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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 मार्च, 2021

  • 17 Mar 2021
  • 7 min read

बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान

17 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकार और स्वाधीनता नायक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। शेख मुजीबुर रहमान का जन्‍म अविभाजित भारत के गोपालगंज ज़िले के तुंगीपारा गाँव में 17 मार्च, 1920 को हुआ था। पूर्वी पाकिस्‍तान में पाकिस्‍तानी शासकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ उन्‍होंने आंदोलन चलाया था और वर्ष 1971 में इसे पाकिस्‍तान से आज़ाद करा लिया। बंगबंधु नाम से विख्‍यात शेख मुजीबुर रहमान स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश का ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है और वे बांग्लादेश के लोगों के बीच ‘बंगबंधु’ के रूप में लोकप्रिय थे। ‘बंगबंधु’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘बंगाल का मित्र’। पूर्वी पाकिस्तान के लोकप्रिय नेता मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। बीते दिनों बांग्लादेश के उच्‍च न्‍यायालय ने अपने एक निर्णय में ‘जॉय बांग्ला’ को बांग्‍लादेश का राष्‍ट्रीय नारा घोषित किया था। वर्ष 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के स्वतंत्र होने के दौरान यह प्रमुख नारा था। शेख मुजीबुर रहमान ने भी 7 मार्च, 1971 को बांग्‍लादेश की स्वतंत्रता के उद्घोष के बाद ‘जॉय बांग्ला’ के नारे का प्रयोग किया था। वहीं हाल ही में यूनेस्को ने शेख मुजीबुर रहमान के नाम पर ‘रचनात्मक अर्थव्यवस्था’ के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना करने का निर्णय लिया है। 

भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड को बंद करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। यह भारत सरकार का एक उपक्रम है और वस्त्र मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन आता है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, वर्तमान में निगम में 59 स्‍थायी कर्मचारी और छह प्रबंधन प्रशिक्षु सेवारत हैं। इन सभी को सार्वजनिक उपक्रम विभाग के नियमों के अनुरूप स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लाभ लेने का अवसर दिया जाएगा। यह निगम वित्त वर्ष 2015-16 से ही लगातार घाटे का सामना कर रहा था। इसे घाटे से उबारने और लाभकारी बनाने की कोई संभावना नज़र नहीं आने के कारण इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दी गई यह मंज़ूरी सरकार के राजस्व पर तनावग्रस्त केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के दबाव को कम करेगी। ज्ञात हो कि भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा निर्यात निगम लिमिटेड को बंद करने का निर्णय सरकार की उस रणनीतिक विनिवेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में दबावग्रस्त सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण किया जाना अथवा उन्हें बंद किया जाना शामिल है।

'UPI-Help' फीचर

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने हाल ही में ‘भारत इंटरफेस फॉर मनी’ (BHIM) एप पर आसान शिकायत निपटान तंत्र उपलब्ध कराने के लिये 'UPI-Help' फीचर लॉन्च किया है। यह फीचर उपयोगकर्त्ताओं को लंबित लेन-देन की स्थिति की जाँच करने और इसके विरुद्ध शिकायत करने में सक्षम बनाएगा। प्रारंभ में यह फीचर केवल भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एक्सिस बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक के लिये उपलब्ध होगा। ज्ञात हो कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2017 में ‘भीम’ (BHIM) नाम से एक मोबाइल एप्लीकेशन को लॉन्च किया था। इस एप का पूरा नाम 'भारत इंटरफेस फॉर मनी' है। ‘भीम’ को नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है। यह एप UPI आधारित भुगतान प्रणाली पर कार्य करता है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (NPCI) देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक समग्र संगठन है। 

पोट्टी श्रीरामुलु

16 मार्च, 2021 को महान स्वतंत्रता सेनानी पोट्टी श्रीरामुलु की जयंती पर उन्हें याद किया गया। 16 मार्च, 1901 को मद्रास (चेन्नई) में जन्मे पोट्टी श्रीरामुलु बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे में शामिल हो गए। वर्ष 1930 में श्रीरामुलु ने गांधीजी द्वारा शुरू किये गए नमक सत्याग्रह में हिस्सा लेने के लिये अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, इस सत्याग्रह में हिस्सा लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने के साथ-साथ उन्होंने दलित समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान पर भी ज़ोर दिया। पोट्टी श्रीरामुलु ने मार्च 1946 में नेल्लोर के श्री वेणुगोपाल स्वामी मंदिर में दलितों के लिये प्रवेश की मांग करते हुए अपना पहला आमरण अनशन किया। अलग आंध्र राज्‍य के गठन में पोट्टी श्रीरामुलु का महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इसके लिये उन्होंने 1952 में 58 दिन तक आमरण अनशन किया। 15 दिसंबर, 1952 को अनशन करते हुए पोट्टी श्रीरामुलु की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद कानून व्यवस्था काफी बिगड़ गई और अंततः मद्रास प्रेसिडेंसी से अलग आंध्र प्रदेश राज्‍य का गठन किया गया।

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