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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 अगस्त, 2021

  • 23 Aug 2021
  • 7 min read

मद्रास दिवस

चेन्नई में आम लोगों द्वारा प्रतिवर्ष 22 अगस्त को ‘मद्रास दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस, चेन्नई शहर में रहने वाले लोगों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1639 में मद्रास शहर की स्थापना की गई थी। गौरतलब है कि 22 अगस्त, 1639 को मद्रासपट्टनम गाँव को ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने स्थानीय शासकों से खरीद लिया था। यद्यपि इस सौदे की सही तिथि को लेकर कुछ विवाद रहे हैं, किंतु 22 अगस्त को सबसे उपयुक्त तारीख माना जाता है। यह समझौता ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी ‘फ्रांसिस डे’ और तत्कालीन स्थानीय शासकों के बीच हुआ था। धीरे-धीरे इस क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्र में लोगों की आबादी बढ़ने लगी तथा कुछ समय बाद आसपास के गाँवों को भी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा खरीद लिया गया। इस नए और पुराने क्षेत्र को मिलाकर एक नए मद्रास शहर की स्थापना की गई। ‘मद्रास दिवस’ की अवधारणा की संकल्पना वर्ष 2004 में चेन्नई के पत्रकार ‘विन्सेंट डिसूज़ा’ ने की थी। उन्होंने चेन्नई हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टियों की एक बैठक के दौरान शहर के प्रसिद्ध इतिहासकार ‘एस. मुथैया’ को यह विचार दिया और इसके बाद ‘मद्रास दिवस’ को आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

राजीव गांधी

20 अगस्त, 2021 को उपराष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 77वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। गौरतलब है कि मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे और संभवतः दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में किसी सरकार का नेतृत्त्व किया। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई (मुंबई) में हुआ था। विज्ञान में रुचि रखने वाले राजीव गांधी वर्ष 1984 में अपनी माँ की हत्या के पश्चात् काॅन्ग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 21 मई, 1991 को चेन्नई में एक रैली के दौरान अलगाववादी संगठन लिट्टे की महिला सुसाइड बॉम्बर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। यही कारण है कि राजीव गांधी की पुण्यतिथि (21 मई) पर प्रतिवर्ष देश में एंटी-टेररिज़्म दिवस अथवा आतंकवाद विरोधी दिवस का आयोजन किया जाता है। ध्यातव्य है कि राजीव गांधी को 'भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार क्रांति का जनक' और डिजिटल इंडिया के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। देश के छठे प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी का कार्यकाल देश में सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण दौर था। 

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जल्द ही ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) का शुभारंभ करेंगी,जिसके तहत सरकार द्वारा आगामी चार वर्षों में बेची जाने वाली अपनी बुनियादी अवसंरचना संपत्तियों को सूचीबद्ध किया जाएगा। ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ केंद्र सरकार की परिसंपत्ति मुद्रीकरण पहल के लिये एक मध्यम अवधि के रोडमैप के रूप में भी काम करेगी। केंद्रीय बजट 2021-22 में सरकार ने बुनियादी अवसंरचना के लिये नवीन एवं वैकल्पिक वित्तपोषण के साधन के रूप में परिसंपत्ति मुद्रीकरण पर काफी अधिक ज़ोर दिया था और इससे संबंधित कई घोषणाएँ भी की थीं। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया था कि नए बुनियादी अवसंरचना के निर्माण के लिये वर्तमान सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे की संपत्ति का मुद्रीकरण एक महत्त्वपूर्ण वित्तपोषण विकल्प है। सरकार ने ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ की रियल-टाइम प्रगति की निगरानी के लिये एक परिसंपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड भी विकसित किया है। संपत्ति मुद्रीकरण का आशय किसी भी संपत्ति को आर्थिक मूल्य में बदलने की प्रक्रिया से है। इसका उपयोग प्रायः अतिरिक्त संपत्ति के निर्माण के लिये किया जाता है। 

भारत में सबसे अधिक ऊँचाई पर मौजूद हर्बल पार्क

हाल ही में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में भारत-चीन सीमा के पास ‘माणा गाँव’ में 11,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित भारत के सबसे ऊँचे हर्बल पार्क का उद्घाटन किया गया है। भारत के इस सबसे ऊँचे हर्बल पार्क का मुख्य उद्देश्य विभिन्न औषधीय और सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अल्पाइन प्रजातियों का और उनके प्रसार एवं आवास पारिस्थितिकी पर शोध करना है। यह पार्क उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा ‘माणा वन पंचायत’ द्वारा दिये गए तीन एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है। इसे केंद्र सरकार की ‘क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण’ (CAMPA) के तहत तीन वर्षीय अवधि में विकसित किया गया है। इस हर्बल पार्क में भारतीय हिमालयी क्षेत्र में ऊँचाई वाले अल्पाइन क्षेत्रों की लगभग 40 प्रजातियाँ मौजूद हैं। इनमें से कई प्रजातियाँ ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ’ (IUCN) की रेड लिस्ट के साथ-साथ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा ‘लुप्तप्राय और खतरे’ में मौजूद प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध हैं। साथ ही इसमें कई महत्त्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियाँ भी शामिल हैं।

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