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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 मई, 2023

  • 22 May 2023
  • 9 min read

सतत् भूमि प्रबंधन हेतु उत्कृष्टता केंद्र 

सतत् भूमि प्रबंधन हेतु उत्कृष्टता केंद्र (CoE-SLM) का औपचारिक उद्घाटन 20 मई, 2023 को भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE), देहरादून में किया गया। इस पहल की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD) के 14वें सम्मेलन (COP-14) के दौरान की गई थी। CoE-SLM का उद्देश्य स्थायी भूमि प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से भूमि क्षरण के मुद्दों से निपटना, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना और भूमि निम्नीकरण तटस्थता (LDN) में योगदान करना है। तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण एवं ज्ञान साझा कर CoE-SLM का इरादा खराब भूमि को बहाल करना, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और लक्ष्यों जैसे कि SDG, जैविक विविधता पर सम्मेलन तथा UNFCCC के साथ संरेखित करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जैवविविधता हानि पर भूमि क्षरण के प्रभावों का समाधान करना है। CoE-SLM की स्थापना पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

और पढ़ें… मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर संवाद

DRI ने एम्बरग्रीस तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया

राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने एम्बरग्रीस तस्करी गिरोह का पर्दाफाश करके एक महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जो देश की वनस्पतियों और जीवों के लिये खतरा है। DRI एक भारतीय खुफिया एजेंसी है जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC), वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा सीमा शुल्क की चोरी से संबंधित तस्करी एवं वाणिज्यिक धोखाधड़ी के खतरे का मुकाबला करने के लिये वर्ष 1957 में शीर्ष तस्करी विरोधी एजेंसी के रूप में इसका गठन किया गया था। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) तस्करी विरोधी राष्ट्रीय समन्वय केंद्र (SCord) के लिये प्रमुख एजेंसी के रूप में भी कार्य करता है, जो तस्करी विरोधी गतिविधियों में शामिल विभिन्न एजेंसियों के प्रयासों का समन्वय करता है। DRI का देश भर में क्षेत्रीय और आंचलिक (ज़ोनल) इकाइयों का नेटवर्क है, साथ ही कुछ देशों में विदेशी संपर्क कार्यालय भी हैं। एम्बरग्रीस, जिसे प्रायः व्हेल की उल्टी (Vomit) के रूप में जाना जाता है। यह एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ है जो स्पर्म व्हेल की आँतों में उत्पन्न होता है। स्पर्म व्हेल में से केवल 1% ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं। रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में एल्कलॉइड, एसिड और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है, जो कोलेस्ट्रॉल के समान होता है। यह जल निकाय की सतह के चारों ओर तैरता है तथा कभी-कभी तट के समीप आकर इकठ्ठा हो जाता है। इसके उच्च मूल्य के कारण इसे तैरता हुआ सोना कहा जाता है। एम्बरग्रीस का मुख्य उपयोग इत्र उद्योग में होता है, विशेष रूप से कस्तूरी सुगंध बनाने के लिये। ऐसा माना जाता है कि दुबई जैसे देशों में जहाँ इत्र का एक बड़ा बाज़ार है, इसकी अधिक मांग है। प्राचीन मिस्रवासी इसका प्रयोग धूप (Incense) के रूप में करते थे। ऐसा माना जाता है कि इसका उपयोग कुछ पारंपरिक औषधियों और मसालों के रूप में भी किया जाता है। हालाँकि अपने उच्च मूल्य के कारण विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में यह तस्करों के निशाने पर रहा है। 

और पढ़ें… राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), एम्बरग्रीस

 आर्सेनिक एक्सपोज़र

हाल के एक अध्ययन ने भारत में बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों पर आर्सेनिक के निम्न स्तर पर सेवन के संभावित संज्ञानात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला है। शोध से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आर्सेनिक के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों ने एकाग्रता, कार्य-स्विचिंग और सूचना भंडारण के लिये उत्तरदायी महत्त्वपूर्ण मस्तिष्क क्षेत्रों में कम ग्रे-पदार्थ और कमज़ोर संपर्क प्रदर्शित किये। यह सुझाव देता है कि आर्सेनिक का पुराना संपर्क वैश्विक आबादी के एक बड़े भाग को प्रभावित करने वाली "मौन महामारी" हो सकता है। अनुसंधानकर्त्ताओं ने विश्लेषण किया कि मुख्य रूप से भोजन के सेवन के माध्यम से आर्सेनिक का संपर्क विशेष रूप से दक्षिण भारत में चावल की खपत के साथ दृढ़ता से जुड़ा हुआ था। हालाँकि चावल को एक विशिष्ट तरीके से पकाने से भूरे चावल में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली आर्सेनिक की मात्रा 50% से अधिक और सफेद चावल में 74% तक चावल की सूक्ष्म पोषक सामग्री से समझौता किये बिना अधिकतम कम की जा सकती है। यह अनुसंधान “सी-वेद पहल” का एक भाग है, जो औद्योगिकीकरण और औद्योगिक समाजों में कमज़ोर आबादी सहित संज्ञानात्मक विकास पर विभिन्न जोखिम कारकों के प्रभाव का आकलन करने के लिये भारत तथा यूनाइटेड किंगडम के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है। आर्सेनिक एक गंधहीन और स्वादहीन उपधातु है जो पृथ्वी की उपरी सतह  में व्यापक रूप से वितरित है। यह स्वाभाविक रूप से कई देशों की पृथ्वी की उपरी सतह और भू-जल में उच्च स्तर पर मौजूद है। यह अपने अकार्बनिक रूप में अत्यधिक विषैला होता है। आर्सेनिकोसिस, आर्सेनिक विषाक्तता के लिये चिकित्सीय शब्द है जो शरीर में बड़ी मात्रा में आर्सेनिक के संचय के कारण होता है।

और पढ़ें : आर्सेनिक संदूषण 

7 लाख रुपए तक के वार्षिक विदेशी मुद्रा खर्च पर TCS से छूट 

करदाताओं और व्यवसायों के व्यापक विरोध के बाद भारत सरकार ने विदेशी क्रेडिट कार्ड खर्च पर 20% कर लगाने के अपने निर्णय को उलट दिया है। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि किसी भी प्रक्रियात्मक अनिश्चितता को खत्म करने हेतु अपने अंतर्राष्ट्रीय डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को प्रति वित्तीय वर्ष 7 लाख रुपए तक के भुगतान पर लेवी से छूट दी जाएगी। यह निर्णय 1 जुलाई, 2023 से उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के तहत छोटे लेन-देन के लिये स्रोत पर कर संग्रह (TCS) के आवेदन के संबंध में उठाई गई चिंताओं के जवाब में आया है। इसने स्पष्ट किया कि प्रति वर्ष 7 लाख रुपए तक का व्यय न तो LRS के अंतर्गत आएगा और न ही TCS के अधीन होगा। इस छूट को सुविधाजनक बनाने के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेन-देन नियम), 2000 में आवश्यक परिवर्तन अलग से जारी किये जाएंगे। इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य भुगतान के लिये मौजूदा लाभकारी TCS उपचार जारी रहेगा, इस तरह के भुगतान के लिये 5% की TCS दर प्रतिवर्ष 7 लाख रुपए तक होगी। इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में LRS के तहत एक नया प्रावधान पेश किया है, जिससे व्यक्तियों को वार्षिक 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर तक का विदेशी मुद्रा प्रेषण करने की अनुमति मिलती है।

और पढ़ें… उदारीकृत प्रेषण योजना, भारतीय रिज़र्व बैंक

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