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समग्र शिक्षा

  • 04 Dec 2025
  • 15 min read

स्रोत: द हिंदू

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य केवल तभी लंबित समग्र शिक्षा निधि प्राप्त करेंगे जब वे योजना की सभी शर्तें पूरी करेंगे, जिनमें उपयोग प्रमाण पत्र, ऑडिट रिपोर्ट, प्रगति विवरण, राज्य की हिस्सेदारी का योगदान और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का अनुपालन शामिल है।

  • समग्र शिक्षा: इसे वर्ष 2018–19 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया था, यह एक एकीकृत कार्यक्रम है जो प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक को कवर करता है।
    • इसका उद्देश्य स्कूल की प्रभावशीलता को बढ़ाना है, जिसमें सार्वभौमिक पहुँच, समान अवसर और बेहतर सीखने के परिणाम सुनिश्चित करना शामिल है।
    • यह पूर्व की योजनाओं सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) योजना को मिलाकर समग्र स्कूल शिक्षा के लिये एक एकीकृत ढाँचा बनाता है।
    • यह स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) द्वारा एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाता है।
    • पोषण का वितरण पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 पैटर्न, अन्य विधानसभायुक्त राज्यों हेतु 60:40 और बिना विधानसभाओं वाले केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) के लिये 100% केंद्रीय वित्तपोषण के अनुसार होता है।
  • उद्देश्य: इस योजना का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सीखने के परिणामों में सुधार करना, सामाजिक तथा लैंगिक अंतर को कम करना एवं सभी स्तरों पर समानता व समावेशन सुनिश्चित करना है।
  • दृष्टि और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संरेखण:समग्र शिक्षा स्कूल को प्री-स्कूल से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक एक निरंतर प्रक्रिया के रूप में मानती है।
    • यह सतत विकास लक्ष्य (SDG) 4.1 (निःशुल्क, समान तथा गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा) और SDG 4.5 (लैंगिक असमानताओं को दूर करना एवं कमज़ोर समूहों के लिये शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना) के अनुरूप है।

और पढ़ें: NEP 2020 और समग्र शिक्षा अभियान

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