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डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 30 सितंबर, 2020

  • 30 Sep 2020
  • 13 min read

कांगो फीवर 

Congo Fever

29 सितंबर, 2020 को महाराष्ट्र के पालघर प्रशासन ने ज़िले स्तर के अधिकारियों को पालघर ज़िले में कांगो फीवर (Congo Fever) के संभावित प्रसार के खिलाफ सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं। 

प्रमुख बिंदु:

  • पालघर ज़िला प्रशासन ने कहा कि COVID-19 महामारी के मद्देनज़र ‘कांगो फीवर’ मवेशी प्रजनकों, माँस-विक्रेताओं एवं पशुपालन अधिकारियों के लिये चिंता का विषय है और इस समय सावधानी बरतना आवश्यक है क्योंकि इसका कोई विशिष्ट एवं उपयोगी उपचार नहीं है।
    • गौरतलब है कि CCHF के कई मामले गुजरात के कुछ ज़िलों में पाए गए हैं, अतः  महाराष्ट्र के सीमावर्ती ज़िलों में इसके फैलने की संभावना है।
      • महाराष्ट्र का पालघर ज़िला, गुजरात के वलसाड ज़िले के करीब है।

संक्रमण का प्रसार:

  • यह वायरल बीमारी एक विशेष प्रकार की टिक द्वारा एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है। 
  • संक्रमित जानवरों के खून के संपर्क में आने या संक्रमित जानवरों का माँस खाने से यह बीमारी इंसानों में फैल जाती है। 
  • मानव-से-मानव में इस बीमारी का संचरण संक्रमित व्यक्तियों के रक्त स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के निकट संपर्क के परिणामस्वरूप हो सकता है।

संक्रमण से खतरा: 

  • यदि इस बीमारी का समय पर निदान एवं उपचार नहीं किया जाता है तो 30% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इस बीमारी के दौरान 10 से 40% की मृत्यु दर की स्थिति में यह वायरस गंभीर वायरल रक्तस्रावी बुखार के प्रकोप का कारण बनता है।

‘क्रीमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर’ या कांगो फीवर:

  • ‘क्रीमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर’ (Crimean Congo Hemorrhagic Fever- CCHF), जिसे आमतौर पर ‘कांगो फीवर’ के नाम से जाना जाता है, मनुष्यों में ह्यालोम्मा टिक (Hyalomma Tick) के माध्यम से फैलता है।
  • CCHF एक व्यापक बीमारी है जो बुन्याविरीडे (Bunyaviridae) परिवार के टिक-जनित वायरस (Tick-borne Virus) अर्थात् नैरोवायरस (Nairovirus) से होती है। अतः यह एक विषाणुजानित रोग है 

लक्षण:

  • CCHF के शुरूआती लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, उल्टी, दस्त एवं त्वचा से रक्तस्राव शामिल हो सकते हैं।

कांगो फीवर की स्थानिक अवस्थिति:

  • यह वायरस अफ्रीकी देशों, बाल्कन देशों, मध्य पूर्व एवं एशिया में किसी विशेष समय एवं स्थान पर अचानक फैलता है।

कांगो फीवर के बारे में पहली बार पता लगाया गया:

  • वर्ष 2013 में ईरान, रूस, तुर्की एवं उज्बेकिस्तान में इस वायरस से कई लोग संक्रमित हुए थे किंतु पहली बार इस वायरस का पता 1940 के दशक में लगाया गया था। 


संयुक्त अरब अमीरात का चंद्र मिशन 

Moon Mission of United Arab Emirates

29 सितंबर, 2020 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि उनका देश वर्ष 2024 में चंद्रमा पर एक मानव रहित अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बना रहा है। 

प्रमुख बिंदु:

  • शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम (Sheikh Mohammed bin Rashid Al Maktoum) जो दुबई के शासक भी हैं, ने ट्विटर पर इसकी घोषणा की है। 
    • शेख मोहम्मद की यह घोषणा UAE द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में एक ‘मार्श प्रोब’ (Mars Probe) शुरू करने के बाद हुई है, जो अरब प्रायद्वीप पर एक तेल समृद्ध राष्ट्र है।
  • शेख मोहम्मद ने बताया कि चाँद पर भेजे जाने वाले रोवर का नाम ‘राशिद’ होगा जो उनके दिवंगत पिता शेख राशिद बिन सईद अल मकतौम (Sheikh Rashid bin Saeed Al Maktoum) का नाम था।
  • वर्ष 2024 में इस मिशन के सफल होने पर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ एवं चीन के बाद चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला विश्व का चौथा राष्ट्र बन सकता है। 
    • गौरतलब है कि भारत ने भी चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान को उतारने की कोशिश की थी किंतु असफल रहा था। भारत की तरह इज़राइल एवं जापान ने भी कोशिश की थी किंतु वे सफल नहीं हुए।


पीएमएनसीएच अकाउंटबिलिटी ब्रेकफास्ट-2020 

PMNCH Accountability Breakfast-2020

29 सितंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मातृ, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य के लिये भागीदारी (The Partnership for Maternal, Newborn and Child Health- PMNCH) हेतु अकाउंटबिलिटी ब्रेकफास्ट-2020 (Accountability Breakfast-2020) कार्यक्रम में भाग लिया।

