-लुप्त हो चुकी सभ्यता के अद्वितीय या कम-से-कम असाधारण साक्ष्य का वहन करना;
  4. ऐसी इमारत, स्थापत्य या तकनीकी समूह, या परिदृश्य का उत्कृष्ट उदाहरण होना, जो मानव इतिहास के महत्त्वपूर्ण चरण/चरणों को दर्शाता हो;
  5. परंपरागत मानव बस्ती, भूमि उपयोग, या समुद्री उपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण जो किसी संस्कृति (या संस्कृतियों) का प्रतिनिधित्व करता हो, या पर्यावरण के साथ मानव अंतःक्रिया का उदाहरण, विशेष रूप से जब यह अपरिवर्तनीय परिवर्तन के प्रभाव के तहत सुभेद्य हो गई हो;
  6. घटनाओं या जीवित परंपराओं, विचारों, विश्वासों, या ऐसे कलात्मक और साहित्यिक कृतियों से प्रत्यक्ष या मूर्त रूप से जुड़ा होना, जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व हो। (समिति इस मापदंड को और किसी अन्य मापदंड के संयोजन में उपयोग करना पसंद करती है);
  7. असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य और सौंदर्यात्मक महत्त्व वाले उत्कृष्ट प्राकृतिक परिघटनाओं या क्षेत्रों का समावेश हो;
  8. ऐसे उत्कृष्ट उदाहरण होना जो पृथ्वी के इतिहास के प्रमुख चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें पृथ्वी के विकास, स्थलरूपों के निर्माण, या भौगोलिक विशेषताओं की महत्त्वपूर्ण भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ शामिल हों;
  9. स्थलीय, मीठे पानी, समुद्री पारितंत्र के महत्त्वपूर्ण चल रही पारिस्थितिकीय और जैविक प्रक्रियाओं के अद्वितीय उदाहरण होना, जो पौधों और जानवरों के समुदायों का विकास और उद्विकास में योगदान करते हैं;
  10. स्थानीय, महत्त्वपूर्ण और अद्वितीय प्राकृतिक आवास जिनमें इन-सीटू (स्व-स्थाने) जैवविविधता का संरक्षण हो, विशेषकर वे जिसमें वैज्ञानिक या संरक्षण दृष्टिकोण से उत्कृष्ट वैश्विक मूल्य प्रजातियाँ हों।

संचालन दिशा-निर्देश (वर्ष)

सांस्कृतिक मापदंड

प्राकृतिक मापदंड

2002

(i) (ii) (iii) (iv) (v) (vi)

(i) (ii) (iii) (iv)

2005

(i) (ii) (iii) (iv) (v) (vi)

(vii) (viii) (ix) (x)

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यूनेस्को (UNESCO) द्वारा जारी विश्व धरोहर सूची में शामिल की गई निम्नलिखित संपत्तियों पर विचार कीजिये: (2024)

  1. शांतिनिकेतन
  2.  रानी-की-वाव
  3.  होयसला के पवित्र मंदिर समूह
  4.  बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर

उपर्युक्त में से कितनी संपत्तियों को वर्ष 2023 में शामिल किया गया?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. भारतीय कला विरासत का संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकता है। (2018)

प्रश्न. भारतीय दर्शन एवं परंपरा ने भारतीय स्मारकों की कल्पना और आकार देने एवं उनकी कला में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विवेचना कीजिये। (2020) 

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