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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 अक्तूबर, 2023

  • 18 Oct 2023
  • 7 min read

बतुकम्म महोत्सव 

फूलों का नौ दिवसीय वार्षिक उत्सव बतुकम्म पूरे तेलंगाना में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है।

  • यह पारंपरिक रूप से राज्य की महिलाओं द्वारा मनमोहक स्थानीय फूलों के साथ मनाया जाने वाला एक रंगीन पुष्प उत्सव है।
    • यह त्यौहार मानसून (दक्षिणी भारत में) की शुरुआत के साथ मनाया जाता है और इस दौरान तालाबों में पर्याप्त जल के साथ ही चमकीले रंग-बिरंगे फूल भी उग आते हैं।
    • 'गुनुका,' 'तांगेदु,' 'बंती,' और 'नंदी-वर्धनम' जैसे स्थानीय फूलों का इस त्यौहार के दौरान बहुतायत उपयोग किया जाता है।
  • यह त्यौहार 'सद्दुला बतुकम्म' (बतुकम्म उत्सव का भव्य समापन) से एक सप्ताह पूर्व शुरू होता है तथा दशहरे से दो दिन पूर्व तक मनाया जाता है। यह प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के तेलुगु संस्करण के अनुसार भाद्रपद अमावस्या को शुरू होता है और नवरात्रि के नौ दिनों तक चलता है।
    • शुरुआत के पूरे सप्ताह के दौरान महिलाएँ बतुकम्म के साथ 'बोड्डेम्मा' (गौरी अर्थात् माँ दुर्गा की एक पार्थिव मूर्ति) बनाती हैं और तालाब में विसर्जित करती हैं।
    • इस त्यौहार की परंपरा से तालाबों को सुदृढ़ करने और जल संरक्षण बनाए रखने में सहायता मिलती है।
  • यह त्यौहार प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से अनुष्ठानों के साथ मनुष्यों, पृथ्वी और जल संसाधनों के बीच के समन्वय को मज़बूत करता है।

वार्निंग सिस्टम (चेतावनी प्रणाली) के रूप में दर्द: 

  • दर्द व्यक्तिपरक एवं मनोवैज्ञानिक भाव है, यह मुख्य रूप से ऊतक की क्षति से जुड़ा है और एक वार्निंग सिस्टम (चेतावनी प्रणाली) के रूप में कार्य करता है।
    • संभावित क्षति के दौरान त्वचा और शरीर के ऊतकों में दर्द रिसेप्टर्स रासायनिक उत्तेजनाओं द्वारा सक्रिय होते हैं।
  • हालाँकि तीव्र दर्द के उपचार के प्रभावी विकल्प हैं, लेकिन क्रोनिक दर्द (लंबे समय से बना दर्द) जटिल है और मनोवैज्ञानिक कारकों से प्रभावित होता है।
  • दर्द की सीमाओं, जो दर्द का एक अप्रत्यक्ष माप प्रदान करती हैं, का मूल्यांकन कई तकनीकों का उपयोग करके किया जा सकता है।
    • इन तरीकों में से आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला एक तरीका डोलोरिमीटर है जो गर्म स्रोतों और सटीक समय तंत्र का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त, दबाव एल्गोमीटर (pressure algometers) हड्डी की सतह पर दबाव डालकर दर्द की सीमा को मापने के लिये एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है।
  • कुछ व्यक्तियों में दर्द महसूस करने या इसे न्यूनतम रूप से महसूस करने की क्षमता का अभाव होता है, जिससे जोखिम अधिक होता है और जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है।

एस्टीवेशन:

हाल ही में गर्म और शुष्क गर्मियों के दौरान जानवरों के जीवित रहने की एक दिलचस्प रणनीति एस्टीवेशन ने चरम स्थितियों में अपने उल्लेखनीय अनुकूलन के लिये मान्यता प्राप्त की है।

  • एस्टीवेशन एक जैविक घटना है जिसके तहत जानवर कठिन समय में ऊर्जा और जल को बचाने के लिये उच्च तापमान या शायद सूखे जैसी स्थितियों में लंबे समय तक निष्क्रिय रह सकता है
    • यह जानवरों को शुष्कता से बचने में सहायता करता है, त्वचा की अत्यधिक शुष्कता की विशेषता वाली स्थिति उन्हें शिकार के जोखिम से बचाती है। यह जानवरों को परभक्षण के जोखिम से बचाता है और अत्यधिक शुष्क त्वचा वाली स्थिति में शुष्कता को नियंत्रित करने  में सहायता करता है।
  • एस्टीवेशन के उदाहरण:
    • जब सूखा पड़ता है तो पश्चिम अफ्रीकी लंगफिश (Protopterus annectens) सूखते जल निकाय की कीचड़ में डूब जाती है तथा अपने चारों ओर एक श्लेष्म कोकून (रेशमी धागे का जाल) स्रावित करती है।
    • रेगिस्तानी कछुए (Gopherus agassizii) गर्मी के महीनों में बिल खोदते हैं और उनमें छिप जाते हैं।

गगनयान की पहली परीक्षण उड़ान: 

"गगनयान" टेस्ट व्हीकल स्पेस फ्लाइट यानी "गगनयान" टेस्ट व्हीकल डेवेलपमेंट फ्लाइट (TV-D1) का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस महीने की 21 तारीख को निर्धारित है।

  • इसरो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रभाव का भी परीक्षण करेगा जो "गगनयान" मिशन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 
  • गगनयान परियोजना में मानव चालक दल को 400 किमी. की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाकर मानव अंतरिक्ष यान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।

69वाँ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार:

हाल ही में राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में विभिन्न श्रेणियों में 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किये।

  • कार्यक्रम के एक भाग के रूप में वर्ष 2021 के लिये सुश्री वहीदा रहमान को दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • दादा साहब फाल्के, जिन्हें "भारतीय सिनेमा के जनक" के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रमुख फिल्म निर्देशक, निर्माता व पटकथा लेखक थे, जिन्हें वर्ष 1913 में भारत की पहली फुल फीचर फिल्म, राजा हरिश्चंद्र, बनाने का श्रेय दिया जाता है
    • फाल्के भारतीय सिनेमा के प्रणेता थे और उन्होंने अपने करियर के दौरान 100 से अधिक मूक फिल्में (Silent films) बनाईं।

और पढ़ें…दादा साहब फाल्के पुरस्कार

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