Accountability

थीम:

  • इस वर्ष के लिये इस कार्यक्रम की थीम ‘COVID-19 महामारी से प्रजनन, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में कड़ी मेहनत से अर्जित लाभ की रक्षा करने का प्रयास करना’ है।   

कार्यक्रम की मेज़बानी:

  • इस आयोजन की संयुक्त-मेज़बानी ‘व्हाइट रिबन अलायंस’ (White Ribbon Alliance- WRA) एवं ‘एवरी वुमन एवरी चाइल्ड’ (Every Woman Every Child- EWEC) द्वारा की गई थी।

प्रमुख बिंदु:

  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में COVID-19 के प्रभाव पर बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि इस महामारी का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं, बच्चों एवं किशोरों पर हुआ है और इसके लिये तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया गया है। 

सुमन (Safe Motherhood Assurance- SUMAN) पहल: 

  • इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र से संबंधित सभी सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
  • इस पहल के तहत अब गर्भवती महिलाओं एवं उनके नवजात शिशुओं के लिये सेवा अस्वीकृति के संदर्भ ‘ज़ीरो टाॅलरेंस’ की नीति को अपनाया जा रहा है तथा ग्राहक प्रतिक्रिया, शिकायत निवारण एवं अधिक जवाबदेही व पारदर्शिता के लिये चिकित्सा प्रणाली को भी मज़बूत किया गया है।     

व्हाइट रिबन अलायंस(White Ribbon Alliance- WRA):

White-ribben

  • यह एक निष्पक्षीय, गैर-लाभकारी एवं गैर-सरकारी सदस्यता संगठन है जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मातृ एवं नवजात मृत्यु को कम करना है।
  • इसका गठन वर्ष 1999 में किया गया था। 
  • इस संगठन का मिशन उन अधिवक्ताओं को प्रेरित करना या बुलाना है जो सभी महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने और प्रसव से पहले एवं बाद में सुरक्षित व स्वस्थ रहने के लिये अभियान चलाते हैं।

एवरी वुमन एवरी चाइल्ड’

(Every Woman Every Child- EWEC):

Every-woman-evary-child

  • इसे सितंबर, 2010 में संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (United Nations Millennium Development Goals) के शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान-की-मून द्वारा लॉन्च किया गया।
  • यह एक अभूतपूर्व वैश्विक आंदोलन है जो दुनिया भर में महिलाओं, बच्चों एवं किशोरों के सामने प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिये सरकारों, निजी क्षेत्रों एवं नागरिक समाजों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय कार्रवाई को गति प्रदान करता है।


धूमकेतु 67पी

Comet 67P 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) के रोसेटा मिशन (Rosetta Mission) ने पता लगाया है कि धूमकेतु 67पी (Comet 67P) की अपनी उत्तरी रोशनी (Northern Lights) होती है।

Comet-67P

प्रमुख बिंदु:

  • नासा का कहना है कि यह पहली बार है जब किसी आकाशीय वस्तु (धूमकेतु 67पी) पर अल्ट्रावायलेट ऑरोरा (Ultraviolet Aurora) पाया गया है। 
  • यह पहली बार है जब पराबैंगनी किरणों के रूप में इस तरह के विद्युत चुंबकीय उत्सर्जन को किसी ग्रह या चंद्रमा के अतिरिक्त एक आकाशीय वस्तु पर देखा गया है।
  • सौर मंडल में बृहस्पति एवं उसके चंद्रमा के साथ-साथ शनि, यूरेनस, नेप्च्यून, मंगल में भी उत्तरी रोशनी (Northern Lights) दिखाई देती है।

Aurora

  • पृथ्वी पर ऑरोरा (Aurora), जिसे ‘उत्तरी या दक्षिणी प्रकाश’ या ध्रुवीय ज्योति के रूप में भी जाना जाता है, तब उत्पन्न होता है जब सूर्य से आने वाले तेज़ गति के विद्युत आवेशित कण ऊपरी वायुमंडल से टकरा कर हरे, सफेद एवं लाल रंग की रंगीन झिलमिलाहट पैदा करते हैं।
  • इस खोज से संबंधित जानकारी को ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ (Nature Astronomy) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था।

रोसेटा मिशन (Rosetta Mission):

  • रोसेट्टा मिशन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा वर्ष 2004 में धूमकेतु 67P/चुर्युमोव गेरासिमेंको (Churyumov-Gerasimenko) का पता लगाने एवं धूमकेतु के नाभिक और उसके पर्यावरण का अध्ययन करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • यह किसी धूमकेतु के नाभिक की परिक्रमा करने एवं उसकी सतह की जाँच करने वाला पहला मिशन था। 
  • रोसेटा स्पेसक्राफ्ट ने अगस्त, 2014 से सितंबर, 2016 तक धूमकेतु 67P की परिक्रमा करके जानकारी संग्रहित की।
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