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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 मई, 2023

  • 24 May 2023
  • 9 min read

कोविड-19 वैरिएंट की निगरानी और WHO की IPSN प्रणाली 

इंडिया SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG), जो कि भारत में कोविड-19 वैरिएंट की निगरानी और अनुक्रमण के लिये ज़िम्मेदार है, ने 27 मार्च, 2023 से साप्ताहिक बुलेटिन जारी नहीं किया है। जीनोमिक निगरानी में कमी ने नए और संभावित रूप से खतरनाक रूपों की निगरानी करने एवं प्रतिक्रिया तंत्र के परिप्रेक्ष्य में देश की क्षमता के संदर्भ चिंताओं को बढ़ाया है। हाँलाकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने यह स्पष्ट किया कि गंभीर चिंता के किसी विशिष्ट वैरिएंट का पता नहीं चला है; किंतु कोविड-19 के खिलाप WHO की चेतावनी ने हाल ही में रोगजनक जीनोमिक्स में वैश्विक प्रयासों को मज़बूत करने के लिये इंटरनेशनल पैथोजन सर्विलांस नेटवर्क (IPSN) लॉन्च किया है। IPSN रोगजनक जीनोमिक अभिकर्त्ताओं का एक वैश्विक नेटवर्क है, जो WHO के हब फॉर पैनडेमिक (विश्वव्यापी महामारी) एंड एपिडेमिक (सीमित महामारी) इंटेलिजेंस के संरक्षण में कार्यरत है, ताकि रोगजनक जीनोमिक्स की निगरानी पर प्रगति में तेज़ी लाई जा सके एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य हेतु निर्णयन के स्तर पर उचित सुधार हो सके। रोगजनक जीनोमिक निगरानी पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करके IPSN नवीन  रोगजनकों का तेज़ी से पता लगाने और रोगों के प्रसार तथा विकास की निगरानी को सक्षम बनाता है। जिसका परिणाम बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं के रूप में सामने आ सकता है। IPSN निरंतर रोग निगरानी का समर्थन करता है और महामारी के उपरांत या पूर्व नवीन रोगजनक के खतरों का पता लगाने  एवं उन्हें पूरी तरह से चिह्नित करने में मदद करेगा।

और पढ़ें…कोविड-19,कोविड-19 और भारत  

खराब मौसम से संबंधित मौतें  

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, पिछले 51 वर्षों में लगभग 150,000 भारतीयों ने खराब मौसम की घटनाओं के कारण अपना जीवन खोया है। WMO द्वारा किये गए विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 1970-2021 के बीच भारत ने 573 जलवायु संबंधी आपदाओं का सामना किया है। इसके परिणामस्वरूप एशिया क्षेत्र में बांग्लादेश के बाद भारत में सबसे अधिक मौतें हुईं। ये मौतें (138,377) मौसम से संबंधित खतरों के प्रति समुदायों की भेद्यता को उजागर करती हैं। यह जानकारी WMO द्वारा जारी किये गए अद्यतन आँकड़ों का एक भाग है, जो खराब मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिये एक प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल देती है। मौसम की अधिकतर घटनाएँ ऐसी हैं जिनमें अप्रत्याशित, असामान्य, गंभीर या बेमौसम वर्षा की स्थितियाँ शामिल होती हैं जो किसी विशिष्ट स्थान के कारण उत्पन्न होती हैं। बदलती जलवायु के कारण ये मानव जीवन, पारिस्थितिक तंत्र और अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। खराब मौसम की घटनाओं के कुछ उदाहरणों में हीट वेव, शीत लहर, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सूखा, बाढ़ और वनाग्नि आदि शामिल हैं। IPCC के अनुसार, मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण वर्ष 1950 के बाद से कई खराब मौसम की घटनाएँ अधिक लगातार और तीव्र हो गई हैं जो वैश्विक तापमान को बढ़ाती हैं।

और पढ़ें… विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), खराब मौसम की घटनाएँ 

फंडिंग द फ्यूचर: WHO का वित्तीय बजट 

WHO ने हाल ही में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly- WHA) में अगले दो वर्षों के लिये 6.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बजट पर सहमति व्यक्त की, जो मूल्यांकन योगदान में ऐतिहासिक 20% की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। मूल्यांकन योगदान, जो कि देशों द्वारा उनकी संपत्ति और जनसंख्या के आधार पर भुगतान किया जाने वाला सदस्यता शुल्क है, में वर्षों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वित्तपोषण के अपने हिस्से में गिरावट देखी गई है। इस गिरावट की भरपाई स्वैच्छिक योगदान से की गई है, जो अब संगठन के वित्तपोषण के तीन-चौथाई भाग से अधिक है। स्वैच्छिक योगदान पर निर्भरता प्रशासन एवं संगठन की स्थिरता को लेकर सवाल उठाती है। वर्ष 2020-2021 में WHO में शीर्ष योगदानकर्त्ता जर्मनी, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग थे। हालाँकि WHO के लचीलेपन पर निर्धारित योगदान और उनके संभावित प्रभाव को लेकर चिंता देखी जा रही है। WHO ने कहा है कि निधियों का मौजूदा असमान वितरण, देशों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं उन क्षेत्रों में स्वस्थ आबादी से संबंधित अपने ट्रिपल बिलियन टारगेट को प्राप्त करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट योगदान से कम वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। 

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भारत ने कफ सिरप के निर्यात के लिये सख्त नियम लागू किये

भारत निर्मित कफ सिरप में संदूषण की हालिया घटनाओं के उत्तर में भारत ने कफ सिरप के निर्यात के लिये सख्त नियम लागू किये हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि 1 जून, 2023 से कफ सिरप का निर्यात सरकारी प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण और प्रमाणन के बाद ही किया जा सकता है। निर्देश के लिये केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं, क्षेत्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं या परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं सहित अनुमोदित प्रयोगशालाओं से विश्लेषण के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इसके पूर्व निर्यात किये जा रहे उत्पादों की कोई जाँच नहीं होती थी। विशेष रूप से भारत में बिक्री की जाने वाली दवाओं के सभी बैचों का पहले से ही अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण किया जाता है। संदूषण की घटनाओं के प्रारंभ में ही WHO द्वारा ध्यान आकर्षित किया गया था जिसमें गाम्बिया, उज़्बेकिस्तान, माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीप समूह में मौतों से जुड़े संदूषित भारतीय-निर्मित सिरप की पहचान की गई थी। अन्य देशों द्वारा किये गए परीक्षण के नमूनों में पाया गया कि संदूषित डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल का कारण संभवतः विनिर्माण के दौरान उपयोग किये गए संदूषित विलायक हैं। जबकि विलायक स्वयं हानिकारक नहीं होते हैं, इन ज़हरीले संदूषकों की उपस्थिति गुर्दे की गंभीर हानि सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

और पढ़ें… भारत निर्मित कफ सिरप में संदूषण

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